अयोध्या : राम जन्मोत्सव के बाद राजनीति

ayodhya1देश  चुनाव में रमा है लेकिन अयोध्या में चुनाव ऐसा अभी कुछ भी नहीं। रामनगरी से चुनाव अभी 15 दिन दूर है क्योंकि रामनवमी 8 अप्रैल को है।  माना जाता है कि चैत्र मास की नवमी को ही भगवान राम प्रकट हुए थे। इस दिन यहाँ  मेला लगता है। रामनवमी मेला अयोध्या का विशिष्ट धार्मिक उत्सव है। रामनवमी की चहल-पहल चैत्र नवरात्र के पहले ही दिन से शुरू हो जाती है। रोज की तरह अयोध्या कि सुबह मंदिरों की घंटियों और मंत्रोच्चारों से होती है। माथे पर त्रिपुंड और टीका लगाये लोगों कि आवाजाही बताती है कि अयोध्या अभी अपने आराध्य भगवान राम के जन्मोत्सव की तैयारी में है। यानी रामवमी मेला पहले और चुनावी मेला बाद में।
अयोध्या की मुख्य सड़क पर ही अपनी पुरानी दुकान में खालिद भाई अपनी पुरानी हो चली मशीन पर नई-नई खड़ाऊं बनाने में व्यस्त हैं। खड़ाऊं को ख्याति इसी रामनगरी से ही मिली। रामकथा में वर्णित है कि पैर में पहनी जाने वाली खड़ाऊं को शासन करने लायक तो सूर्यवंश के शासकों ने ही बनाया। रामनगरी में बनी खड़ाऊं कैसी भी हो उसका महत्व ही अलग है। इसीलिए तो अयोध्या आने वाला श्रद्धालु खड़ाऊं खरीदना नहीं भूलता। रामराज्य कि खड़ाऊं अब रामनगरी में रोजी-रोटी का एक जरिया भी है। चुनाव चर्चा चलते ही पसीना हुए खालिद कहते हैं- राम जन्मोत्सव पहले चुनावोत्सव बाद में। इतना कहकर वे लकड़ी के पटरे पर खड़ाऊं ऐसे काटने लगे जैसे टेलर कोई  काटता है।  इसी सड़क पर कोतवाली के सामने चन्द्रा मारवाड़ी भोजनालय चलने वाले शख्स भी बोले-यहाँ चुनाव-उनाव रामनवमी के बाद ही दिखेगा। कोई कितना ही जोर लगा ले। उनकी बात का समर्थन खाने का पेमेंट कर रहे ग्राहक ने भी किया-” हाँ , यह तो है ” फैज़ाबाद-अयोध्या के बीच टेम्पो चलने वाले मुकेश कुमार चुनाव के बाबत पूछने पर मुस्कराये और नजर सवारियों पर लग गयी।
सरयू नदी के किनारे बसी ऐतिहासिक-पौराणिक नगरी अयोध्या काफी इतिहास अपने गर्भ में समेटे हुए है। वही अयोध्या जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी खोज नौ हजार साल पहले वेदों द्वारा पहले मनुष्य माने गए ” मनु ”  ने की थी। अयोध्या यानी भगवान विष्णु के सातवें अवतार वही भगवान राम जिनका नीति में विश्वास था राजनीति में नहीं।
गौरव अवस्थी
गौरव अवस्थी

फैज़ाबाद संसदीय क्षेत्र में आने वाली अयोध्या में हिंदुओं-मुसलमानों की मिली-जुली आबादी में लगभग 60 प्रतिशत हिन्दू और 40 फीसदी मुस्लिम हैं। इस संसदीय सीट में दरियाबाद , मिल्कीपुर , बीकापुर और रुदौली विस क्षेत्र भी आते हैं। राम के नाम की राजनीति के केंद्र में रह चुकी अयोध्या में वैसे 14 बार हुए आम चुनावो में अब तक सात बार कांग्रेस जीती है। भाजपा का खाता 1991 में पहली बार खुला था। तबसे अब तक तीन बार भाजपा आई है। अभी इस पर कांग्रेस के  निर्मल खत्री काबिज है। फैज़ाबाद में चुनाव के लिए नामांकन 12 अप्रैल से शुरू होंगे और वोट 7 मई को पड़ेंगे।

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