पायलट के बाहरी होने का मुद्दा भाजपा ने ही खारिज कर दिया

निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा के सचिन पायलट को बाहरी बताने वाले बयान पर सचिन खेमे से कोई प्रतिक्रिया आती, इससे पहले भाजपा ने उसे लपक लिया और बाकायदा बयान जारी कर उसे खारिज कर दिया। इस मुद्दे पर भाजपा के बोलने का औचित्य इसलिए नजर नहीं आता, क्योंकि यह फटे में टांग फंसाने जैसा लगता है। अगर किसी भाजपा नेता के बारे में बाहरी होने का आरोप होता तो समझ में भी आता कि भाजपा का उसका बचाव करना चाहती है, लेकिन कोई सचिन को बाहरी बताए, इस पर भला भाजपा को क्या तकलीफ हो सकती है? मगर ऐसा प्रतीत होता है कि मीणा के इस बयान की आड़ में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह व वेणुगोपाल को रेखांकित करने की कोशिश की गई है। वैसे, ऐसा करते वक्त यह भी कहना चाहिए था कि पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी भी तो पाकिस्तान में जन्मे थे। इसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी तो गुजराती होते हुए वाराणसी से चुनाव लड़े हैं।
ज्ञातव्य है कि मीणा के बयान पर सवाल खड़ा करते हुए भाजपा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मीडिया के सामने कहा कि मीणा के हिसाब से सचिन पायलट बाहरी हैं, तो कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी मूल रूप से इटली की हैं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान में हुआ और साथ ही कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेता राजस्थान से राज्यसभा सांसद के. सी. वेणुगोपाल मूल रूप से केरल के हैं। जब पायलट बाहरी हैं तो कांग्रेस के ये प्रभावशाली नेता कौन हैं? पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री व अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक ने भी इस विवाद में कूदने में देर नहीं की और बाकायदा बयान जारी कर कहा कि पूर्व उप मुख्यमंत्री व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को बाहरी बताने वाले कांग्रेसी सोनिया गांधी के बारे में चुप्पी क्यों साधे हुए हैं। पायलट तो इसी देश के हैं, जबकि सोनिया गांधी तो विदेशी हैं। भाजपा नेताओं के बयान से साफ तौर पर ये संदेश जा रहा है कि या तो पायलट को बाहरी कहना बंद करें, या फिर सोनिया, मनमोहन व वेणुगोपाल को भी बाहरी मानें।
खैर, सवाल ये उठता है कि मीणा के बयान पर भाजपा को बोलने की जरूरत क्या थी? चूंकि मीणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के माने जाते हैं, इस कारण संभव है उसने गहलोत को घेरने की कोशिश की हो, मगर उनके इस दखल से प्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं पायलट को भाजपा की ओर से क्लीन चिट मिल रही है। भाजपा नेताओं का मकसद भले ही कांग्रेस में सिर फुटव्वल बढ़ाना हो, मगर इस चक्कर में उन्होंने पायलट को कम से कम राजस्थान से बाहरी होने के आरोप से तो मुक्त कर दिया है। अब कोई ये सवाल नहीं उठा पाएगा।
देवनानी के लिखित बयान के दूसरे अंश को देखिए, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी पायलट के प्रति गहरी संवेदना है:- कांग्रेस के जो विधायक किसी समय पायलट के गुणगान करते हुए थकते नहीं थे, वही अब पायलट को कोसने लगे हैं। कांग्रेसियों ने पहले पायलट को नकारा और मक्कार बताया था, तो अब उन्हें बाहरी बता रहे हैं। देवनानी ने कहा कि आखिर यह बात समझ में नहीं आती है कि कांग्रेसी इतनी जल्दी कैसे पाला बदल लेते हैं? देवनानी ने सवाल किया कि जो कांग्रेसी खुद अपनी ही पार्टी के बड़े नेताओं के सगे नहीं हुए, तो आम जनता के सगे कैसे होंगे? देवनानी की इस संवेदना के कुछ तो मायने होंगे ही।
लब्बोलुआब, राजस्थान की मौजूदा राजनीति में जो कुछ हो रहा है, वह ऐतिहासिक है। हालांकि यह सही है कि किसी के बाहरी होने का मुद्दा कोई मुद्दा ही नहीं है, लेकिन इसको लेकर जो बयानबाजी हो रही है, उससे ऐसे संकेत मिलते हैं कि कोई न कोई खिचड़ी पकाने की कोशिश की जा रही है। उसमें कामयाबी मिलेगी या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता।

-तेजवानी गिरधर
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