नोटबंदी से ना बैंकों को फायदा ना ही भविष्य में आम आदमी को कोई फायदा

डाॅ विभूति भूषण शर्मा
डाॅ विभूति भूषण शर्मा
नोटबंदी से ना बैंकों को फायदा ना ही भविष्य में आम आदमी को कोई फायदा। क्योंकि बैंकों में जो पैसा जमा हुआ है वो अबतक कुल राशि लगभग छह लाख करोड़ है। ये छह लाख करोड़ पांच सौ और एक हजार नोट के नोट हैं जिसकी आज की तारीख में कोई अधिकारिक मूल्य नहीं है क्योंकि ये आज की तारीख में Illegal Tender अमान्य मुद्रा है और अमान्य मुद्रा पर ब्याज नहीं दिया सकता है।। बैंक जबरदस्त सकते में हैं। सरकार को अपनी गलती का एहसास हो चुका है इसलिए अब वो इस क्षतिपूर्ति से निबटने के लिए नई कार्य योजना बना रही है। कालाधन को पचास प्रतिशत टैक्स के बाद सफेद घोषित करने का फार्मूला इसी दिशा में एक कदम है। सरकार इस निर्णय से फंस चुकी है अब ना वो back हो सकती है और आगे का सफर बेहद खतरनाक है।
RBI ने बैंको को ब्याज उपलब्ध कराने से इन्कार कर दिया है। बैंक भी इस अमान्य मुद्रा को कहीं Invest नहीं कर सकते। इसलिए उनका income source block हो चुका है। बैंकों में रखी अमान्य मुद्रा जब तक मान्य मुद्रा में तब्दील ना हो जाए तब तक यह राशि कागज का टुकड़ा मात्र है। वहीं मान्य मुद्रा की आपूर्ति की रफ्तार इतनी धीरे है कि इससे खाता धारकों को ही पैसा नहीं दिया जा रहा है। सब कुछ सामान्य स्थिति में आने पर कम से कम अट्ठारह महीने लग सकते हैं तब तक बैंकों और सरकार को लगभग चार से पांच लाख करोड़ की हानि हो चुकी होगी। जबकि इस नोटबंदी से आर्थिक विशेषज्ञों को कोई फायदा नहीं नजर आने वाला। सरकार बेहद दुविधा में फंस चुकी है। वो ना बैंकों को होने वाले नुकसान से उभार पाएगी ना ही वो आम आदमी को भविष्य में कोई रियायत दे पाएगी।।

डाॅ विभूति भूषण शर्मा।

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