अजमेर 29 सितम्बर: जाप में जाग है, जाप करते हुए भी पाप करने वाले हैं। माला फेरते हुए भी ध्यान दूसरी ओर जाता हैं, भटकता हैं जिससे जाप व्यर्थ हो जाती हैं। धर्म की क्रिया करते है किन्तु प्रक्रिया में चूक कर जाते है फलतः वांछित परिणाम नही मिलता हैं प्रमाण सागर महाराज ने आज अपने प्रवचन में कहा। उन्होने अपने प्रवचन मे कहा कि जाप क्या हैं, कैसे करनी चाहिए, जाप करने का परिणाम क्या है और जाप मे ंक्या क्या कर सकते हैं। जाप को मंत्र हमेशा गुरू से लेना चाहिए और जाप करो तो संख्या का संकल्प पूर्वक करना चाहिए उसी जाप का फल मिलता है।
जाप क्या हैं ? किसी भी शब्द को बार बार दोहराना जाप है। एक ही मंत्र को बार बार जपो यही जाप हैं, जाप पापात्मक प्रवृतियों से बचने के लिए किया जाता है। जाप आप प्रतिदिन करते है व्यापारी कहता है मेरे पास ग्राहक आये ग्राहक आये बार बार कहता है यह भी जाप है लेकिन यह जाप परमात्मा के लिए नही पापात्मक हैं।
जाप कैसे करनी चाहिए ? जाप करने के तीन भेद हैं पाठ, उपासु और मानस। पाठ किसी मंत्र को जोर जोर से उच्चारण करना, भक्ति के साथ उच्चारण करना, संगीत के साथ उच्चारण करना पाठ कहलाता है। किसी मंत्र को बार बार बोलना लेकिन उसकी आवाज न आना। आपके होठ तो हिल रहे है लेकिन आवाज नही आ रही है यह उपासु जाप। किसी मंत्र को मन ही मन में बोलना होठ भी नही हिले यह हैं मानस जाप। मानस जाप को सर्वोच्च जाप कहा जाता है।
जाप वही करना चाहिए जहां शुद्धता होती हैं, एंकान्त होता है। क्योंकि जहां जाप होता है वहां विशेष उर्जा का संचार होने लगता है जो हमारे तन व मन को विशेष प्रभाव डालती हैं। जाप की माला को हमेशा अपनी नाभि के उपर होना चाहिए तथा जाप करते समय माला की मेरू सर्व प्रथम माथे पर लगाकर जाप शुरू करनी चाहिए तथा जाप की माला का मेरू का उल्लंधन नही करना चाहिए। अपने मन को मनकों में लगाने का नाम ही जाप है। मन से जाप करो खंडित मन से नही।
कभी सोचा जाप की माला में 108 ही मनके क्यो होते है इसका बहुत ही बडा लोजिक हैं।
1. हम 24 घंटे में 21600 बार श्वास लेते हैं और उसमें से 12 घंटे सोने व अन्य क्रियाओं के निकाल दो शेष 12 घंटे में हम 10800 बार श्वास लेते है अपनी प्रत्येक श्वास को प्रभु के स्मरण में बिताओं इसलिए इसमें से 00 हटाओं तो शेष 108 ही बचता हैं इसलिए इसमें 108 मनके होते है।
2. सूर्य कि कलाओं मे 108000 कलांए होती हैं जो छः माह उत्तरायण तथा छः माह दक्षिणायणा में होती है। इसमे ंसे 000 अलग कर दो तों तो 108 ही जाप के हाते है।
3. भूमण्डल में 27 नक्षत्र होते है प्रत्येंक के चार चार क्षत्र होते हैं इस प्रकार कुल 108 क्षत्र एंव नक्षत्र होते है इन सभी नक्षत्रों को प्रभाव हमारे प्रति अनुकुल रहे इसलिए 108 मनके होते है।
4. भामण्डल में 12 राशियां और 9 ग्रह है इस प्रकार कुल 108 हुए यह सभी मेरे अनुकुल रहे इसलिए 108 मनके होते है।
5. 108 अक्षर ब्रम्हा का प्रतिक होता हैं अर्थात ब र म ह । वर्णमाला में ब अक्षर 23 नम्बर पर, र अक्षर 27 नम्बर पर, ह अक्षर 33 नम्बर पर एंव म अक्षर 25 नम्बर पर आता है इनको जोडे तो 108 होता है। ब्रम्ह अक्षर अपने आप में 108 का घोतक होता है।
6. 9 अक्षर में परमात्मा है और 8 अक्षर में संसार हैं 108 का जोड 9 होता है इसलिए माला मे 108 मनके होते हैं।
सह प्रवक्ता दिनेश सेठी ने बताया कि आज की धर्म सभा का मंच संचालन केलेन्द्र कुमार पुनविया द्वारा किया गया तथा धर्म सभा के शुभारंभ में ब्र0 चंदना दीदी के मंगलाचरण प्रस्तुत दी गई। तत्पश्चात् मांगलिक क्रियाएं सम्पन्न कराने का सौभाग्य श्री नरेन्द्र कुमार, इन्द्रा, तेज कुमार, प्रतिभा जैन जेएमडी परिवार इन्दौर एंव डा अनिल कुंमार विजिया जैन भीमनगांव द्वारा किया गया। समिति के ओर से प्रदीप पाटनी, सरस्वती देवी, अजय दनगसिया सुरेन्द गंगवाल द्वारा आगंन्तुको का स्वागत एंव अभिनन्दन किया गया। समिति के अजय दनगसिया, केलेन्द्र पुनविया, अंकित पाटनी, प्रदीप पाटनी, ज्ञानचंद गदिया एंव सुनिल ढिलवारी, पारसमल बाकलीबाल, मोहन जैन विदिशा, अतुल सहित समस्त जैन समाज उपस्थित थी।
सह प्रवक्ता केलेन्द्र पुनविया ने बताया कि परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के पावन चरण अजमेर आगमन एंव सर्व विध्नोपद्रव निवारणार्थ महामंत्र णमोकार का कोटि जाप्यानुष्ठान दिनांक 1 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक आयोजित किया जावेगा इस कार्यक्रम में 2000 श्रृद्धालुओं के भाग लेने की संभावना हैं । जाप अनुष्ठान प्रातः 5.00 बजे से प्रारंभ होकर 6.15 बजे तक, 6.15 से 7.00 बजे तक श्रीजी के अभिषेक शांतिधारा एवं पूजन, 7.00 बजे से 8.30 बजे तक पुनः जाप अनुष्ठान 8.30 बजे से 9.00 बजे तक मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज के प्रवचन एवं पुनः 9.00 बजे से जाप अनुष्ठान । सांय 6.15 बजे शंका समाधान का कार्यक्रम आयोजित किया जावेगा। शंका समाधान का सीधा प्रसारण जिनवाणी चैनल पर किया जाता है।
दिनेश सेठी,
सह-प्रवक्ता, 9829122270