पिच्छी कराती है सम्यक दर्षन, ज्ञान, चारित्र का बोध- विमद सागर

अजमेर 24 नवम्बर । श्रमणाचार्य विमद सागर जी महाराज ने पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम के उपलक्ष्य अपने प्रवचन में कहा कि जिस व्यक्ति का पुण्य बहुत प्रबल होता है वही व्यक्ति ही धार्मिक कार्यो में भाग ले सकता है और पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम देखकर ही व्यक्ति हृदय परिवर्तन होता हैं। हमें मिला है नर तन, क्यों करे पंच परावर्तन, हमे कर लेना है पिच्छी परिवर्तन। पिच्छी मुनियां का उपकरण हैं इसमे तीन चीजे होती हैं डंडी, रस्सी और मयूर पंख ये तीनो चीजे सम्यक दर्षन, ज्ञान, चारित्र का बोध कराती हैं । पिच्छी मे बारह बंच होते हैं जो बारह भावना का प्रतिक रूप होते है क्योंकि बारह भावना मे जैन धर्म का सार हैं। समवषरण मे 12 सभाएं होती हैं उसी प्रकार पिच्छी में भी बारह बंच होते हैं। एक बंच मे 60 मयूर पंख होते हैं इस प्रकार पिच्छी में 720 मयूर पंख होते हैं। जैन धर्म में जिस प्रकार 30 चौबिसी के 24 तीर्थकरों के जिनालय होते है कुल 720 जिनालय होते है इसलिए पिच्छी में 720 मयूर पंख होते है।
आर्चायश्री ने मयूर पंख ही पिच्छी में क्यो काम में लिया जाता है बताया क्योंकि मोरनी जब बंसत ॠतृ में मोर के खुष होकर नाचने से उसकी आंॅख से आसू गिरने मात्र से ही गर्भवती होती हैं वह संयम को धारण करती हैं दूसरा मयूर पंख इतना कोमल होता हैं कि यदि आंच में पंख लगाया जाए तो भी आच में कुछ नही होता है। मयूर पंख धूल-मिटटी को ग्रहण नही करता है, पसीना ग्रहण नही करता है, पिच्छी हल्की होती है छोटी होती हैं और सुन्दर होती हैं इसलिए जैन मुनि मयूर पिच्छी ही धारण करते है इसी से जैन मुनियों का पहचान है।
भजन भी है तेरी प्रतिमा इतनी सुन्दर तु कितना सुन्दर होगा,
तेरी पिच्छी कितनी कोमल तू कितना कोमल होगा।
पिच्छी को वही व्यक्ति ले सकता है और दे सकता है जो व्यक्ति संयम को धारण करता है।
केलेन्द्र पुनविया ने बताया कि क्षुल्लक श्री परिणाम सागर जी महाराज को देने का सौभाग्य मदन चंद, रेखा, खुषी, शांतिदेवी, मंजू प्रथम को मिला तथा पुरानी पिच्छी कुलदीप को मिली, क्षुल्लक परिणाम सागर जी महाराज को पिच्छी देने को सौभाग्य षिवलाल, हुक्मचंद, लक्की, मंजू को मिला तथा पुरानी पिच्छी प्रांषु जैन को मिली, मुनि श्री प्रक्षाल सागर जी महाराज को पिच्छी देने को सौभाग्य केलेन्द्र,अजित, जयचंदख् महेन्द्र, प्रमोद, मनोरमा को मिला तथा पुरानी पिच्छी विकास कुमार अनुज कुमार को मिली, मुनि श्री सुब्रत सागर जी महाराज को पिच्छी देने को सौभाग्य रमेषचंद, बीना, इन्द्रा, हैमचंद, विनित को मिला तथा पुरानी पिच्छी मनोज कुमार दनगसिाया को मिली, आचार्यश्री को पिच्छी देने का सौभाग्य पुनीत, बबलू, स्वीटी, अजय, बंसतजी कोटा, राकेष, संगीता को मिला तथा पुरानी पिच्छी ललित कुमार पांडया को मिली।
केलेन्द्र पुनविया ने बताया कि आज कार्यक्रम में मंगलाचरण ब्राम्हर महिला मंडर एंव बालिका मंडल ने भक्ति नृत्य के साथ किया, दीप प्रज्जवलन ंएव चित्र अनावरण विधी चंद विषम्बर दयाल, शास्त्र भेंट कोटा के बंसत जी द्वारा किया गया। आचार्य श्री दिनांक 26 एंव 27 नवम्बर को नंसियाजी में मंगल प्रवचन देगे।

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