दलित के नाम पर राजनीति चमकाने वाले मौन

*राजस्थान में जालौर जिले में एक स्कूली मासूम छात्र इंद्रकुमार की मौत का मामला दलित अत्याचार से जोड़कर चर्चित हो रहा है। दलित हितेषी का दिखावा कर अनेक नेता हमदर्दी जताने मृतक के गांव पहुंच रहे हैं। यह कोई नहीं बताता कि करीब 20 दिनो तक जब वह मासूम अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती था उसे अहमदाबाद रेफर किया गया। उसे व परिजनों को मदद की जरूरत थी तब ये तथाकथित हमदर्द कहा थे। 😱खैर……*

*यह मामला अभी शांत नहीं हुआ कि राजस्थान की राजधानी जयपुर के निकट रायसर में एक और घटना हो गई दलित शिक्षिका तो उसके ही रिश्तेदारों ने पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया।😢 प्राप्त जानकारी अनुसार उधार दिए रूपये का तकाजा करने पर दबंग रिश्तेदारों ने शिक्षिका पर पेट्रोल डालकर जला दिया। गनीमत रही की हत्या के आरोपी दलित जाति के ही निकले, अन्यथा राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों को अपनी दुकानदारी चलाने वालों को दलित पर अत्याचार का एक और मुद्दा मिल जाता।*😎

*कभी भी कोई मारपीट, बलात्कार हत्या, की घटना दलित के साथ होती है और आरोपी यदि स्वर्ण जाति का हो तो वोटों की राजनीति चलाने वाले स्वार्थी नेता तुरंत सक्रिय हो जाते हैं। जबकि मामले की तह जाने का, असलियत जानने प्रयास बहुत कम होता है*।
*यहां हमें यह समझना होगा कि जिस तरह पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती वैसे ही हर एक जाति, वर्ग में कुछ असामाजिक प्रवृत्ति के लोग होते हैं। लेकिन अपराधिक प्रवृत्ति के गिनती के कुछ लोगों के द्वारा किसी घटना को अंजाम देने पर पूरे समाज या जाति को बदनाम या जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। हर जाति या वर्ग में अच्छे लोगों की बड़ी संख्या होती है। लेकिन उनके द्वारा किए अच्छे कामों को प्रकाश में कम ही लाया जाता है।*
*अपनी राजनीतिक दुकानदारी चलाने वाले स्वार्थी लोगो को यह भी सोचना चाहिए कि, इससे दुनिया के सामने अपने महान देश की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । विदेशों में भारत की छवि खराब होने से भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी होती है विदेशी आगुंतकों की संख्या कम होने से देश में टूरिस्ट, गाइड, होटल, टेक्सी चालक सहित अनेक छोटे-मोटे काम धंधे पर भी मंदी की मार पड़ती है*।

*जब कोई धर्म विशेष के व्यक्ति कोई आंतकवादी अपराधिक घटना को अंजाम देता है तो देश के ही नेता लोग कहते हैं कि आंतकवादी का कोई धर्म नहीं होता। लेकिन आज तक किसी नेता के मुंह से यह नहीं निकला कि किसी अपराधी का कोई जाति या धर्म नहीं होता वह हर एक जाति में पाए जाते हैं। गिने-चुने कुछ बुरे लोगों के कारनामों के लिए पूरी जाति या वर्ग को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। हर जाति में अच्छे लोगों की भी बड़ी संख्या होती है । उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। और सबसे महत्वपूर्ण बात कि किसी भी घटना की तह तक पहुंचें बिना, आधी अधूरी जानकारी से मीडिया या किसी को भी सनसनी फैलाने का अधिकार नहीं है।*
*हमें देश को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने के लिए 36 कॉम को साथ में लेकर चलना होगा। तब ही देश विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर हो सकता है। “देश सर्वप्रथम इसके बाद हम या मैं ” यह हमारा ध्येय होना चाहिए।*

*हीरालाल नाहर पत्रकार*
*9929686902*

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