sohanpal singhपूरा देश प्रधान मंत्री की काके धन के विरुद्ध लड़ाई में उनके साथ है ! जैसी भी आधी अधूरी तैयारी के साथ नोट बंदी का ऐलान कर दिया है । 8/1/2016 के ऐलान के बाद 9 तारीख को बैंक बंद रहे लेकिन 10 तारीख से बैंक लगातार 8 बजे रात तक करंसी नोट बदले जा रहे है हैं । लेकिन जनता परेशान है ? कारण है की कुल करेंसी का 86 प्रतिशत बड़े नोटों यानि 1000 500 के नोट में है ऐसी दसा में लोगो के पास जो भी बचत है वह बड़े नोटों के रूप में ही है अब कोई मजदूर किसान अपने काम करे या लाइन में लगकर नोट बदले क्यूंकै दोनों में एक ही कार्य हो सकता ? दिल्ली का थोक मार्किट सब नकद पर निर्भर है जो आज बंद पड़ा है व्यापारी परेशान है ? इस लिए हम प्रधान मंत्री से यह जरूर पूंछना चाहते है कि देश वो काले धन वाले को जरूर पकड़िये पर व्यापर तो नहीं न बंद करिये । अब हम 50 दिन तक कष्ट सहने को तैयार है 10 दिन कट भी चुके है बाकी 40 भी कट ही जायेंगे अब 50 दिन के बाद ही पूंछेंगे की कितने काले पकडे गए और कितना धन ? वैसे हमारे एक मित्र कह रहे थे नोट बंदी का क्रियान्वयन इवेंट मैनजमेंट जैसा नहीं है की पैसा फैंको और तमाशा देखो यहाँ तो कुछ और ही होना है ?