अनूप जलोटा का मज़ाक उड़ाते-उड़ाते हम “भजन”का ही मज़ाक उड़ाने लगे।

सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अनूप जलोटा का मज़ाक उड़ाते-उड़ाते हम “भजन”का ही मज़ाक उड़ाने लगे। हर बार हिन्दू और हिन्दू परंपरा का ही मज़ाक उड़ता है। क्या करें, educated हिंदुओं का sense ऑफ humour बहुत आले दर्जे का है। साजिशकर्ताओं का लक्ष्य स्पष्ट है औऱ हिन्दू अपनी मासूमियत का शिकार । मत भूलिये कि अनूप जलोटा सिर्फ एक पेशेवर गायक है कोई संत, योगी या महात्मा नहीं । अनूप जलोटा हिन्दू धर्म का न ही कोई icon है और न ही प्रतीक।
भजन/ कीर्तन ईश्वर उपासना का एक माध्यम है। उपासना के इस माध्यम को व्यावसायिक रूप देकर कैसेट बेचकर अपना जीवन यापन करने वाला अनूप जलोटा किसी लड़की के साथ भागे या लड़के के साथ इससे मीराबाई के भजन का क्या लेना-देना ? लेकिन हम हिंदुओं में से अधिकांश लोग भजन का ही मज़ाक उड़ा रहे हैं, फेसबुक व्हाट्सएप्प पर मैसेज भेज भेजकर संतो द्वारा रचित भजनों का मज़ाक बनाया जा रहा है। ये साबित करने की कोशिश हो रही है कि अनूप जलोटा को अपने से इतनी छोटी खूबसूरत लड़की इसलिए मिल गई क्योंकि वो भजन गाता था। मतलब भजन से ईश्वर की भक्ति करना भ्रम है, भजन का असली लक्ष्य तो कमसिन उम्र की मॉडल टाइप लड़की प्राप्त करना है ? हर बार की तरह इस बार भी माध्यम सिर्फ हिन्दू धर्म का एक व्यक्ति, लेकिन मज़ाक और हास्य का विषय हिंदुओं की धार्मिक मान्यता और परंपराएं। हर बार की ही तरह इस पूरे प्रकरण में भी आत्मघाती सहयोग हिन्दू समाज का। हिन्दू सिर्फ इस्तेमाल की जाने वाली जाति है। अब प्रतीक्षा है कि educated हिंदुओं के sense of humour को माध्यम बनाकर अगली बार किस हिन्दू परंपरा का मज़ाक बनाया जाता है।यकीन मानिए इस प्रोपगंडा के प्रचार-प्रसार और अपने ही धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं का उपहास उड़ाने में हम हिंदुओं का ही पूर्ण सहयोग रहेगा.
*सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

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