एक अपने आपको हिन्दुओं का एकमात्र संरक्षक मानकर हिन्दू धर्म को बचाने की ठेकेदारी करता है तो दूसरा साफ कहता है कि वह हिन्दूओं का एक मात्र राजनीतिक दल है। लेकिन जब स्वार्थ टकराते हैं तो हिन्दू धर्म और राष्ट्रीयता पीछे छूट जाती है और दूसरों से लड़ने की बजाय अपनों में लड़ाई शुरू हो जाती है। ताजा मामला भी विश्व हिन्दू परिषद की चौरासी कोसी परिक्रमा से जुड़ा हुआ है जिसके बाद अब दोनों हिन्दूवादी एक दूसरे से भिड़ गये हैं और अदालत जाने की तैयारी है।
कहानी कुछ यूं है कि अपनी चौरासी कोसी परिक्रमा के दौरान विश्व हिन्दू परिषद ने जो झंडा इस्तेमाल किया, कथित तौर पर वह विश्व हिन्दू परिषद का नहीं बल्कि हिन्दू महासभा का है। हिन्दू महासभा का कहना है कि ऐसा जानबूझकर किया गया ताकि यह संदेश दिया जा सके कि विश्व हिन्दू परिषद और हिन्दू महासभा एक ही है। जबकि ऐसा है नहीं। महासभा ने जो अपना विरोध दर्ज कराया है उसमें कहा गया है कि विश्व हिन्दू परिषद ने जानबूझकर भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए हिन्दू महासभा का ध्वज इस्तेमाल किया। ताकि फैजाबाद लोकसभा सीट से उनके प्रत्याशी रवीन्द्र द्विवेदी को कमजोर किया जा सके। रवीन्द्र द्विवेदी को हिन्दू महासभा ने फैजाबाद से अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
हालांकि जमीनी हालत ऐसे हैं कि आज हिन्दू महासभा कोई ऐसी राजनीतिक धमक नहीं है उसके विरोध पर कोई बहुत बवाल खड़ा हो जाता लेकिन हिन्दू महासभा ने तय किया है वह विश्व हिन्दू परिषद के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। रवीन्द्र द्विवेदी हालांकि हिन्दूवादी नेता हैं लेकिन विहिप पर आरोप लगाते समय वे मुस्लिमवादी नेता से भी ज्यादा कठोर भाषा का इस्तेमाल करते हैं। उनका कहना है कि “विहिप अपने जन्म से ही हिन्दू महासभा को अपना जेबी संगठन बनाकर जनसंघ (भाजपा) के लिए इस्तेमाल करती रहती है। लेकिन अब हिन्दू महासभा न्यायालय के माध्यम से विहिप को करारा जबाब देने जा रही है।”
हिन्दू महासभा मानती है कि उसके वोट बैंक और समर्थकों को जानबूझकर विश्व हिन्दू परिषद भाजपा के बैनर तले लाना चाहती है और हिन्दू महासभा की छवि को खराब करना चाहती है। विहिप के इस रुख से हिन्दू महासभा के नेता और कार्यकर्ता खासे नाराज नजर आ रहे हैं और जगह जगह विश्व हिन्दू परिषद के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा रहे हैं। http://visfot.com