–अमलेन्दु उपाध्याय- अभी तक देशवासी श्रीरामसेने, हिंदू रक्षक सेना, शिव सेना, मनसे, संघ कबीले जैसे संगठनों के सांस्कृतिक आतंकवाद से त्रस्त थे अब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में “आम आदमी पार्टी” इस सांस्कृतिक आतंकवाद की नई कमांडर बनकर उभर रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के विवादास्पद कानून मंत्री सोमनाथ भारती अपने कुछ समर्थकों के साथ बीती 15 जनवरी की आधी रात दिल्ली के खिड़की गाँव गए थे, जहाँ एक घर पर छापा मारने से इनकार करने के बाद दिल्ली पुलिस के एसीपी से उनकी बहस हो गई थी। सोमनाथ भारती का आरोप था कि उस इमारत से वेश्यावृत्ति और ड्रग्स की तस्करी का रैकेट चलता है। इसके बाद भारती अपने समर्थकों के साथ उस महिला के घर में जबरन घुस गए। भारती, पुलिस के साथ चारों महिलाओं को एम्स भी ले गए थे, जहां उनका मेडिकल चेकअप कराया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेडिकल चेकअप में ड्रग्स के सेवन की पुष्टि नहीं हुई। इसके बाद लड़कियों ने मंत्री के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। महिलाओं ने आरोप लगाया है मंत्री भारती और उनके साथ मौजूद लोगों ने न केवल उनके साथ मारपीट की बल्कि उन्हें जबरदस्ती गाड़ी में घुमाते रहे।
विदेशी महिलाओं के वकील और पूर्व महान्यायवादी हरीश साल्वे ने सोमनाथ भारती पर आरोप लगाया है कि कानून मंत्री की ओर से की गई छापेमारी के दौरान उन्होंने अपने समर्थकों के साथ महिलाओं को जबरन बंधक बनाकर उन्हें धमकी दी। मीडिया में साल्वे का बयान आया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि इनमें से एक महिला को शौचालय तक नहीं जाने दिया और मजबूरन उसे लोगों के सामने ही शौच करना पड़ा।
अदालत ने इस मामले में दिल्ली के मालवीयनगर थाने में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। विदेशी महिलाओं ने सोमनाथ भारती और उनके समर्थकों के खिलाफ मालवीय नगर थाने में पहले ही शिकायत की है। मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस के हवाले से कहा गया है, इन आरोपों में आईपीसी की धारा 342, 509 और अन्य कई धाराओं के तहत जबरन बंद करने और महिला की मर्यादा भंग करने का मामला बनता है।
इस प्रकरण में सर्वाधिक निंदनीय यह है कि आम आदमी पार्टी के सर्वोच्च कमांडर न केवल इन आरोपों को खारिज कर रहे हैं बल्कि बहुत ही निर्लज्जता के साथ सोमनाथ भारती का ठीक उसी तरह बचाव कर रहे हैं जिस तरह संघ कबीले के लोग कुछ समय पहले किसी साहेब या आसाराम का कर रहे थे।
सोमनाथ भारती की यह हरकत न केवल महिलाओं के साथ अपमानजनक व्यवहार के मद्देनजर निंदनीय है बल्कि यह घटना अंतर्राष्ट्रीय सम्बंधों के लिहाज से भारत के लिए खासी घातक है।
अगर अंतर्राष्ट्रीय सम्बंधों की बात एकबारगी न भी की जाए तो सोमनाथ भारती को भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार मिल गया ? भारती यह भूल गए कि वे दिल्ली सरकार के कानून मंत्री है, पुलिस कमिश्नर नहीं। आखिर उन्हें अपनी हैसियत तो बतानी ही चाहिए कि किस हैसियत से वह पुलिस को हुक्म दे रहे थे और विदेशी छात्राओं को बंधक बना रहे थे। भारती की हरकत हर दृष्टि से अपराध ही है। बेहतर तो यही होगा कि केजरीवाल स्वयं उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर समूचे राष्ट्र से, विदेशी छात्राओं से बिना शर्त माफी माँगें। लेकिन केजरीवाल तो सियासी टोने-टोटकों में परंपरागत राजनीतिक दलों से बहुत आगे निकल गए।
दरअसल आम आदमी पार्टी के लोग बहुत जल्दी में हैं और किसी भी तरह उचक कर लुटियन पहाड़ियों पर चढ़ जाना चाहते हैं, इसलिए लगातार ओछी हरकतें करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इस हड़बड़ी में आप के लोग यह भी खयाल नहीं कर रहे कि उनकी इन बेजा हरकतों का उनके ही समर्थक अप्रवासी भारतीयों को क्या कीमत चुकानी पड़ेगी।
आप की इस हरकत से प्रवासी भारतीयों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। आम आदमी पार्टी की सफलता में सबसे बड़ा योगदान इन्हीं प्रवासी भारतीयों का है, जिन्होंने केजरीवाल समूह को करोड़ों रुपए का चंदा भी दिया और चुनाव में उन्हें जिताने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर भी लगाया। लेकिन क्या सोचा है कि अगर सोमनाथ भारती की इस ओछी हरकत की प्रतिक्रिया अफ्रीकी देशों में हुई तो क्या परिणाम होंगे। ठीक उसी तरह जिस तरह “आप” के लोग अफ्रीकी मूल के लोगों को यहां नशे का कारोबारी और वेश्यवृत्ति करने वालों के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं, कमोवेश भारत भी सारी दुनिया में संपेरों के देश में ही जाना जाता है। तो क्या कल अमरीका, ब्रिटेन या आस्ट्रेलिया में भारतीयों पर संपेरा कहकर हमले किए जाएं तो वह स्वीकार्य होगा?
सवाल यह है कि अगर देवयानी खोब्रागड़े पर अमरीकी कानून के मुताबिक कार्रवाई होती है तो हम भारतीयों की आत्मा जाग जाती है, स्वाभिमान जाग जाता है, आस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हमले होते हैं तो हमें नस्लवाद विरोध याद आता है, शिल्पा शेट्टी पर बिग ब्रदर के कार्यक्रम में टिप्पणी होती है तो हम बेचैन हो उठते हैं। अगर ऐसी घटनाओं पर हमारा भड़कना जायज है तो अरविंद केजरीवाल की आँखों के तारे सोमनाथ भारती के इस दुष्कृत्य और उनका बचाव कर रहे मनीष सिसौदिया से लेकर केजरीवाल तक का आचरण किस श्रेणी में आता है ? क्या यह हमारी विश्व बंधुत्व, वसुधव कुटुम्कम और अतिथि देवो भव की परंपराओं के अनुकूल है? क्या यह भारतीय संस्कृति का अपमान नहीं है?
भारती ने न केवल नस्लवादी कार्रवाई की बल्कि महिला विरोधी आचरण भी किया। जैसा कि आरोप है कि बंधक बनाई गई महिलाओं में से एक महिला को शौचालय तक नहीं जाने दिया और मजबूरन उसे लोगों के सामने ही शौच करना पड़ा, यह गंभीर अपराध है और अगर 16 दिसंबर की घटना पर उबलने वाले केजरीवाल में तनिक भी मानवता और महिलाओं के प्रति सम्मान बाकी बचा है तो उन्हें भारती को एक मिनट भी अपने मंत्रिमंडल में नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह हरकत किसी भी सूरत में 16 दिसंबर से कम आपराधिक नहीं है।
दरअसल यह घटना सिर्फ एक मामूली घटना भर नहीं है बल्कि यह “आप” की आने वाले दिनों की राजनीति की दिशा का इशारा कर रही है। भगवा शेर नरेंद्र मोदी से टक्कर लेने के लिए आप, संघ कबीले से चार कदम आगे निकलना चाहती है, चूँकि उसके पास समय कम है इसलिए आक्रामकता भी संघ कबीले से ज्यादा आ रही है। याद रखना होगा कि नस्लवाद ही सांप्रदायिकता और जातिवाद का उद्गम है। जो लोग आज नस्लवादी घृणा का सहारा ले रहे हैं वह कल को सांप्रदायिकता और जातीय हिंसा का सहारा लेने से भी हिचकेंगे नहीं। क्या हम वास्तव में एक और सांस्कृतिक आतंकी संगठन को बढ़ावा दे रहे हैं ?