लोकपाल पास हो गया, काफी चर्चा हो रही है, अब आम आदमी पार्टी के पास कोई मुद्दा नहीं,
मैं भी सोच रहा हूँ, लोकपाल पास हो गया, अब मुझे आम आदमी पार्टी छोड़ देनी चाहिए,
इस सोच में ही मैं घर से निकला, मेरा पैर एक खड्डे में जा गिरा सड़क टूटी हुई थी, नाली का गन्दा पानी उस में पड़ रहा था,
मैं आगे बड़ा स्कूल के बाहर कुछ बच्चे बैठे बात कर रहे थे कब बदलेगी स्कूल की दशा,
थोड़ी और आगे एक सरकारी राशन की दुकान पर शौर हो रहा था ,
लोग कह रहे थे ये डिप्पू वाला पुरा राशन नहीं देता,
मैं सुन कर आगे बड़ गया , आगे सरकारी अस्पताल बंद पड़ा था ,
मैं चलता रहा, पुलिस चोंकी से कुछ लोग बाहर आ रहे थे बिचारे दुखी थे कोई उनकी FIR लिखने को तैयार नहीं था ,
मैं बापिस घर की तरफ चल पड़ा और फैंसला किया मैं आम आदमी पार्टी कैसे छोड़ सकता हूँ,
अभी बहुत काम बाकी है,
अभी बदला ही क्या है,
इस लोकपाल में मेरे लिए है ही क्या !
– मैं एक आम आदमी
प्रस्तुति कीर्ति पाठक