गुजरात के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी की चुनाव अभियान समिति के प्रमुख नरेंद्र मोदी के उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलों और उनके करीबी अमित शाह को प्रदेश प्रभारी बनाए जाने से समाजवादी पार्टी में बेचैनी है। उत्तर प्रदेश में 50 सीटें जीतने का ख्वाब देख रही सपा को अब ‘मोदी फैक्टर’ के कारण मिशन पूरा होने में थोड़ी बाधा दिखाई दे रही है। गुजरात में तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रबंधन की कमान उनके खास सिपहसालार अमित शाह ने संभाली थी। अब शाह उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रभारी बनकर विभिन्न क्षेत्रों का दौरे कर रहे हैं और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी संगठन को धार देने में जिस ढंग से जुटे हैं, उससे सपा खेमे में बेचैनी है।
कल तक भाजपा को चौथी नंबर की पार्टी बताकर उस पर कोई टिप्पणी करने में परहेज करने वाले सपा नेता अब भाजपा पर ज्यादा हमले कर रहे हैं। सपा के इस बदले हुए रुख से लगता है कि वह अब लोकसभा चुनाव में भाजपा को ही अपना सबसे प्रमुख प्रतिद्वंदी मान रही है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से लेकर प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी के अन्य नेताओं को अब यह प्रचारित करने की जरूरत महसूस हो रही है कि मोदी फैक्टर का उत्तर प्रदेश में कोई असर नहीं होगा। कैबिनेट मंत्री और सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि मोदी और शाह सांप्रदायिक हैं और ये उत्तर प्रदेश में लोगों को बहकाकर सांप्रदायिक माहौल तैयार करने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता ऐसे लोगों को सबक सिखा देगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा जिस मकसद से मोदी और उनके सिपहसालार को उत्तर प्रदेश में सक्रिय कर रही है, वह पूरा नहीं होगा और उसे लोकसभा चुनाव में दहाई का आंकड़ा भी नहीं मिलेगा। सपा संसदीय बोर्ड के एक सदस्य ने आईएएनएस से कहा कि नरेंद्र मोदी के उत्तर प्रदेश में सक्रिय होने से पहले अमित शाह जमीन तैयार कर रहे हैं। मोदी के आने से उत्तर प्रदेश में मतों का ध्रुवीकरण होना लगभग तय है। ऐसे में आशंका है कि ध्रुवीकरण का सबसे ज्यादा लाभ भाजपा को ही मिलेगा।
बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में सपा को लगता है कि अगर वह पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम को अपने साथ रख पाने में सफल रही तो उसे बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की तुलना में सबसे कम नुकसान होगा। सूत्रों के मुताबिक, राज्य की आबादी में करीब 52 फीसदी की हिस्सेदारी वाले पिछड़ा वर्ग को लुभाने की रणनीति के तहत हालिया मंत्रिमंत्रिमंडल विस्तार में सपा नेतृत्व ने पिछड़ा वर्ग के दो नेताओं को कैबिनेट मंत्री बनाया और इसी वर्ग के एक राज्यमंत्री को प्रोन्नति देकर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया।
पिछले विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को मुद्दा बनाने वाली सपा द्वारा उनके कुनबे को पार्टी में शामिल करने के पीछे पिछड़ा वर्ग को गोलबंद करने की ही रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। सपा सूत्रों के मुताबिक, सरकार बनने के बाद से मुस्लिमों को लुभाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलानी वाली वाली अखिलेश सरकार आने वाले दिनों में अपने इस वोटबैंक को लुभाने के लिए कुछ और अहम फैसले ले सकती है।
उधर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि अमित शाह के नेतृत्व में जिस तरह से उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सपा सरकार की तुष्टिकरण नीतियों की पोल खोलना शुरू किया है, उससे सपा की सारी सच्चाई लोगों के सामने आ रही है। पाठक ने कहा कि पिछले कुछ समय से जनता के सरोकारों के लिए सड़क पर संघर्ष करने वाली पार्टियों में भाजपा सबसे आगे रही है। जिस तरह उसे जनसमर्थन मिल रहा है उससे सपा का भयभीत होना स्वभाविक है। http://hindi.in.com