आंसुओं का हिसाब ?

sohanpal singh
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उडी की घटना के बाद जिसमे 18 फौजी जवान शहीद हुए थे अब बारामूला में फौजी केम्प पर दो तरफ से पाकिस्तानियों द्वारा हमला करने की कोशिस की जिसमे हमारा बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया तथा एक गंभीर रूप से घायल हुआ है ? और हमला वर सुरक्षित वापस भी लौट गए , यह बात तो जगजाहिर है कि हमारी सेना और सुरक्षा बल दुनिया में बेजोड़ है उनकी बहादुरी में कोई कमी नहीं है । लेकिन क्या कारण है की पाकिस्तानी आतंकी और फ़ौज बे रोकटोक हमारे शहरों और फौजी ठिकानो तक सुगमता पूर्वक पहुँच ही जाते है और मन चाही कार्यवाही करने के बाद वापस भी चले जाते है? क्या यह उचित नहीं होग कि हम सर्जिकर स्ट्राइक के बाद आत्म प्रसंसा के बजाय अपने सीमावर्ती महत्वपूर्ण ठिकानो की सुरक्षा की पुनः समीक्षा करके कमियों को दूर करें ? चूँकि किसी भी दुश्मन के लिए सटीक जानकारी के बिना हमारे अतिसुरक्षित ठिकानो पर पहुचना असंभव ही है जबतक की कोई स्थानीय व्यक्ति मदद ना करे ? लगता है न तो हमारे रक्षा मंत्री के पास समय है और न ही प्रधान मंत्री के पास समय है , वह अभी तक आत्म प्रसंसा के मोड में ही हैं उनको इससे बहार निकल कर सुरक्षा की समीक्षा व्यापक तौर पर करनी चाहिए ? क्योंकि पाक अधिकृत कश्मीर के हमारे अपने ही क्षेत्र में की गई कार्यवाही से देश के लोगो को अधिक दिनों तक बहलाया नहीं जा सकता । क्योंकि हमारे सुरक्षा बलों के जवानो के बलिदान उनके परिवार का प्रत्येक आंसू इन्साफ मांगता है ?

एस पी सिंह । मेरठ

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