मजहब के आधार पर मतदान नहीं करें-दरगाह दीवान

dargaah deevan 4अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिष्ती के वंषज एवं सज्जादानषीन दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान कहा कि देष में हो रहे चुनाव को धार्मिक व जातीय चुनाव बनाने के लिये विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता सांप्रदायिक बयानबाजी से देष को बांटने का प्रयास कर रहे हैं और देष को विघटन की ओर घसीट रहे हैं। उहोंने देष की जनता से आव्हान किया कि ऐसे लोगों से सचेत रहकर बिना किसी भय, बिना धार्मिक कट्टरता के लोकतंत्र की मजबूती के लिये मतदान करें।
दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने एक बयान में कहा कि मौजूदा चुनाव के प्रचार के दौरान विभिन्न राजनीतिक व गैर राजनीतिक दलों एवं धार्मिक नेताओं द्वारा पार्टियों की नीति और परफॉरमेंस को नजरअंदाज करके सांम्प्रदायिक आधार पर मतदान करने की अपील करना देष को एक और विघटन की ओर ले जाना है, इसलिये हर नागरिक को समझना चाहिये कि ऐसे अवसरवादी ही देष कि असली दुष्मन हैं।
उन्होंने कहा कि मतदान देष के हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है, जिसे हर नागरिक को ज्यादा से ज्यादा मतदान प्रक्रिया में शामिल होकर भारत का नागरिक होते हुऐ अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझ कर वोट करना चाहिये, मगर भयमुक्त मतदान लोकतंत्र की मजबूती का मुख्य आधार है, इसलिये हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई बना कर मजहब के आधार पर मतदान नहीं करके देष के विकास एकता के लिये मतदान करें।
उन्होंने कहा कि वैष्विक स्तर पर होने वाले चुनाव राजनैतिक दलों की नीति व कार्यक्रमों एवं उसकी कार्यप्रणाली के आधार पर होता है, न कि धार्मिक कट्टरता के आधार पर,, जबकि हमारे देष बिलकुल इसके विपरीत राजनैतिक दल चुनावों को सांप्रदाकिता कि ओर मोड़ कर चुनाव में आमजन के वास्तविक मुद्दों को गौण करके धर्म के आधार पर चुनावी माहौल बनाने की साजिष कर रहे हैं। उन्होंने धर्म गुरू होने के नाते अपील की के देषवासी मतदान करते समय अपने धर्म को भूल कर राजनैतिक दल की नीति व सिद्धातों के मद्देनजर मतदान करें।
दीवान ने खासतौर पर मुसलमानो को संदेष दिया है कि जो राजनीतिक दल मुसलमानों से धर्म के आधार पर वोट डालने को आव्हान कर रहें है, उनसे सचेत रहते हुए किसी एक राजनितीक दल की हाथों की कठपुतली नहीं बनें।

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