जहाँ अभी तक दलितों से जबरन मृत पशु डलवाये जा रहे है !
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बरजांगसर के दलित ,जिनमें मुख्यतः नायक और मेघवाल जैसी दो जातियां यहाँ निवास करती है ,उनसे आज तक यहाँ के जातिवादी सवर्ण मरे हुए पशु उठवाते है ओर उसे निस्तारित करवाते है .इस घृणित काम को करवा कर वहां के कथित उच्च वर्णीय लोग नदामत महसूस नहीं करते बल्कि उनका मानना है कि ” इन लोगों से यह काम करवाने में क्या बुराई है ,ये तो है ही नीच “. इतना ही नहीं बल्कि मृत जानवरों को दलितों के रहने के स्थान के पास ही डलवा दिया जाता है ,ताकि उसकी दूषित हवा से दलितों का स्वास्थ्य ख़राब रहे ओर वे हर वक़्त गन्दी हवा में जीते रहे .इन मृत पशुओं के कंकालों के इर्द गिर्द आवारा कुत्ते ,गिद्द और अन्य हिंसक जानवर डेरा जमाये रहते है .कुत्ते रात भर भौंकते है ओर दलित बच्चे बच्चियों को अकेला पा कर उन पर झपटते है .दलित समुदाय के पेयजल का स्त्रोत नलकूप भी यहीं पर स्थित है ,पानी भरने के लिए वहां जाने पर मृत पशुओं की गंध नथुनों में भर जाती है ,जी मितलाने लगता है और लोग उल्टियाँ करने लगते है ,इस तरह इस भयंकर गर्मी ओर अकाल के मौसम में भी दलित पीने के पानी से भी वंचित हो जाते है .यहीं पर दलितों की आस्था के केंद्र बाबा रामसा पीर का मंदिर भी अवस्थित है ,वे उस तक भी जाना चाहे या इकट्टा हो कर कोई अध्यात्मिक गतिविधि करना चाहे तो नहीं कर सकते है .इस तरह हम देखें तो बरजांगसर के दलित आज भी गुलामी का जीवन जीने को मजबूर है .उनसे जबरदस्ती मृत जानवर उठवाये जा रहे है ओर अपने ही हाथों अपनी ही बस्ती के पास उन्हें डालने को मजबूर किया जा रहा है ,ताकि दलितों को उनकी औकात में रखा जा सके .
अब जबकि देश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति ( अत्याचार निवारण ) संशोधन अधिनियम 2015 जैसा प्रभावी कानून लागू है जिसकी धारा 3(बी ) एवं (सी ) स्पष्ट रूप से यह कहती है कि – “ अजा जजा के किसी सदस्य के आधिपत्य के परिसर में अथवा ऐसे परिसर में प्रवेश के स्थान पर मल मूत्र ,रद्दी वस्तु ,किसी भी प्रकार की मृत लाश या कंकाल या अन्य कोई घृणाजनक पदार्थ डालेगा . ऐसी कोई चीज़ शोक पंहुचाने अथवा अपमान करने के लिए अथवा हानि करने के लिए डालेगा .” तो यह दलित अत्याचार की श्रेणी में आकर सजा योग्य अपराध माना जायेगा .लेकिन शायद बीकानेर के प्रशासन और राजनेताओं ने यह कानून नहीं पढ़ा होगा ,बरजांगसर के कतिपय जातिवादी घृणित तत्वों से तो इसकी उम्मीद करना भी बेकार ही है कि उन्होंने ” कानून ” नामक किसी चिड़िया का नाम भी सुना होगा ,जो यह कहता है कि अब किसी भी दलित से जबरन कोई भी काम करवाना बेगार माना जायेगा ,उनसे मृत पशु निस्तारित करवाना और उनके रहने के स्थान या उसमे प्रवेश की जगह पर कोई लाश या कंकाल डालना अपराधिक कृत्य होगा .जो यह करवा रहे है ,जिनकी उन्हें शह मिली हुई है ,वे सब तो अपराधी है ही ,मगर सबसे बड़े अपराधी वहां के सरकारी कारिन्दें है ,जिनकी जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि कमजोर वर्गों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होना चाहिए .
बरजांगसर में यह सब जारी है ,वहां के सवर्ण जातिवादी तत्व बर्षों से यह अपराध खुले आम कर रहे है ,जिसकी शिकायत किये जाने पर प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की है . पीड़ित दलित डूंगरगढ़ के विधायक किशना राम और बीकानेर के सांसद अर्जुनराम मेघवाल से भी मिल चुके है ,इन दलितों का आरोप है कि दोनों ही जनप्रतिनिधियों ने उनकी इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया है .इसके बाद इन पीड़ितों ने मुख्यमंत्री द्वारा शुरू किये गए संपर्क पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई तथा जिला कलेक्टर के समक्ष व्यतिगत रूप से हाज़िर हो कर ज्ञापन भी सौंपा ,जिस पर कलक्टर ने तीन दिन में कार्यवाही का आश्वासन दिया ,मगर शिकायत के आठ दिन बाद तक कोई सुनवाई नहीं हुयी .नोवें दिन इलाके का सी आई विष्णुदत्त विश्नोई ओर तहसीलदार ओमप्रकाश जांगिड दस पन्द्रह पुलिस वालों के साथ मौके पर पंहुचे .वहां जाकर उन्होंने जो कृत्य किया ,वैसा शायद ही आजाद भारत में आज तक किसी लोकसेवक ने किया होगा ! पुलिस अधिकारी विश्नोई और तहसीलदार जांगिड ने स्वयं की मौजूदगी में दलितों से दबावपूर्वक मृत जानवर उठवाये ओर उसी जगह पर डलवाये ,जहाँ पर दलित बस्ती के पास गाँव के जातिवादी तत्व पहले से ही डाल रहे है .इस तरह प्रशासन ने इस गंभीर अपराध पर अपनी सहमती की मोहर लगा दी ,जिससे वो तत्व और हावी हो गए ,जिनका यह कहना है कि इन डेढ़ चमारों का तो काम ही यही है ,ये नीच हमारी जूतियाँ बनाते है ,इन्हें कब से मरे जानवरों से गंध आने लग गई ?
बरजांगसर के दलितों का तो यहाँ तक आरोप है कि जो पुलिस अधिकारी ओर प्रशासनिक अधिकारी गाँव में आये उन्होंने भी यही कहा कि इन ढेढ़ों से यही काम करवाओं और जरुरत पड़े तो ठोक पीट कर ठीक कर लो ,डरने की कोई जरूरत नहीं है ,आगे सब हम संभाल लेंगे .
इस नारकीय दलित स्थिति के बारे में दलित संगठनों को पता चलते ही राज्य भर में आक्रोश की तीव्र लहर दौड़ गयी है ,राजधानी में आज हुई एक बैठक में दलित मानव अधिकार संगठनों ने बरजांगसर के इस अमानवीयतापूर्ण मामले को हर स्तर तक ले जाने की ठानी है . साथ ही यह भी तय किया है कि इस गंभीर दलित अत्याचार के मामले में शामिल सरकारी अधिकारीयों व कर्मचारियों के विरुद्ध भी दलित प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज करवाया जाये .
एक तरफ देश का प्रधानसेवक हाथ में झाड़ू लेकर देश को साफ करने में लगा है और हजारों करोड़ रुपये खर्च करके सरकार स्वच्छता के लिए अभियान चला रही है,वहीँ दूसरी और विश्व का सबसे सहिष्णु होने का दम भरने वाला समाज अपने ही लोगों के प्रति कितनी गन्दगी अपने दिल ओर दिमाग में भरे हुए है .गली गली में झाड़ू से सफाई करके सेल्फी ले रहे राष्ट्र के कर्णधारों से पूंछने को जी चाहता है कि हिन्दू धर्म के इस घृणित जातियतावाद की गंदगी को साफ करने की भी कोई योजना किसी व्यक्ति ,संगठन ,सरकार या शन्कराचार्य के पास है या वो गंदगी फ़ैलाने के अपने ऐतिहासिक स्वर्णिम अतीत की परम्परा को ही जीवित रखेंगे ?अजीब देश है यह जहाँ सफाई करने वाले नीच और गंदगी करने वाले उच्च समझे जाते है !
– भंवर मेघवंशी
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता है ,जिनसे bhanwarmeghwanshi@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है )
Barjangasar Ak badiya village h uski is tr ninda nhu krni chahiye LEKIN yh uski smsya h hm bhi mante h dungargarh m sbse achha village h
SANDEEP SINGH RATHORET KEU