द ग्रेट इंडियन पॉलिटिकल थिएटर का महाराष्ट् षो

शिव शंकर गोयल
शिव शंकर गोयल

खबर है कि केन्द्र सरकार षीघ्र ही नई खेलकूद नीति पर एक कानून लानेवाली है ताकि देष में खेलकूदों का विकास हो. वैसे भी अन्तर्राष्टी्य स्तर पर विभिन्न खेल नियमों में परिवर्तन हो रहे है मसलन हॉकी का मैच अब एक इन्टरवल की बजाय तीन तीन इन्टरवल यानि चार टुकडों में खेला जाता हैं. षायद इसी खेल भावना से प्रेरणा लेकर चुनाव लडे जारहे है जिसकी षुरूआत महाराष्ट् विधानसभा चुनाव से हुई हैं. यहां पिछले चुनाव अब तक दो टीमों के बीच होते रहे है लेकिन अब यह मैच चार टीमों के बीच खेला जा रहा हैं.
इसमें जहां हिन्दुत्व व लोकल बनाम बाहरी मुद्धों पर पिछले 25 सालों से साथ साथ रहे भाजपा-षिवसेना है वही सत्ता सुख भोग रही एनसीपी-कांग्रेस पार्टियां है जिसे प्रमुख अखबारों ने ‘द ग्रेट इंडियन पॉलिटिकल थियेटर का महाराष्ट् षो’ नाम दिया हैं. इन दलों के अलावा कुछ एक्सट्ा खिलाडी चारवालें, आठवालें भी है जो कहते है कि एक दल ने मुझें केन्द्र में मंत्री बनाने का वायदा किया तो एक ने महाराष्ट् का उप मुख्यमंत्री:-
प्र्रमुख चार दलों में भाजपा-षिवसेना इस मैच को नूरा कुष्ती की तर्ज पर लड रही है. मजे की बात है कि मैच के षुरू में ही षिवसेना ने भाजपा को याद दिलाया कि सन 2002 में ‘आडे वक्त’ में हमने आपका साथ दिया था अब जब सत्ता सुख की बारी आई तो आपने साथ छोड दिया हां षिवसेना वालों ने यह नही बताया कि वह ‘आडा वक्त’ था क्या ? खैर कोई बात नही ‘पब्लिक है सब जानती है’.
इस मैच में एक और दिलचस्प बात है कि जहां उसके कप्तान महाराष्ट् विभाजन पर कहते है कि
जबकि उन्ही के टीम के एक वरिष्ठ खिलाडी कहते है कि भाजपा तो स्वतंत्र विदर्भ के पक्ष में है
खबर तो यहां तक है कि कुछ स्थानों पर कप्तान का डुप्लीकेट भी मैच खेल रहा है. है ना मजेदार बात ?
दूसरी ओर एनसीपी के चाचा-भतीजा है जो सहकारिता की आड में षुरू से ही सत्ता सुख भोगते आ रहे हैं. चाचा तो चाचा भतीजे के राज करने की एक बानगी देखिये जो सूखे के दिनों में डैम से पानी छोडने की मांग पर सरे आम जनता को कह रहे है कि ‘पानी कहां से लाएं- क्या पेषाब करदें ?’
इन्ही नेताओं में ‘युवराज’ भी है जिन्हें याद हो कि न याद हो कि वह कभी इसी महाराष्ट् के विदर्भ के एक गांव में गरीब कलावती के यहां गए थे और पांच सितारा होटल से खाना मंगवाकर खाया था. कहते है कि उसके बाद कभी मुडकर भी उधर नही गए, क्यों जाते, आप ही बतायें ?
इस मैच को कुछ लोग अलग ही नजर से देख रहे है. उनका कहना है कि लोकतंत्र के रथ में भोलीभाली जनता बैठी है जिसे उपरोक्त चारों ही दल अपनी अपनी तरफ खैंच रहे है और जनता की समस्याओं के असली मुद्धें कही खो गए हैं.
शिव शंकर गोयल
फलैट न. 1201,
आई आई टी इंजीनियर्स सोसायटी,
प्लाट न. 12, सैक्टर न.10,दिल्ली 75

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