शरिया कानून में दखल ना दे भाजपा सरकार

12 अक्टूबर को जमियत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय महासचिव सैयद महमूद मदनी संक्षिप्त दौरे पर अजमेर आए। मदनी ने यहां कायड़ विश्राम स्थली पर नवम्बर में होने वाले जमियत के राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लिया। 10 से 12 नवम्बर के बीच होने वाले सम्मेलन में जमियत से जुड़े हजारों मुसलमान भाग लेंगे। मदनी को विश्राम स्थली पर मौलाना अयूब कासमी ने तैयारियों के बारे में जानकारी दी। इसी मौके पर मीडिया से संवाद करते हुए महमूद मदनी ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार को मुसलमानों के शरिया कानून में दखल नहीं देना चाहिए। कुछ मुस्लिम औरतों की याचिका तीन तलाक के मामले में सरकार ने जो हलफनामा दिया है, वह पूरी तरह शरीया कानून के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय में अधिकांश महिलाएं शरीया कानून का समर्थन करती है, सरकार चाहे तो जनमत संग्रह भी करा ले। उन्होंने कहा कि तीन तलाक के मामले को देश में गलत तरीकों से प्रचारित किया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि पाकिस्तान सहित 21 मुस्लिम देशों में 3 तलाक पर रोक लगी है। असल में इन देशों में तीन तलाक पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए हंै, ऐसे सभी प्रतिबंध शरीया कानून के अंतर्गत ही है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम धर्म में तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कह देने से तलाक नहीं हो जाता। इसकी एक प्रक्रिया है। जिससे सभी को गुजरना होता है। सरकार को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती हो।
यूपी चुनाव के कारण
मदनी ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के कारण तीन तलाक का मुद्दा उछाल रही है। सरकार इस मुद्दे को उछाल कर यूपी का चुनाव जीतना चाहती है। भाजपा के नेताओं को लगता है कि इससे हिन्दुओं के वोट एकजुट हो जाएंगे। इसलिए समान नागरिक आचार संहिता की भी बात कही जा रही है। भाजपा के नेता यह अच्छी तरह समझे कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। देश के संविधान में लिखा है कि हर व्यक्ति अपने धर्म के अनुरूप आचरण कर रह सकता है। मुसलमानों को भी अपने शरीया कानून के तहत रहने का संवैधानिक अधिकार है।
सम्मेलन में उठाएंगे मुद्दा
मदनी ने कहा कि नवम्बर में अजमेर में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में भी तीन तलाक के मुद्दे को रखा जाएगा। सम्मेलन में जो भी प्रस्ताव पास होंगे, उन्हें सरकार को भी भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम समाज में शिक्षा की सख्त जरूरत है। सरकार योजनाएं तो बनाती है, लेकिन उसका लाभ जरूरतमंद मुसलमान को नहीं मिलता। जमियत उलेमा-ए-हिंद पूरे देश में मुसलमानों की तरक्की के लिए काम कर रहा है।
(एस.पी. मित्तल)

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