रिलायन्स इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी द्वारा नए सिरेे से तैयार किए गए एन.एच.रिलायन्स फाउंडेशन हॉस्पिटल के समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रिलायन्स परिवार के प्रति जो गर्मजोशी दिखाई, उससे यही कहा जा सकता है कि दोस्त हो तो नरेन्द्र मोदी जैसा। कांग्रेस के शासन में जब मुकेश और अनिल अम्बानी पर गंभीर आरोप लगे, तब यही माना गया कि रिलायन्स ने गलत हथकंडे अपनाकर अपार सम्पत्ति बनाई है। इन सभी आरोपों को दरकिनार कर 25 अक्टूबर को मुम्बई के समारोह में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज भैया दूज का पर्व है और नीता अम्बानी मेरी बहन के समान है। मोदी ने अपने आधा घंटे के भाषण में कई बार नीता अम्बानी को बहन कह कर संबोधित किया। पूरे समारोह में प्रधानमंत्री ने रिलायन्स परिवार के प्रति अपनी आत्मीयता प्रकट की। यहां तक कि मुकेश अम्बानी की माताजी श्रीमती कोकिला बेन के हाथों से अपना प्रशंसापत्र भी प्राप्त किया। स्वाभाविक था कि इस आत्मीयता के जवाब में मुकेश अम्बानी मोदी को दुनिया का सबसे ताकतवर नेता बताते। राजनीति पर पहली नजर रखने वालों ने 26 अक्टूबर के दैनिक समाचार पत्रों में एक फोटो देखा होगा। इसमें मुकेश अम्बानी ने दुनिया के सबसे ताकतवर नेता नरेन्द्र मोदी की पीठ पर अपना हाथ रख रखा है। आज क्या भारत के किसी व्यक्ति में इतनी ताकत या हिम्मत है कि वह नरेन्द्र मोदी की पीठ पर दोस्ताना अंदाज में हाथ रख सके? यह सब इसलिए हुआ कि मोदी दोस्ती निभाना जानते हैं। दोस्ती तो ऐसी ही होनी चाहिए। अन्यथा अधिकांश ऐसे नेता है जो मंत्री, मुख्यमत्री, प्रधानमंत्री आदि बनने पर उन लोगों को भूल जाते है, जिन्होंने चुनाव में अथवा बुरे दिनों में मदद की। राजनेताओं को नरेन्द्र मोदी से सीख लेनी चाहिए। 25 अक्टूबर के मुम्बई के समारोह में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन से लेकर सचिन तेंदुलकर तक थे।

वहीं एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल भी पहली लाइन में बैठे थे। बाद में मोदी ने प्रफुल्ल पटेल से भी हाथ मिलाया। पटेल उसी एनसीपी के नेता है जिसे महाराष्ट्र के चुनावों में मोदी ने सबसे भ्रष्ट पार्टी कहा था। यह बात अलग है कि चुनाव के बाद एनसीपी ने ही भाजपा को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की। यह सब भी रिलायन्स की वजह से ही हुआ। मुम्बई के समारोह में सबकी निगाहे रिलायन्स के दूसरे मालिक अनिल अम्बानी को तलाश रही थी।
-एस.पी.मित्तल
लेखक अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार हैं