संघ, मोदी और आडवाणी के त्रिकोण में सबसे सक्रिय अगर कोई नेता दिखाई दे रहा है तो वह हैं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह। जबसे संघ, मोदी और आडवाणी के त्रिकोण की खबरें आनी शुरू हुई तबसे सबसे अधिक सक्रिय राजनाथ सिंह ही हैं और बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष समस्या पैदा करके समस्याओं को सुलझाने में लगे हुए हैं। लेकिन इन सबके बीच वे अपनी भविष्य की राजनीतिक गोट लंगोट भी कसते जा रहे हैं। एक ओर नरेन्द्र मोदी की तारीफ करके भाजपा कार्यकर्ताओं में यह संदेश दे रहे हैं कि जिसे कार्यकर्ता पसंद करते हैं वही उनकी भी पसंद है लेकिन दूसरी तरफ बहुत करीने से वे मोदी की काट भी तैयार कर रहे हैं। काट का यह हथियार वे नागपुर में तैयार कर रहे हैं।
अपनी सारी राजनीतिक भागदौड़ करते हुए राजनाथ सिंह बीच बीच में संघ कार्यालय जाना नहीं भूलते हैं। अभी हाल में ही वे नागपुर होकर लौटे हैं। आडवाणी से मोहन भागवत की मुलाकात के बाद अगले ही दिन राजनाथ सिंह नागपुर संघ मुख्यालय पहुंच गये। संदेश यह गया कि संघ प्रमुख भाजपा के बीच संतुलन साधने के लिए नागपुर में बैठकें कर रहे हैं जबकि संघ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राजनाथ सिंह अपनी पहल पर नागपुर आये थे, उन्हें संघ प्रमुख ने नहीं बुलाया था।
लेकिन बात यहीं तक नहीं रुकी। संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने के दौरान ही उन्होंने अमरावती बैठक में आने की इच्छा प्रकट कर दी। जाहिर है, संघ प्रमुख ने मना नहीं किया। अगर राजनाथ सिंह वहां आना चाहते थे, तो कोई रोक टोक क्या हो सकती है। हालांकि संघ अपने प्रचारकों की एैसी सालाना नियमित बैठकें करता रहता है लेकिन ऐसी बैठकों में सिर्फ सहयोगी संगठनों के वे लोग ही शामिल होते हैं जो बतौर प्रचारक उन संगठनों में काम कर रहे होते हैं। ऐसे में रामलाल जायें तो बात समझ में आती है लेकिन राजनाथ सिंह पहुंच जाएं तो यह बहुत बेतुका लगता है।
इस संबंध में जब जानकारी जुटाने की कोशिश की गई तो पता चला कि राजनाथ सिंह अपनी पहल पर अपना पीआर ठीक करने अमरावती आये हैं। हालांकि वे तीन दिनों की उस महत्वपूर्ण बैठक के पहले ही वहां से चले जाएंगे जो 12 जुलाई से शुरू होगी लेकिन अमरावती पहुंचते ही उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कह दिया कि वे अपना कोई राजनीतिक एजेण्डा लेकर यहां नहीं आये हैं। अब मीडियावालों को यह पता कहां कि संघ में प्रचारक और गैर प्रचारक का फर्क ऐसी बैठकों के दौरान क्या होता है। लिहाजा भले ही राजनाथ सिंह ने कुछ भी कहा हो लेकिन संदेश यही गया कि पार्टी को हिन्दुत्व की विचारधारा पर वापस लाने के लिए संघ जो प्रयास कर रहा है उसमें भाजपा अध्यक्ष से इस बारे में राय मशविरा किया जा रहा है।
जबकि अंदर की हकीकत यह है कि संघ में राजनाथ सिंह के समर्थकों से ज्यादा विरोधी हैं और इन विरोधियों पर भारी पड़ने के लिए राजनाथ सिंह संघ के ही कुछ लोगों के जरिए जबर्दस्त तिकड़म और लॉबिंग करते रहते हैं। इसी तिकड़म के बूते वो दूसरी बार अध्यक्ष बनने में कामयाब हुए। और अब उनकी कोशिश है कि संघ से दूर रहनेवाले नरेन्द्र मोदी को संघ की कटार से ही काट दिया जाए। और ऐसा तब होगा जब उनका संबंध संघ से बेहतर होगा। और बेहतर संबंध का एक ही जरिया है कि आप हर समय उनके पास नजर आयें, भले ही आपको बुलाया गया हो या न बुलाया गया हो। http://visfot.com
**रमजान पर मुबारकबाद**
‘वोटों’ के लिए तो मुझै ‘टोपी’ भी मंझूर है और “खतना” भी
बस तुम मुझै ‘PM’ की कुर्सी दो और मैं तुम्हें दुंगा “आजादी”
फ़िर ‘न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी’……………वन्देमातरम