जल सरंक्षण और प्रबंधन में युवाओं के दखल से जल संकट का निराकरण संभव

जलदाय मंत्री श्रीमती माहेश्वरी ने ‘जल संसद’ मंे किया आह्वान जल संरक्षण के नवाचारों में युवाओं के साथ है सरकार।
DSC_0036जयपुर, 29 मई। केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री श्री सांवरलाल जाट ने कहा कि प्रदेश के जल संकट को दूर करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ आमजन और खासकर युवा वर्ग की भागीदारी बेहद जरूरी है। दोनों के समन्वय और बेहतरीन जल प्रबंधन के जरिए ही पानी की समस्या से निजात पाई जा सकती है।
श्री सांवरलाल रविवार को राजस्थान विश्ववि़द्यालय में आयोजित ‘जल संसद’ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जितना पानी का सदुपयोग राजस्थान के लोग करना जानते हैं, उतना पूरे देश में कहीं भी देखने में नहीं आता। उन्होंने कहा कि राज्य में भूजल का स्तर का और गुणवत्ता दिन ब दिन खराब होती जा रहा है। भूजल के तेजी से जल दोहन से डार्कजोन बढ़ने लगे हैं। आज के हालात को संभालने आमजन के अलावा युवाओं को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण अपने आप में जल उत्पादन से कम नहीं है ऐसे में जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करके ही आने वाले कल को बचाया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश में जल संरक्षण के लिए चल रहे मुख्यमंत्री स्वावलंबन अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह अभियान प्रदेश की तस्वीर बदलने वाला होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में पूरे देश में यह अभियान मिसाल की तरह पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नदियों को जोड़ने के लिए केंद्र सरकार मजबूत इच्छा शक्ति के साथ काम कर रही है। ऐसा होने पर जल संकट को काफी हद तक टाला जा सकेगा। उन्होंने कहा कि पानी जैसे मुद्दों पर ऐसे कार्यक्रम होना बेहद जरूरी हैं।
जलदाय मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने इस अवसर पर कहा कि जल की बचत और संरक्षण केवल आपकी सोच पर निर्भर होती है। आपकी सोच, आपका नजरिया, आपकी आदतें बदलेंगी तो जल की बचत अपने आप होने लगेगी। उन्होंने युवा वर्ग का आह्वान करते हुए कहा कि युवाओं में वह ताकत है कि वे किसी भी हालात को बदलने की क्षमता रखते हैं। आज युवाओं को जल संकट टालने और आमजन में जागृति लाने की दोहरी जिम्मेदारी आ पड़ी है। उन्होंने कहा कि सरकार हर उस नवाचार के साथ है, जिससे जल की बचत हो सके। उन्होंने कहा कि जल संसद के जरिए हम गांव-शहर और चौपालों तक जाकर लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करेंगे।
श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि जल का अपव्यय ना हो और प्रकृति के महत्वपूर्ण संसाधनों का उपयोग समाज के हित के लिए विवेकपूर्ण तरीके हो और इसके लिए सरकार वाटर रेगुलेशन पॉलिसी बनाने पर भी विचार कर रही है। यही नहीं प्रदेश मंे जल प्रबंधन, जल संरक्षण और जल की महत्ता को लेकर शोध हों, कार्य हों इसके लिए भी विभाग सेंटर एक्सीलेंस ऑफ वॉटर बनाने पर भी काम कर रहा है।
श्रीमती माहेश्वरी ने प्रदेश में पेयजल की भयावहता दिखाते हुए कहा कि प्रदेश में भूजल का स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है। कुएं, तालाब, बोरवैल सूखते जा रहे हैं। जहां 1984 में 237 में से 135 ब्लॉक्स सेफ थे, वहीं 2004 में 35 ब्लॉक्स और 2015-16 में सेफ ब्लॉक्स की संख्या घटकर केवल 25 ही रह गई है। उन्होंने कहा कि हम 200 प्रतिशत भूजल का दोहन करते हैं तो केवल 2 प्रतिशत ही पुनर्भरण कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें जल संरक्षण के साथ जल के पुनर्भरण पर भी ध्यान देना होगा।
जलदाय मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 27 जनवरी से चलाया जा रहा मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान प्रदेश में जल संकट से निजात दिलाने में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसंुधरा राजे की दूरदर्शितापूर्ण सोच का नतीजा ही यह अभियान है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 3500 गांवों में इस अभियान के तहत काम चल रहे हैं। मुख्यमंत्री की सोच है कि हर गांव स्वावलंबी बने और जल पर किसी भी तरह आश्रित नहीं रहे। उन्होंने कहा कि अभियान के तहत प्रदेश स्तर पर जबरदस्त काम हुआ है। अच्छा मानसून रहा तो मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान प्रदेश की काया कल्प कर देगा और जल संकट काफी हद तक कम हो जाएगा।
इस अवसर पर जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री जेसी महान्ति ने कहा कि जल के अंधाधुध दोहन से मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया है। ऐसे में पांरपरिक जल स्रोतों का सही रख-रखाव और जल संरक्षण ही जल संकट से बचने का उपाय है। यूनिसेफ के प्रतिनिधि श्री सैमुअल ने कहा कि पानी की उपलब्धता सीमित है, युवाओं को पानी बचाने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि पानी जैसे गंभीर मुद्दों पर युवा जागरूक होने लगेगा तो जल संकट को टाला जा सकेगा।
इस अवसर पत्रकार और चिंतक श्री अरविंद सिंह ने कहा कि जल संकट कोई अचानक प्रकट होने वाली समस्या नहीं है। यदि हम जल के दोहन के साथ पुनर्भरण के प्रति भी गंभीर रहेंगे तो देश में कहीं भी लातूर और मराठवाड़ा जैसे हालात नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के जरिए सुकाल मिल सकता है।
राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति श्री जेपी सिंघल ने कहा कि जल क्षरण ही जल संकट का कारण है। युवाओं में पानी के प्रति जागरूकता आए इसके लिए विश्वविद्यालय जुलाई माह से वाटर रिसॉर्स मैनेजमेंट सेंटर खोलने की शुरुआत कर रहा है। इसके तहत जल संरक्षण, महत्ता और उपयोगिता पर डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्सेज शुरू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं में अगर जल प्रबंधन की समझ आ गई तो जल संकट ज्यादा दिनों तक नहीं रह पाएगा।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और आतिथ्य-सत्कार से हुई। कार्यक्रम का संचालन ‘जल संसद’ के समन्वयक श्री बलवान यादव ने किया। वहीं कार्यक्रम का समापन संयोजक श्री आशुतोष जोशी ने आभार व्यक्त करते हुए किया।
कार्यक्रम में विधायक श्री मानिकचंद सुराणा, श्री हीरालाल रैगर, श्री प्रेम बैरवा, लक्ष्मीनारायण बैरवा, श्रीमती दोपती समेत जलदाय विभाग के शासन सचिव श्री सुबीर कुमार, विभाग के मुख्य अभियंता, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशाषी अभियंताओं के अलावा भारी तादात में युवा वर्ग उपस्थित था।
क्या है ‘जल संसद’
‘जल संसद’ युवाओं में जल संरक्षण के प्रति जागरुकता लाने का अनूठा प्रयास है, जिसे जलदाय विभाग और भारतीय युवा संसद संस्थान व कई अन्य संगठनों के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। जल संसद के जरिए राज्य के स्कूल-कॉलेजों और गांवों की चौपाल तक युवाओं द्वारा जल संरक्षण के प्रति अलख जगाने का प्रयास किया जाएगा।

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