फर्जी पत्रकारिता की पराकाष्ठा

पत्रकारिता कई किस्म की होती है। मुख्य है ईमानदार व पीत पत्रकारिता। इनके अतिरिक्त फर्जी व छद्म पत्रकारिता होती है। ईमानदार पत्रकारिता में पत्रकार अपने कर्म को पूजा की तरह संपादित करता है। बिना किसी लोभ या भय के सच्ची खबर लिखता है। पीत पत्रकारिता में पत्रकार निहित उद्देष्य की पूर्ति के लिए या तो किसी को ब्लैकमेल करता है, अथवा एक पक्षीय रिपोर्टिंग करता है। वर्तमान दौर में फर्जी व छद्म पत्रकारों की बहुतायत है। वे पत्रकार तो नहीं होते, मगर किसी भी संस्था से पत्रकार होने का आइडेंटिटी कार्ड हासिल कर लेते हैं और उसके आधार पर बेजा फायदे उठाते हैं। इनसे भी उपर फर्जी पत्रकारिता की पराकाश्ठा का एक अजीबोगरीब वाकया मेरे सामने पेष आया। दैनिक न्याय सबके लिए समाचार पत्र के लिए मैं पत्रकारों के साक्षात्कार ले रहा था। एक सज्जन ने अपना सीवी पेष किया तो मैने उनसे एक समाचार अपने मन से लिख कर आने को कहा। वे पलट कर नहीं आए। कोई छह माह बाद उन्हीं सज्जन का फोन आया। बोले मैं क्लॉक टॉवर थाने पर हूं। गाडी के कागजात न होने के कारण मुझे पकड रखा है, मेहरबानी करके सीआई साहब से कह दीजिए कि वह दैनिक न्याय सबके के लिए का रिपोर्टर है, लिहाजा उसे छोड दीजिए। मेरा तो सिर ही चकरा गया। जाहिर तौर पर मैने उसकी कोई सिफारिष नहीं की। मैं सोचने लगा कि कैसा दौर आ गया है। किसी अखबार के दफ्तर की दीवार छू लेने वाला भी अपने आपको पत्रकार मानने लगता है। फर्जी पत्रकारिता की पराकाश्ठा भला इससे अधिक क्या हो सकती है। बहरहाल, वर्तमान में सोषल मीडिया के दौर में अनेक ब्लॉगर उत्पन्न हो गए हैं, जिन्होंने जिंदगी में कभी पत्रकारिता नहीं की, मगर आज छोटा मोटा ब्लॉग लिख कर खुद को पत्रकारों की श्रेणी में षुमार किए हुए हैं। उन्होंने विधिवत कोई ब्लॉग नहीं बना रखा। केवल फेसबुक व वाट्सऐप पर पोस्ट डाल कर खुद को ब्लॉगर जता रहे हैं। अफसोसनाक बात यह है कि भाशा की मर्यादा का उन्हें जरा भी ख्याल नहीं। सच तो ये है कि वे निहित उद्देष्य के लिए मन की भडास निकाल रहे हैं। कई छपासी भी पंक्ति में खडे हो गए हैं। उनके लिए सुखद यह है कि अपनी बात परोसने के लिए इंटरनेट पर आज कर्इ्र प्लेटफार्म मौजूद हैं। अखबारों की गरज ही खत्म हो गई। उलटे अखबार से ज्यादा प्रचारित होते हैं। मुझे ख्याल आता है कि एक वरिश्ठ पत्रकार ने कहा था कि एक एक ऐसा जमाना आएगा, जब हर आदमी के हाथ में मोबाइल होगा और हर आदमी पत्रकारिता करेगा। खुदा खैर करे।

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