अयोध्या मुद्दे के समाधान के लिए एक पहल!

babri-मोहित दुबे- अयोध्या में एक मंदिर में जहां राम की प्रतिमा रखी गई है, उसी से महज कोई सौ मीटर दूर एक मस्जिद होने का समाधान स्थानीय स्तर पर पेश किया गया है। पांच दशकों से चले आ रहे अध्योध्या विवाद के इस समाधान पर उच्च न्यायालय के एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश काम कर रहे हैं। लेकिन उनके इस समाधान के मुट्ठीभर समर्थक हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पालोक बसु पिछले एक वर्ष से इस समाधान में जुटे हैं।

बसु के प्रयास को अयोध्या के निवासियों के प्रमुख कदम के रूप में देखा जा रहा है। इसके तहत अभी जिस अस्थायी ढांचे में राम लला की प्रतिमा रखी गई है वहां राम मंदिर और उससे कुछ सौ मीटर दूर साथ-साथ मस्जिद का निर्माण कराने की बात कही गई है। इस समाधान की राह में रोड़ा यह है कि इसके महज गिनती के समर्थक हैं जो किसी भी धार्मिक दलबंदी में शामिल नहीं हैं। इस विवाद में शामिल किसी भी पक्ष को पूर्व न्यायाधीश की योजना नहीं पच रही है।
विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बसु के ‘गैरजरूरी हस्तक्षेप’ की आलोचना की और कहा कि उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रहते तो संगम शहर में हैं लेकिन ‘बिना किसी कारण के समय-समय पर राम मंदिर मुद्दे में उंगली करते रहते हैं।’ शर्मा ने आईएएनएस से कहा, “कुछ सप्ताह पहले उन्होंने कहा था कि वे 10,000 लोगों से हस्ताक्षरित करा कर एक अर्जी सर्वोच्च न्यायालय में समर्पित करेंगे। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। वे हर समय कुछ न कुछ करते रहते हैं। कोई भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेता।”
बाबरी ढांचा ढहाने के मामले के आरोपियों में से एक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता विनय कटियार ने कहा कि बसु को यही नहीं पता कि वे क्या पाना चाहते हैं। कटियार ने आईएएनएस से कहा, “बसु बाबू को खुद नहीं पता है कि वे क्या चाहते हैं। रोज नया शिगूफा छोड़ते रहते हैं। कभी मस्जिद तो कभी मंदिर की बात करते हैं। ये सारा खेल कांग्रेस के कहने पर हो रहा है।” बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और अब उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी का भी मानना है कि न्यायमूर्ति बसु ‘न केवल व्यर्थ का प्रयास कर रहे हैं बल्कि यह गैरजरूरी भी है।’
कांग्रेस के नेता और गांधी परिवार के समर्थक प्रमोद तिवारी ने भी कहा कि कोई भी प्रयास समय और ऊर्जा का अपव्यय है। उन्होंने कहा कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है और केवल वही फैसला ले सकता है। http://www.kharinews.com

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