अपनों की बेरुखी से नहीं बेखबर

vasundharaतमाम शहर के रस्ते सजा दिएं जांए, हम आ गए हैं तो कांटे बिछा दिए जांए .. .. कतील शिफाई का यह शेर इन दिनों मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सक्रियता पर सटीक बैठ रहा है। राजे की राह में कांटे बिछने लगे हैं। प्रदेश की सरकार के अनेक भाजपा विधायक व मंत्री सरकार से नाराज चल रहे हैं। पहले घनश्याम तिवाडी फिर ज्ञानदेव आहुजा ने मीडीया में अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है वहीं यह भी कह दिया है कि अनेक विधायक हैं जो बोल नहीं रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर उनमें असंतोष पनप रहा है। हालांकि नगर स्वायत्त शासन मंत्री राजपाल सिंह शेखावत मुख्यमंत्री की गुड बुक में हैं लेकिन फिर भी विभाग के अधिकारियों की कार्यशाला में उन्होने यह कहकर सबकों चौकां दिया कि विभाग में पैसों का खूब लेन देन हो रहा है। मतलब शेखावत ने अप्रत्यक्ष रुप से यह उजागर कर दिया कि सरकार में भ्रष्टाचार व्याप्त है। मुख्यमंत्री इन बातों से बेखबर आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को लेकर जिलों के दौरे कर रहीं है और आम जनता से रुबरु होकर उनकी समस्याएं भी सुन रही हैं। मुख्यमंत्री की कार्यशैली को लेकर पिछले तीन वर्षो में अनेक अवसर ऐसे आएं हैं जब अनेक विधायकों व मंत्रियों का दिल टूटा है। लेकिन मुख्यमंत्री ने उनकी एक नहीं सुनी और अपनी राह चलती रही हैं। टूटे हुए दिलों ने ही फिर सरकार मंत्रियों, विधायकों की ही नहीं सुनती तो कार्यकत्ताओं की क्या सुनेगी, हम किस मूंह से अब जनता के सामने जाएगें जैसे जुमले बोलने प्रारंभ कर दिए हैं। प्रदेश में भाजपा सरकार में ही पनपे इस असंतोष ने भविष्य में पार्टी में बगावत की सुगबुगाहट पैदा कर दी है। एक गुट ने तो अभी से ही भाजपा नेता सुरेन्द्र गोयल प्रजापति को भविष्य का पार्टी का चेहरा बताना प्रारंभ कर दिया है। कहा जा रहा है कि ओबीसी ब्राहमण जाति के सुरेन्द्र गोयल प्रजापति केन्द्र में मोदी और अमित शाह की पसंद भी हैं। यह स्ंवयभू प्रचार का एक तरीका भी हो सकता है लेकिन यह तो जाहिर हो गया है कि प्रदेश में भाजपा सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है । मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ माहौल तैयार करने और कराने में वो लोग भी सक्रिय है जो प्रदेश में सरकार बनने के साथ ही चाहते थे कि अब मुख्यमंत्री वो काम करें जो संघ चाहता है। संघनिष्ठ नेताओं को अच्छा ओहदा मिला, उनके कार्यो को प्राथमिकता दी जाए , संघ कार्यकत्र्ता का काम पहले हो। दूसरी ओर मुख्यमंत्री उस घराने से संबध रखती हैं जहां कटटरपंथी विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं है। उन्हे ना संघ पसंद है ना कोई जमात।
राजधर्म का पालन करना वसुंधरा राजे की कार्यशैली रही है और संभवत: इसीलिए प्रदेश की जनता के बीच कुछ काम नहीं होते हुए भी उनकी लोकप्रियता में कोइ्र्र कमी नहीं आई है। आज भी सरकार में विधायकों का एक बडा वर्ग उनके साथ है। केन्द्र वसुंधरा राजे की लोकप्रियता और उनकी छवि से अच्छी तरफ वाकिफ है इसलिए फिलहाल कोई कदम उठाने से परहेज किए हुए है लेकिन ऐसा नहीं है कि राजे को इस बात की कोई जानकारी ना हो। वो खमोश रहकर अपने को व्यस्त किए हुए है।

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