अजमेर 19 अक्टूबर। हार्टफूलनेस आॅरगेनाईजेशन के तत्वावधान में जाजू स्कूल आॅफ नर्सिंग में तीन दिवसीय हृदयानुभूति कार्यशाला सम्पन्न हुई जिसमें प्राणाहुति के माध्यम से ध्यान तथा शिथिलीकरण की प्रक्रिया की अनुभूति की गई।
हार्टफूलनेस आॅरगेनाईजेशन के प्रशिक्षक डाॅ. विकास सक्सेना ने कार्यशाला में हृदयानुभूति को हृदय से जीना बताया और कहा कि अपने हृदय से जुड़कर हम अपने उच्चतम से स्थिरता एवं शक्ति प्राप्त कर अपनी आंतरिक समझ द्वारा अपने जीवन को उचित दिशा प्रदान करते है। हम अपने जीवन की चुनौतियों को साहस के साथ स्वीकार करने के लिए तैयार होते है। हृदय के साथ रहते हुए हमें वह बनना है जो वास्तव में हमें बनना चाहिए। हृदयानुभूति राजयोग का एक परिष्कृत एवं सरल ध्यान करने की पद्धति है जो वर्तमान जीवनशैली एवं पारिवारिक जीवन के अनुकूल है। ध्यान द्वारा स्व को समझने की योग्यता प्राचीन यौगिक विधि प्राणाहुति के द्वारा आती है। यह पद्धति विश्व के 100 से अधिक देशों में ध्यान के अभ्यास के लिए प्रयोग में लायी जा रही है।
आॅरगेनाईजेशन के प्रशिक्षक अंकुल तिलक गहलोत ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारा जीवन भावनाओं और उत्तेजनाओं से प्रवाहित रहता है। जिनसे प्रभावित होकर हम हृदय से प्रेरणा प्राप्त करते है। हृदय पर ध्यान द्वारा मानव मन और हृदय के मध्य उत्तम समन्वय स्थापित हो जाता है। कार्यशाला में शिथिलीकरण और ध्यान के पश्चात नर्सिंग प्रथम वर्ष के प्रफुल्लित संभागीयों ने इसे अपने जीवन का अविस्मरणीय दिन बताया। नर्सिंग संस्थान के प्रधानाचार्य एस.एस.राॅय ने बताया कि इस तरह के आयोजन समय-समय पर सस्थान में होते रहने चाहिए इनकी नई पीढ़ी को महत्ती आवश्यकता है।