जयपुर में साल की पहली तिमाही में HbA1c का स्तर 8.20% से बढ़कर 8.50% हुआ
· जयपुर में अध्ययन में शामिल किये गये रोगियों की औसत आयु 56 वर्ष थी, जिनमें से 61 प्रतिशत पुरूष और 39 प्रतिशत महिलाएं थीं
डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ज्यादा गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है, यदि वे कोविड19 से संक्रमित होते हैं
जयपुर, 11 मई, 2020: इंडिया डायबिटीज केयर इंडेक्स (IDCI) के हाल के आंकड़ों के अनुसार, जयपुर में पिछले साल की तिमाही के मुकाबले, जनवरी से मार्च 2020 के बीच ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन या HbA1c का स्तर 8.21% से बढ़कर 8.28% पहुंच गया है। HbA1c के स्तर में वृद्धि का यह आंकड़ा उस समय आया है जब चिकित्सकीय शोधों में यह कहा जा रहा है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को कोविड-19 की वजह से ज्यादा गंभीर परिणामों का खतरा बढ़ गया है। इंडिया डायबिटीज केयर इंडेक्स, नोवो नोर्डिस्क एज्युकेशन फाउंडेशन के ‘इम्पैक्ट इंडियाः 1000-डे चैलेंज’ प्रोग्राम का हिस्सा है और विभिन्न मापदंडों के माध्यम से अलग-अलग शहरों में ब्लड ग्लूकोज के स्तरों का अध्ययन करता है।
HbA1c टेस्ट से पिछले तीन महीनों के दौरान के औसत ब्लड ग्लूकोज स्तर का पता चलता है और लंबे समय में ब्लड ग्लूकोज नियंत्रण करने का सबसे अच्छा इंडीकेटर माना जाता है। जयपुर में परीक्षण में हिस्सा लेने वाले लोगों की औसत आयु 56 वर्ष थी, जिनमें 61 % पुरुष और 39 % महिलाएं थीं। यही नहीं, जांच में भोजन के बाद का ग्लूकोज का स्तर जनवरी से मार्च 2020 की तिमाही में 257 mg/dl पाया गया और खाली पेट ग्लूकोज का औसत स्तर 171 mg/dl था।
डायबिटीज के साथ रह रहे लोगों को यदि ‘कोविड-19’ का संक्रमण हो जाता है तो उन्हें गंभीर लक्षण और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि उनकी डायबिटीज का प्रबंधन सही तरीके से नहीं किया जाये तो यह स्थिति और भी बुरी हो सकती है। साथ ही यह बात ध्यान देने योग्य है कि यदि, HbA1c में 1% की कमी डायबिटीज संबंधी परेशानियों के खतरे को कम कर सकता है, जिसमें हार्ट फेल्यिर का खतरा 16% और हार्ट अटैक का खतरा 14% तक कम होना शामिल है। ऐसे बुजुर्ग जो पहले से ही हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज, पल्मोनरी डिसऑर्डर और ओबेसिटी जैसी परेशानियों से जूझ रहे हैं, उन्हें कोविड-19 की वजह से और भी गंभीर परिणाम भुगतने का खतरा है।
शहर में HbA1C के उच्च स्तर और लॉकडाउन के दौरान मरीजों को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उसके बारे में बताते डॉ. शैलेष लोढ़ा, एचओडी एवं सीनियर कंसल्टेंट- डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी, एटर्नल हॉस्पिटल ने कहा, ‘’कोविड-19 की वजह से मौजूदा लॉकडाउन की स्थिति में, डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अपनी सेहत और तंदुरुस्ती को लेकर सतर्क रहना चाहिये। उन्हे कोविड-19 की वजह से गंभीर समस्याएं होने का खतरा है और इसकी वजह से डायबिटीज मरीजों की ज्यादा मौतें हो सकती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्हें सेहतमंद दिनचर्या का पालन करना चाहिये, ताकि ब्लड ग्लूकोज का स्तर तय सीमा में रहे। बतायी गयी दवाओं के साथ डायबिटीज मरीजों को प्रभावी तरीके से डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिये घर पर ही एक्सरसाइज करनी चाहिये
वर्तमान में, भारत में 77 मिलियन से भी ज्यादा लोग डायबिटीज के साथ जीवन जी रहे हैं। लॉकडाउन की स्थिति में उनकी पर्याप्त देखभाल हो सके और उनकी समस्या सही तरीके से मैनेज करने में मदद मिल सके, इसके लिये भारत सरकार ने कहा कि डायबिटीज के सभी ज्ञात/पहचान किये गये मरीजों को आशा (एक्रीडेटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट) या एसएचसी (सब हेल्थ सेंटर्स) के माध्यम से पर्ची के अनुसार तीन महीने की दवाइयां उपलब्ध करायी जायेंगी।
‘इम्पैक्ट इंडिया प्रोग्राम’ के बारे में बताते हुए, डॉ. अनिल शिंदे, ट्रस्टी, नोवो नॉर्डिस्क एजुकेशन फाउंडेशन का कहना है, ‘’इंडिया डायबिटीज केयर इंडेक्स’ के माध्यम से, हमारा लक्ष्य भारत में डायबिटीज की देखभाल की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाना है। हाल के परिणामों में यह बात कही गयी है कि डायबिटीज की देखभाल पर कड़ी निगरानी रखना होगा, क्योंकि यदि डायबिटीज का सही तरीके से प्रबंधन कर लिया गया तो कोविड-19 की वजह से होने वाली गंभीर बीमारियों का खतरा आम लोगों की तरह ही कम किया जा सकता है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को भी पूरी सावधानी बरतनी चाहिये ताकि कोविड -19 के खतरे को कम किया जा सके और लॉकडाउन के दौरान सुरक्षित रहा जा सके।‘’
डायबिटीज मरीजों को घर पर अपने पास पर्याप्त दवाओं का स्टॉक रखना चाहिये और ब्लड ग्लूकोज को मॉनिटर करने की सप्लाई भी होनी चाहिए। उन्हें सामान्य तरह के कार्बोहाइड्रेट जैसे शहद, जैम और कैंडीज का भी पर्याप्त स्टॉक रखना चाहिये। उन्हें ग्लाइसेमिक (ब्लड ग्लूकोज का उच्च या निम्न स्तर) की बुरी स्थिति में ग्लूकोज और कीटॉन स्ट्रिप्स भी रखनी चाहिये। डायबिटीज मरीजों को चेतावनी वाले संकेतों जैसे सांस लेने में परेशानी या सांस ना आना, सीने में लगातार दर्द या दबाव महसूस होना, भ्रम या घबराहट महसूस होना, होंठ या चेहरे का नीला पड़ जाना, पर भी नज़र रखनी चाहिये। यदि उन्हें कोविड-19 हो गया है या फिर इसकी शंका है तो डायबिटीज मरीजों को अस्पताल फोन करके या अपने फिजिशियन से बात करके तुरंत ही चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिये और उन्हें अपनी स्थिति से अवगत करना चाहिये।
‘इम्पैक्ट इंडियाः 1000-डे चैलेंज’ प्रोग्राम वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था, ताकि भारत में डायबिटीज के अपर्याप्त नियंत्रण की समस्या का समाधान किया जा सके। इस प्रोग्राम का उद्देश्य है HbA1c के राष्ट्रीय औसत को घटाकर 1 प्रतिशत करना, जिससे भारत में डायबिटीज से सम्बंधित जटिलताओं का जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है। iDCI (इंडियन डायबिटीज केयर इंडेक्स) इस प्रोग्राम का हिस्सा है, जो वर्ष 2018 में प्रस्तुत किया गया था, ताकि देश में डायबिटीज केयर में सुधार लाया जा सके। बिग डेटा एनालिटिक्स के आधार पर iDCI भारत के चयनित शहरों में औसत HbA1c का रियल-टाइम व्यू दे रहा है। इम्पैक्ट इंडिया प्रोग्राम के अंतर्गत स्वास्थ्यसेवा पेशेवरों (डॉक्टरों और पैरामेडिक्स) के साथ भागीदारी के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग किया जा रहा है, ताकि भारत में डायबिटीज के उपचार को बेहतर बनाने के लिए एक दृष्टिकोण को विकसित कर उसे लागू किया जा सके। iDCI® एक डायनैमिक टूल है, जो न सिर्फ डायबिटीज केयर की स्थिति बताता है बल्कि स्वास्थ्यसेवा पेशेवरों (एचसीपी) एवं समाज के बीच जागरूकता फैलाने, उन्हें प्रेरित करने तथा संवेदनशील बनाने में भी मदद करता है। इम्पैक्ट इंडिया प्रोग्राम स्वास्थ्यसेवा पेशेवरों (एचसीपी), समाज/रोगी के साथ संलग्नता और निगरानी द्वारा संवाद के जरिये तीन बिन्दुओं वाले अपने दृष्टिकोण को जारी रखेगा।