मारुती का प्लांट फिर शुरू : शोषणकारी है सरकारी नीतियाँ

पिछले महीने लड़ाई झगडे के बाद मारुती का जो प्लांट बंद कर दिया था वो फिर चालू हो गया ये कोई खुशखबरी नहीं, कभी किसी ने गहराई से नहीं सोचा ये हुआ क्यों.
क्यों मजदूर अपने ही मालिक का खून कने लगे इसके गर्त में है शोषण. किसी मजदूर को 16500 किसी को मात्र 6500 (तहलका हिंदी ) जबकि काम दोनों का बराबर है पर स्थाई है दूसरा अस्थाई. ऐसा भेदभाव क्यों.
और आज कल ऐसा ही भद्दा मजाक केंद्र और राज्यों की सरकार भी बेरोजगारों के साथ कर रही है आउटसोर्सिंग के नाम पर जहाँ पड़े लिखे लोगो से कम पगार के काम कराया जाता है.
जिसमे नंबर एक है आयकर विभाग. इसमें जितने भी कंप्यूटर और दुसरे काम है उसमे बेरोजगारों का फुल शोषण हो रहा है.
समान कार्य के लिए समान वेतन के बारे में सुप्रीम कोर्ट निर्णय दे चूका है पर सरकार को तो हेलीकाप्टर और हवाई जहांज में तेल फुकने से पैसा बचे तो वो समान वेतन दे ना.
सरकार भी बेरोजगारों के मजे ले रही है की करेगा झक मार के कम पैसो में काम. जबकि सरकार की जिम्मेदारी बनती है की वो रोजगार के अवसर पैदा करे. संविधान के अनुच्छेद 32 में शोषण के विरुद्ध अधिकार दे रखा है पर जब अपनी ही सरकार खुद शोषण करे तो आदमी अब दुहाई कहाँ दे क्या आप उम्मीद करते है की दैनिक वेतन पर काम करने वाला कर्मचारी अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाकर केस लडेगा. इसीलिए सरकार भी मजे में है.
क्या फर्क है अंग्रेजो में और हमारी सरकार में शोषण वो भी करते थे शोषण ये भी करते है इसीलिए हम ने कहा था राज नहीं बदला केवल राज करने वाले बदल गए.
भारत को महान इन जैसे ही लोगो ने बनाया है.

-ऐतेजाद अहमद

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