मीडिया ने भी अपनी भूमिका तलाश ली दंगों की राजनीति में

electronic media-अंबरीश कुमार- लखनऊ। खबर से भी दंगा होता है यह दो दशक पहले हम देख चुके हैं पर एक बार फिर दंगों की राजनीति में मीडिया ने भी अपनी भूमिका तलाश ली है। सनसनी के चक्कर में कुछ भी परोस देने को लेकर आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव  लेकर काबीना मंत्री आजम खान ने मीडिया की भूमिका पर जो सवाल उठाये वह बेवजह तो नहीं है। बाबरी मस्जिद ध्वँसके समय जिस तरह की खबरें मीडिया के एक तबके ने की थीं उसने तब माहौल बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभायी। मुजफ्फरनगर में भी मीडिया यह गलती दुहरा सकता है जिसकी झलक मिल रही है। पश्चिम में सोची समझी रणनीति और तय्यारी के साथ दंगा किया गया, पूर्वांचल में तैयारी हो रही है। ऐसे में ख़बरों का चरित्र बदला तो हालात बेकाबू होंगे। मऊ के दंगों में एक चैनल ने भड़काऊ भूमिका निभायी थी और बाहुबली मुख्तार अंसारी को लपेट लिया था जो बचाव की भूमिका में थे। वे बाहुबली थे और हैं पर उनके ज्यादातर सिपहसालार हिन्दू हैं और अपराध की दुनिया में वे सब कुछ कर चुके हैं पर मजहबी कट्टरता का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता पर चैनल ने उन्हें दंगाई बना डाला। उसी दौर में एक और चैनल रहा जिसने वाराणसी में विकलाँगों को जहर खिलाकर अपनी खबर को बेच दिया और कुछ विकलाँग नौजवान अपनी जान गँवा बैठे।

अब  मुजफ्फरनगर लौट आयें। अखिलेश सरकार के मुस्लिम चेहरे हैं आजम खान जिसे कोई मुस्लिम नेता पसन्द नहीं करता। अक्खड़ हैं और अराजकता की हद तक अहंकारी भी। वे जल्दी मंत्रियों को घास नहीं डालते, आला अफसरों की कोई हैसियत नहीं है। यह सब उनकी कमजोरी है। न कोई अफसर उनके पास जा सकता है और न फोन पर आ सकता है। ऐसे में शराब के नशे में टुन्न कोई दरोगा खबर गढ़ते खबरची से कहे कि आजम खान ने उससे फोन पर बात की है तो उस पर कोई भी राजनीतिक भरोसा नहीं कर सकता। पर खबर तो खबर होती है और खबर के बाजार में जो बिक जाये क्या वही खबर होती है यह सवाल फिर खड़ा हो गया है।

आजम खान ने बुधवार को मीडिया से कहा कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है और न ही वो इस बारे में कोई सफाई देना चाहते हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधान सभा में भाजपा को ठीक से घेरा और पूछा भी- मुजफ्फरनगर में कौन सा खेल हो रहा था जो हथियार लेकर लोग निकल पड़े थे। मुख्यमंत्री से इस मामले की जाँच कि माँग की गयी है जो बहुत मुश्किल नहीं है सिर्फ दरोगा लोगों के फोन के कॉल डिटेल सामने आते ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। साथ ही खबर गढ़ने की कलई भी खुल जायेगी। आजम खान को इसलिये निशाना नहीं बनाया गया है कि वे अहंकारी मंत्री है बल्कि इसलिये बनाया गया है कि वे मुसलमान हैं और दंगों में कोई मुसलमान मंत्री खासकर आजम खान के स्तर का अगर फँस जाये तो समूची सरकार घेरे में आयेगी और मुसलमानों को बेवजह निशाना बनाया जायेगा। यह काम सिर्फ दो दलों को फायदा दिलाता है एक भाजपा को दूसरे कांग्रेस को। अब इस राजनीति को समझने के लिये किसी पीएचडी की जरूरत तो नहीं है। http://www.hastakshep.com

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