अजमेर। जिला कलक्टर वैभव गालरिया ने अनुसूचित जाति जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज प्रकरणों के निस्तारण में समयबद्घ विश्लेषण करने की आवश्यकता जाहिर की है ।
गालरिया कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में अनुसूचित जाति जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज प्रकरणों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले 3 माह से ज्यादा लम्बित नहीं रहे, इसके लिए संबंधित अधिकारियों को पाबन्द करने, लम्बित प्रकरणों का समयबद्घ विश्लेषण कर निस्तारण अवधि सुनिश्चित की जानी चाहिए।
इसके लिए उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक जे.पी.चांवरिया से पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में लम्बित प्रकरणों के कारणों का पता लगाकर उन्हें दूर करने को कहा और प्रगति रिपोर्ट में भी पूरी सूचना के साथ प्रकरण के लम्बित रहने के कारण को स्पष्ट करने के निर्देश दिये।
उन्होंने प्रकरणों में सहायता अविलम्ब देने के लिए कार्यवाही में हो रहे गैप को दूर करने पुराने मामलों के लम्बित रहने के कारणों का पता लगाने आदि कई बिन्दुओं पर निर्देश दिये।
जिला पुलिस अधीक्षक राजेश मीना ने बताया कि अनुसूचित जाति जनजाति के प्रकरणों में पुलिस प्रशासनिक स्तर पर तत्परता से कार्यवाही की जाती है और मामलो में अंतिम सूचना रिपोर्ट से भी संबंधित व्यक्तियों को अवगत करा दिया जाता है।
अनुसूचित जाति, जनजाति विशिष्ठ लोक अभियोजक एडवोकेट जयबहादुर माथुर ने भी लम्बित प्रकरणों के निस्तारण में तेजी लाने के बारे में सुझाव दिये। उपनिदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जे.पी.चांवरिया ने बताया कि अब तक अनुसूचित जाति के 38 पीडि़तों को 13.55 लाख तथा अनुसूचित जन जाति के 9 व्यक्तियों को 2.35 लाख रूपये की सहायता का भुगतान किया गया है। 40 प्रकरण लम्बित है, 14 प्रकरणों में मुल्जिम बरी हुए है।
बैठक में समिति के सदस्य जगदीश जीनगर, रामबाबू शुभम, पांचूलाल फुलवारी, लक्ष्मी रमेश चौधरी व रामनिवास किरडिय़ा ने अनुसूचित जाति, जनजाति के प्रकरणों में पीडि़त पक्ष को अविलम्ब सहायता व निर्णय उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
अतिरिक्त जिला कलक्टर शहर ने एक हरिजन पीडि़त बालिका को 1.20 लाख रूपये की उसके नाम एफ.डी. कराने की बात कही, जिसे जिला कलक्टर ने स्वीकार कर निर्देश दिये। इसमें जिला कोषाधिकारी लखपत मीना, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेश सिंधी, पार्षद एम.एल.शर्मा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।