असल में इसकी मूल वजह यह है कि स्कूलों में हिंदी न तो ठीक से पढाई जाती है और न ही गंभीरता से सीखी जाती है। इंटेलीजेंट से इंटेलीजेंट बच्चे के हिंदी में सामान्य नंबर आते हैं। उस पर कोई गौर नहीं करता।
आपको ख्याल में होगा कि अंग्रेजी में कई षब्द ऐसे हैं, जिनका उच्चारण तो भिन्न है, मगर लिखते भिन्न तरीके से हैं। जैसे सीयूटी कट और पीयूटी पुट। मुझे तब बहुत कोफ्त होती है, जब बाजार से गुजरते वक्त देखता हूं कि साइन बोर्ड्स पर हिंदी के षब्द अषुद्ध लिखे होते हैं, जबकि अंग्रेजी के षब्द षुद्ध होते हैं। अर्थात हिंदी के प्रति हम गंभीर नहीं हैं। ऐसे में हिंदी के प्रति कोरा सम्मान जाहिर करने, हिंदी दिवस मनाने से कुछ नहीं होने वाला है।