यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमानजी दलित कहे जाने के बाद अब योगी सरकार के मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने जाट तो सपा महासचिव ने बजरंगबली को गोंड जाति का करार दिया। इस बावत सभी के अपने-अपने तर्क भी हैं। विधानमंडल सत्र के दौरान एक मंत्री ने पवन पुत्र को अपनी जाति का बताया था। केंद्रीय मंत्री सत्यपाल चौधरी, आयोग अध्यक्ष नंद किशोर, यूपी मिनिस्टर लक्ष्मी नारायण और भाजपा एमएलसी बुक्कल नवाब हनुमान जी का जाति धर्म बता चुके हैं।
ं हनुमानजी को लेकर बयानबाजी के दौर में कुछ नेता अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से भी टिप्पणी कर रहे हैं। कुछ नेता संकेतों में भी बहुत कुछ कहते नजर आते हैं। इसी तरह के एक मामले में यूपी सरकार के और मंत्री सुरेश खन्ना भी शामिल रहे। हालांकि उन्होंने हनुमान जी के लिए कुछ कहा नहीं लेकिन इशारों-इशारों में बता दिया कि वह रामभक्त हैं। अब तक अंजनी नंदन को विविध जाति-धर्म का बताने वालों की फहरिस्त लंबी हो चुकी है। इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री सत्यपाल चौधरी हनुमान जी को आर्य, यूपी मिनिस्टर लक्ष्मी नारायण बजरंगबली को जाट और एमएलसी बुक्कल नवाब मुसलान बता चुके हैं।
हनुमानजी की जाति विवाद पर केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह कहते है। कि भगवान राम और हनुमान जी के युग में इस देश में कोई जाति व्यवस्था नहीं थी, कोई दलित, वंचित, शोषित नहीं था. वाल्मीकी रामायण और रामचरितमानस को आप पढ़ेंगे तो आपको मालूम चलेगा कि उस समय को जाति व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने आगे कहा कि हनुमान जी आर्य थे। उस समय आर्य जाति थी और हनुमान जी उसी आर्य जाति के महापुरुष थे।
बात जहां तक धार्मिक मान्यता की है तो हनुमान जी को हिन्दू देवताओ में सबसे शक्तिशाली माना गया है। चौत्र महीने के शुक्ल अष्टमी को हनुमान सुबह 4 बजे अपनी माँ अंजना के गर्भ से इस धरती पर त्रेता युग में भगवान शिव के अवतार के अवतरित हुए थे। माना जाता है की हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारवे रूद्र अवतार थे, जो श्री राम की सेवा करने और उनका साथ देने त्रेता युग में अवतरित हुए थे। श्री हनुमान जी को बजरंगबली, मारुति नंदन, पवनपुत्र , केशरी नंदन आदि इनके अनेको नामो से भी बुलाया जाता है। पवन पुत्र हनुमान को सात चिरंजिवियो में से एक माना जाता है। भगवान हनुमान अपने शरीर को किसी भी वेश में किसी भी रूप में यानी वह अपने शरीर को पर्वत की तरह बड़ा कर सकते थे, तो अगले ही पल अपने शरीर को नाखून से भी छोटे कर सकते थे। एक छलांग में वो हिन्द महासागर को पार कर सकते थे। वे राक्षसों,दानवो के नाशक थे।
कहा जाता है की श्री हनुमानजी का जन्म ही राम भक्ति और उनके कार्यो को पूर्ण करने के लिए हुआ है। उनकी हर सांस में हर खून की बूंद में राम बसे है। एक प्रसंग में विभीषण के ताना मारने पर हनुमानजी ने सीना चिर कर भरी सभा में राम और जानकी के दर्शन अपने सीने में करा दिए थे। हनुमान जी भगवान श्री राम और लक्ष्मण से किशकिन्दा में मिले जब वो दोनों माता सीता की तलाश कर रहे थे। श्री हनुमान वानरराज सुग्रीव के परम मित्र और उनकी वानर सेना के सेनापति थे। अपरहण के बाद माता सीता से भेट करने वाले राम के प्रथम दूत श्री हनुमान ही थे।
बहरहाल, लब्बोलुआब यह है कि आज पवन पुत्र हनुमान को सब अपनी जाति से जोड़कर बता रहे हैं। इससे उनका कद छोटा नहीं होता है। यह बजरंगबली के विराट रूप को दर्शाता है। कोई ऐसे ही नहीं सभी के दिलों में बस जाता है। सब हनुमान जी को अपना मानते हैं। ऐसा चमत्कार बिरले ही देखने को मिलता है। खास उस देश में जहां बांटने की सियासत पनपती हो और देशवासी जातियों में बंटे हों।
संजय सक्सेना, लखनऊ