*ये तो दोहरी नीति है*

–अमित टंडन
*अजमेर।* जब दुकानें खोलने के आदेश ही हो गए तो कैसा लॉक डाउन।
सिर्फ प्रभावित एरिया में ही दुकानें नही खुलीं, जैसे मोची मोहल्ला, धान मंडी, दरगाह के आसपास के क्षेत्र, क्योंकि वहीं सबसे ज्यादा मरीज पाए गए। कल, यानी 14 मई को भी 4 नए केस वहीं से आए।
बाकी तो नया बाजार, गोल प्याऊ तक का बाज़ार खोलने की आज्ञा हो गई।
बाहरी इलाकों जैसे वैशालीनगर, शास्त्री नगर कोटड़ा आदि क्षेत्र या उधर धोला भाटा या गुलाबबङी-मादर क्षेत्र सब ही खुल गए। इनके जैसे तमाम इलाके खुल गए। मेन रोड कचहरी रोड, स्टेशन, केसरगंज , श्रीनगर रोड आदि शुरू हो गए,
तो लॉक डाउन में फिर बचा ही क्या..!!
सरकार खुल कर कह नहीं पा रही कि *भाई अब हमसे नही संभल रहा, तुम लोग अपनी जानो।* बस लॉक डाउन का नाटक है, बाकी सब कुछ शुरू करने की इजाजत है। सेंसेटिव एरिया में जरा मजबूरी है, इसलिए एकदम इजाजत नहीं दी। मगर एक-एक या दो-दो दिन के अंतराल में अंदरूनी प्रभावित इलाको में भी दुकानें खोलने के आदेश आते रहेंगे, बस उसमें एक जुमला जुड़ा होगा कि “कुछ शर्तों के साथ बाजार खोलने की इजाजत दी गई”।
कैसी शर्त औऱ कहाँ की एहतियात..!! बाजार खुलते ही लोगों की पिकनिकें शुरू हो जाएंगी। ईद के बाद एक बार फिर कर्फ्यू लगाना पड़ेगा शहर में। और अबकी बार कर्फ्यू का दायरा और बड़ा हो सकता है, क्योंकि कोरोना का दूसरा राउंड ज्यादा मरीज और ज्यादा मौतें लेकर आ सकता है।

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