बुन्देलखण्ड के कर्मयेगी संतोष गंगेले से खास भेंट वार्ता

संतोष गंगेले
संतोष गंगेले

पत्रकार -श्री संतोष गंगेले जी आपका हम स्वागत करते है । आप एक कर्मठ कर्मयोगी समाजसेवी नागरिक है । आपके जीवन के बारे में हम जानना चाहते है कि आपका जन्म स्थान कहॉ है तथा आपके पिता जी व मॉ जी का नाम क्या है

उत्तर:- मेरा जन्म स्थान बुन्देलखण्ड की हृदय स्थली छतरपुर जिला की तहसील नौगॉव से 2 किमी दूर ग्राम बीरपुरा है जो महाराजपुर विधान सभा क्षेत्र का अंग है , मेरी जन्म तिथि 11 दिसम्बर 1956 है तथा मेरे पिता जी का नाम पं0 प्यारे लाल गंगेले था जो हरिहर बाबा जी के नाम से क्षेत्र से प्रसिध्द संत महापुरूष थें । मेरी मॉ जी का नाम श्रीमती सुमित्रा देवी था । हमारे पूर्वज टीकमगढ़ जिला की जतारा तहसील के ग्राम मुहारा के पास षायपुर के रहने बाले थें । यह गॉव बीरान हो जाने के कारण हमारे पूर्वज लगभग सो साल पूर्व ग्राम बीरपुरा में रहने लगे थें । सन् 1931 में हमारे पूर्वजों ने ग्राम बीरपुरा में खेंती की भूमि खरीदी थी । हमारे पर दादा श्री नन्हे भईया उनकी तीन संताने श्री बूचे गंगेले, मुल्ले एवं बिन्द्रावन था, श्री बूचे गंगेले की दो संताने श्री मुन्नी लाल गंगेले, श्री प्यारे लाल गंगेले थी , श्री मुन्नी लाल गंगेले के दो पुत्र श्री राम स्वरूप व श्री हरी गंगेले है । हमारे पिता की हम चार पुत्र संतोष कुमार, कैलाष , राजेन्द्र कुमार , सुरेष कुमार है । परिवार मंें लगभग 27 सदस्य है ।

पत्रकार- आप अपने परिवार के बारे में क्या जानकारी देगें ?
उत्तर- मेरा विवाह सन् 1984 में जगतपुर उर्फ गढ़िया में प्रभादेवी पुत्री श्री गुमान बिहारी दुवे के यहॉ हुआ । पत्नी की चार संताने दो कुलदीप , राजदीप व दो पुत्रियॉ मंदाकनी, अभिलाषा हुई । मेरे पत्नि का निधन 20 अक्टूवर 1993 को नव दुर्गा पंचमी को हो गया था । मेरा दूसरा विवाह ग्राम झीझन तहसील नौगॉव के रहने बाले श्री धरमदास चौवे की पुत्री रंजना देवी से 14 दिसम्बर 1993 को हुआ । उनकी एक संतान रतनदीप का जन्म 5 अगस्त 1998 को हुआ । दूसरी पत्नी ने चारों बच्चों का पालन पोषण करती आ रही है तथा अपने इकलौते पुत्र की परवरिष भी करती है । उनकी कर्मठता व योग्यता के कारण उन्हे सम्मानित भी किया गया है ।

पत्रकार:-आपके कितने भाई बहन है । आपके बेटा-बेटी कितने है ।

उत्तर:- मैं चार भाईयों में सबसे बड़ा हॅू तथा मेरी एक छोटी बहन है । मेरा एक भाई कैलाष मानसिक रूपसे परेषान हो चुका है तथा उससे छोटा भाई राजेन्द्र गंगेले जो कि नौगॉव में अधिबक्ता है उससे छोटा भाई सुरेष कुमार एक दैनिक समाचार पत्र का सह-संपादक एवं लेखक पत्रकार छोटी बहन गीता है जो अपनी ससुराल में रहती है मेरे पिता जी का निधन 12 फरवरी 1999 को हो गया है तथा माता जी का 10 अगस्त 2010 को हो गया है । मेरे तीन पुत्र व दो पुत्रियॉ है । एक बेटी पूना में इन्फोसेष में कार्यरत है तथा बेटा पूरा में एमबीए कर रहा है । एक टाईपिस्ट, एक 10 वी में अध्ययनरत है । बड़ी बेटी ससुराल में है ।

पत्रकार:-आपकी षिक्षा किस प्रकार से हुई ओर कहा तक ग्रहण की है –

उत्तर:- मैने बचपन में कक्षा 5 तक की षिक्षा ग्राम बीरपुरा प्राथमिक पाठषाला में ही ग्रहण की है उसके बाद कक्षा 6 में आदर्ष हा0से0 स्कूल नौगॉव प्रवेष लिया लेकिन आर्थिक अभाव के कारण मैं कक्षा 6 में दो साल अनुत्तीर्ण हो जाने के कारण स्कूल से निकाल दिया गया । उसके बाद मै नौगॉव के व्यापारियों के यहां 1971 में मजदूरी (दुकान में कार्य )का कार्य करने लगा । इसी बीच ग्राम मऊ-सहानिया के व्यापारी श्री लक्ष्मी चन्द्र जैन से परिचित हो जाने के कारण उन्होने अपनी दुकान पर रखा तथा पढ़ने के लिए समय दिया जिस कारण माध्यमिक षाला प्राइमरी स्कूल में प्रवेष लिया, कक्षा 8 वीं उत्तीर्ण कर ली । इसी बीच सन् 1977 में आर्मी कालेज में एमईएस में चोकीदार की जगह निकली जिसमें मैने आवेदन किया तो मुझे चौकीदारी की नौकरी मिल गई । दो साल तक चौकीदारी का कार्य मस्टर पर करता रहा । किसी कारण से नौकरी से निकाल दिया गया । मै इसी बीच दिल्ली मजदूरी करने चला गया एक साल तक दिल्ली में मजदूरी करता रहा, उस समय दिल्ली में मुझे 19 रू0 प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी मिला करती थी । उसके बाद मुझे अध्ययन करने की आत्मिक प्रेरणा होने के कारण मै दिल्ली से बापिस आ गया ।

नौगॉव के एक व्यापारी श्री गन्नू साहू की मदद से मैने एक गुमटी चाय-पान की दुकान खोली तथा बैंक से पन्द्ररह सो रू0 ऋण लिया । मेरी चाय पान की दुकान उत्तम चली इसी बीच मुझे पुनः आगे अध्ययन करने की आत्मा से प्रेरणा दिन भर दुकान का संचालन करना , मैने लगन व आत्म विष्वास के साथ रात्रि में 9 बजे से 12 बजे तक अध्ययन किया । सुबह 4 बजे से 6 बजे तक अध्ययन किया । बुन्देलखण्ड कालेज नौगॉव से प्राइवेट हा0से0 परीक्षा का आवेदन किया परिणाम हमारे पक्ष में गया मैं हा0से0 की परीक्षा 1980 में पास हो गया । इस कालेज में छात्र संघ चुनाव में सचिव के पद पर निर्विरोध चुना गया ।

पत्रकार:-हायर सेकेण्ड्री के बाद क्या किया –
उत्तर- हायर सेकेण्ड्री के बाद मैने नौकरी का प्रयास जारी रखा । कुछ लोगों ने सलाह दी की हिन्दी टाइपिंग की परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है, मैने हिन्दी टाइपिंग का प्रषिक्षण लिया साथ ही आगे पढ़ाई जारी रखने केलिए चाय पान की दुकान तहसील चौराहा पर खोल कर बी0ए0 में प्रवेष लिया । सन् 1981 में हिन्दी टाईपिंग की परीक्षा मध्य प्रदेष बोर्ड भोपाल से पास कर ली । बी0ए0 परीक्षा प्रथम बर्ष भी उत्तीर्ण कर ली । कुछ लोगों ने कहा कि चाय पान की दुकान बंद करो, लेकिन मैने ऐसा नही किया । चाय पान की दुकान से मेरा विकाष संभव हुआ । बर्ष 1984 तक चाय पान की दुकान संचालित करता रहा ।

पत्रकार-पत्रकारिता में कब और क्यो प्रवेष किया ?
उत्तर:- सन् 1980 में छतरपुर से प्रकाषित दैनिक राष्ट्र-भ्रमण समाचार पत्र चर्चित पेपर था जिसमें समाचार पढ़ा करता था , इस समाचार पत्र के संपादक श्री सुरेन्द्र अग्रवाल ने नौगॉव में सवाददाता की जगह खाली का विज्ञापन दिया , मेरे अजीज दोस्त श्री अनिल जैन ने कहा कि तुम इस पेपर की ऐजेन्षी भी लो व पत्रकार बनों । मैने ऐसा ही किया सन् 1981 से पत्रकारिता में प्रवेष किया था । पत्रकारिता में प्रवेष इस लिए किया कि पत्रकारिता के माध्यम से समाज सेवा का रास्ता मिलता है मैने सोचा कि इससे अच्छा और कोई रास्ता नही है लोगों की समस्याओं को सरकार तक पहूॅचाता रहॅूगा ।

पत्रकार – क्या एक ही समाचार पत्र में जुड़े रहे ।
उत्तर- नही ? मैने जब से पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा फिर पीछे मुड़कर नही देखा । छतरपुर से ही साप्ताहिक ओरछा बुलेटिन, दैनिक सीक्रेट बुलेटिन, क्रांति -कृष्ण दैनिक ष्षुभ -भारत, दैनिक कर्तव्य , देनिक जनहित दर्षन, समाचार पत्रों में भी समाचार देता रहा । इसके बाद रीवा से प्रकाषित दैनिक जागरण, दैनिक आलौक रीवा, दैनिक बान्धवीय समाचार रीवा, दैनिक जागरण झॉसी, दैनिक भास्कर झॉसी, अमर उजाला, तमाम समाचार पत्रों में लिखा । सन् 1983 में दैनिक नव भारत भोपाल, दैनिक नई दुनिया इन्दौर, दैनिक नव भारत जबलपुर ,आदि ष्षहरों के समाचार पत्रों में टाईपिंग मषीन से समाचार टाईप कर डाक से भेजा करता था । पत्रकारिता के जुनून ने मुडे प्रिंट मीडिया से जोड़ा । मेरे समाचार व लेख भारतीय अनेक समाचार पत्रें में प्रकाषित हो चुके है । आज भी प्रिंट मीडिया से बराबर का लगाव है । मैने स्वतंत्र पत्रकारिता की है । बर्तमान में भी किसी के बंधन में नही हॅू ।

पत्रकार-आपने पत्रकारिता में नया क्या किया है ?
उत्तर- मेरे जीवन का सबसे अहम दिन 14 जनवरी 1984 का दिन था, जब मैने तहसील स्तरीय पत्रकार संघ का अध्यक्ष पद माननीय जिला जज एव सत्र न्यायाधीष माननीय श्री एम0 एस0 कुरैषी के मुख्य अतिथ्य में ष्षपथ ग्रहण नगर पालिका नौगॉव में सम्पन्न हुआ जिसमें जिला के पत्रकारों के साथ साथ भोपाल के श्री बिजय साहू पत्रकार भी ष्षामिल हुए थें । इस आयोजन की खबरे देष-प्रदेष के प्रमुख अखबरों में प्रकाषित हुई थी । छतरपुर जिला की पत्रकारिता का अपना एक इतिहास है । मैने अपने पत्रकारिता के क्षेत्र में जिला एवं बुन्देलखण्ड स्तर के अनेक आयोजन करायें तथा पत्रकारिता को नई दिषा देने का हमेष प्रयास किया है । पत्रकारिता के कारण ही मेरी अपनी एक पहचान बनी । पत्रकारिता से समाजसेवा की भावना जाग्रत हुई जो मुझे सफलता की ओर अग्रसर करती आ रही है । लेकिन पत्रकारों में आपस मनमुटाव एवं बैमनुष्यता के कारण बर्तमान पत्रकारिता कलंकित हो रही है । सामाजिक समाचारों को स्थान न देकर अपराधिक घटनाओं एवं राजनेताओं का प्रमुख स्थान दिया जा रहा है । यह समाज के लिए गलत संदेष देता है । भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों, समाजसेवी, सामाजिक समाचारों को महत्व देना चाहिए ।

पत्रकार- आप प्रदेष के किन किन पत्रकार संगठनों में रह चुके है ?
उत्तर – मैं मध्य प्रदेष आंचलिक पत्रकार संघ में कई बर्षो तक तहसील व जिला के पदों पर रहा । उसके बाद मध्य प्रदेष श्रमजीवी पत्रकार संगठन में रहा । लेकिन मुझे लगा कि जो भी संगठन संचालित है उनका उद्देष्य धन संग्रह करना है । पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए कोई संगठन सही दिषा में कार्य नही करता है । इसलिए एक नये संगठन के साथ मध्य प्रदेष के पत्रकारों को साथ लेकर कार्य करने की दिषा तय की है ।

पत्रकार- आपने गणेषषंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब का गठन क्यो किया ?
उत्तर – जब मैने देखा की खबर देने बाला ग्रामीण या कस्बाई पत्रकार होता है । उसे खबर का लाभ जिला या राजधानी मै बैठे पत्रकार लाभ उठाते है ऐसे में जो सम्मान ग्रामीण पत्रकारों को मिलना चाहिए नही मिल पाता है । सामाजिक क्षेत्र में अनेक नागरिक सामाजिक कार्य करते है । देष प्रेम के लिए कार्य करते है उनका सम्मान सही दिषा में नही मिल पाता है । इसलिए मैने अनेक संगठनों के बाद भारतीय पत्रकारिता के पुरौधा ष्षहीद गणेषषंकर विद्यार्थी जी का जीवन परिचय का अध्ययन किया । मुझे लगा कि देष की आजादी में गणेषषंकर विद्यार्थी जी का सराहनीय सहयोग रहा । उन्होने अपना जीवन समाज व देष के लिए समर्पित करते हुये कार्य किया । जिस कारण हमने उनके नाम से ही संगठन का पंजीयन कराया है । इस संगठन के माध्यम से हम कम से कम मध्य प्रदेष में कर्मयोगी, लगनषील व संघर्षषील व सामाजिक पत्रकारों की खोज कर समाज में नई दिषा देकर भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को लेकर कार्य करेगे । इस संगठन में अपराधिक या समाज बिरोधी लोगों को स्थान नही मिलेगा ।

पत्रकार- इलेक्ट्रानिक मीडिया- इंटरनेट से कब से जुड़े है ?
उत्तर:-मैं नौगॉव तहसील/ न्यायालय में सन् 1981 से टाइपिंग का कार्य करता आ रहा हूॅ । सन 2004 में कम्प्युटर सीखने का मन हुआ । लगभग तीन माह तक प्रषिक्षण लेकर नौगॉव न्यायालय तहसील में मेरा पहला कम्प्युटर लगा , उसके बाद सन् 2011 में इंटरनेट से जुड़ा । मेरी लगन से मैने हिन्दी बेब पोर्टल की खोज की जिसमें मध्य प्रदेष के साथ साथ भारतीय अनेक बेब पोर्टल संचालकों से चर्चा हुई । इसी बीच मध्य प्रदेष समाचार सेवा एवं एमपी मिरर भोपाल के संचालक श्री पवन देवलियॉ जी से नेट पर ही भेंट हो जाने के कारण मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़ा तथा उन्होने छतरपुर जिला का व्यूरो चीफ पंजीकृत किया । एम मासिक पत्रिका का जिला व्यूरी चीफ भी रहा । लगभग तीन साल के अंदर आज में दस -ग्यारह बेब समाचार पोर्टल, समाचार सेवा आदि में कार्य कर रहा है ।

पत्रकार – फेसबुक से कैसे जुड़े ‘-
उत्तर ‘- मेरे मित्रों ने कहा कि तुम इंटरनेट संचालित करते है तो आरकुट चलाओं । पहिले उसको चलाया उसके बाद । फेसबुक से जुड़ गया । बर्तमान में इलेक्ट्रानिक मीडिया से संचालित फेसबुक व व्हाटअप से जुड़ा । मैं फेसबुक के माध्यम से मैं बहुत सफल हुआ है । मै फेसबुक निर्माता एवं व्हाटसअप निर्माता को बधाई देता हॅू जिनकी खोज के कारण करोड़ों लोग एक दूसरे से जुड़े हुए है । इंटरनेट एवं मोवाईल संसार के विज्ञानिकों की सबसे बड़ी उपलव्धिों में गिनी जाती है । मैने फेसबुक के माध्यम से हजारों लोगों से संपर्क किया है , लगातार आज भी प्रयासरत रहता हॅू । बर्तमान में व्हाटस्अप का भी इस्तमाल करता आ रहा हॅू ।

पत्रकार-बर्तमान में आपका गणेषषंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब कितना सफल है ?
उत्तरः- गणेषषंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब मध्य प्रदेष के लगभग 25 जिला में पहुॅच चुका है। प्रदेष के सभी जिलों में पहुॅचाने केलिए लगातार प्रयासरत हॅू । संगठन का सबसे पहिला सम्मेलन छतरपुर के संपादक श्री बिनोद अग्रवाल के कार्यकाल में 26 अक्टूवर 2013 को होटल सी-4 छतरपुर में हुआ जिसमें सौ से अधिक पत्रकार,साहित्यकार, समाजसेवी लोगों की उपस्थिति रही । उसके बाद 23 फरवरी 2014 को श्री दिनेष जमीदार जिलाअध्यक्ष राजगढ़ (व्यावरा) ने जीरापुर में सम्पन्न कराया जिसमें लगभग दो सौ से अधिक पत्रकारो, ने भाग लिया । इस सम्मेलन में जिला कलेक्टर, क्षेत्रीय विधायक, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता षामिल हुए । राजगढ़ जिला की अनेक तहसीलों में संगठन के पदाधिकारियों ने अनेक आयोजन कराए । भोपाल में संगठन अपनी गतिविधिओं के कारण भोपाल में अपना स्थान बनाए है । इस साल 5 अक्टूवर 2014 को प्रान्तीय समिति ने छतरपुर षहनाई गार्डन में प्रषासन एवं पत्रकारों के बीच विषाल आयोजन किया जिस कारण जिला में संगठन ने अपना उद्देष्य स्पष्ट कर दिया । भोपाल में एक संभागीय सम्मेलन किया जिसमें भोपाल के नामचीन पत्रकार, संपादक, राजनैतिकदलों के नेताओं ने भाग लिया । इस सम्मेलन को प्रदेष स्तर का सम्मान मिला ।

पत्रकार- आपकी जीवका संचालन के क्या साधन है ?
उत्तर- मेरी पैतृक संपत्ति ग्राम बीरपुरा में है, खेती के साथ साथ मैने सन् 1981 से नौगॉव न्यायालय सिविल जज कार्यालय में अर्जी नवीसी का कार्य किया उसके बाद सन् 1982 में क्षेत्रीय संासद श्रीमती विद्यावती चतुर्वेदी, विधायक श्री यादवेन्द्र सिंह लल्लू राजा के साथ समाजसेवी से जुड़ा रहा । अति बर्षा व बाढ़ के कारण क्षेत्र में हुई तबाही के कारण गॉव गॉव सहयोग किया । छतरपुर जिला कलेक्टर श्री होषियार सिंह जी ने मुझे जीवन संचालन के लिए तहसील नौगॉव में बैठकर कार्य करने के लिए अनुज्ञप्ति दी । सन् 1983 से 1984 तक अर्जीनवीस रहा । सन् 1984 में दस्तावेज लेखक के रूप में लाइैसेन्स मिला । बैक ऋण लेकर व्यापार किया । साथ साथ अध्ययन किया । बी0ए0 की डिग्री ली । स्वयं अध्ययन किया अपने भाई बहनों को अध्ययन कराया । सन् 1985 से भाई राजेन्द्र गंगेले का स्टाम्प बिक्रेता का लाईसेन्स बनवा कर राजस्व आय अर्जित कराई तथा स्वयं का विकाष हुआ । जमीन की खरीद की , बिक्रय की । आमदनी के अनेक जरिया खुले । मकान का निमार्ण कराया । सन् 1991 में नौगॉव मे कुलदीप मैरिज हाउस खोला उसमें अच्छी आमदानी होने कारण मकान किराया मिला । आय के स्त्रोत बढ़े लोगों से पहचान होने के कारण व्यापार बढ़ा।

पत्रकार- आप समाज सेवी है यदि हम आपको कर्मयोगी कहे तो क्या सही है ?
उत्तरः- मै आपके बिचारों को धन्यवाद देता हॅू । क्योकि मुझे कर्मयोगी की उपाधि से संबोधित किया है । मुझे ज्ञान नही लेकिन मैने जीवन में अपने समय को कभी नष्ट नही होने दिया । समय की पावंदी समझी आज भी हमारे जीवन में नियम व संयम है । आय से अधिक खर्च नही किया है । रही बात समाज सेवा की तो हमने धार्मिक ग्रन्थो, पुस्तको एवं संत महापुरूषों के बिचारों को सुना , उन पर चिन्तन किया । यदि सार सामने आया कि जो भी संसार में संपत्ति है । सभी नष्ट होती है , यष कीर्ति , समजा सेवा लोगों की मदद करने वाले का बर्तमान एवं भविष्य दोनो सुधर जाता है । इस कारण मै समाजसेवा में लगा रहता हॅू । मेरा न तो इस संसार में कुछ है न मेरे साथ जाना है । फिर धन संपत्ति संग्रह क्यो करूॅ ।

पत्रकार- आप समाज सेवा में किसे प्रेरणा स्त्रोत मानत है ?
उत्तरः- मेरे पिता जी संत, महापुरूष , ज्ञान थें उन्होने कहा था कि बेटा अपने परिवार के संचालन के बाद जो भी आय आती है उसके बाद मानव सेवा, मानव समाज, जीवों पर दया धर्म के साथ सोवा भावना से कार्य करते रहना चाहिए । षिक्षा, स्वास्थ्य, समाज के प्रति हमेषा कर्तव्य निर्वाहन करते हुये कर्मयोगी बनकर समाज सेवा करें । मुझे समाज सेवा की प्रेरणा देने बाले परमपिता के साथ साथ मुझे समाज में स्थान दिलाने वाले पं0 श्री गोविन्द्र कुमार तिवारी अधिबक्ता, मेरे गुरू श्री केषवदास जी ब्रम्हचारी थें जिन्होने समाजसेवा करने की प्रेरणा दी है । हमें दूसरों का सम्मान करने ,एवं समाज में सामाजिक कार्य करने , लोगों की मदद करने के लिए समय समय पर प्रेरणा व विचार दिये । मै श्री बृजगोपाल पाठक जी सिंगरावनकला बालों का भी आभारी हॅू जिन्होने मुझे श्री राम चरित मानस से जोड़ा तथा कर्मयोग के साथ साथ भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है । मुझे श्री रमाषंकर मिश्र (मनीषी जी) ने भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों की रक्षा करने केलिए प्रेरणा दी है । मैं ऐसे अनेक सामाजिक कार्यो से जुड़कर अपनी आत्म षॉति के लिए कार्य करता हॅू लेकिन इन कार्यो में परोपकार रहता है इसलिए समाज में मुझे सम्मान मिलता है ।

पत्रकार- आपके बिरोधी आपको बदनाम क्यो करते है ?
उत्तरः- यह तो प्रकृति का नियम है । यदि व्यक्ति का विरोध होने लगे तो समझ लेना चाहिए कि समाज में उसकी अपनी एक ताकत है । समाज विरोधी लोग ही सामाजिक व्यक्तियों का विराध करते है । इस संसार में जितने भी संत, महापुरूष, समाजसेवी , समाजसुधारक हुए है , जब उन्होने अच्छे कार्य किए तो उन्हे लाखों परेषानियॉ हुई लेकिन सत्य जिंदा रहता है । सत्य की बिजय होती है । मैं जीवन में सत्य के सहारे चलकर अपनी कर्मभूमि को देष के उच्च पटल तक ले जाने का प्रयास कर रहा हॅू , ईष्वर की कृपा रही हो सफल भी रहॅूगा । मुझे सैकड़ों स्थानो पर सम्मान मिला है लेकिन मुझे अपना सम्मान नही सामने वाले के सम्मान में खुषी है । मैं सम्मान देना जानता हॅू । सम्मान लेना नही । लेकिन प्रेम का भिखारी हॅू , अपमान की जिंदगी नही जीना है ।

पत्रकार-गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब के माध्यम से क्या संदेष देना चाहते है ?
उत्तर-गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब, मेरे लिए कार्य करने के लिए बैनर है , मै सन् 1981 से ही पत्रकारिता से जुड़कर समाज सेवा एवं सामाजिक गतिविधिओं में भाग लेता रहा है । मंच का संचालक, मंच का कलाकार भी रहा हॅू , राजनीति में दखल रहा । बर्तमान में पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों बनाए रखने के इस संगठन के माध्यम से सम्पूर्ण मध्य प्रदेष में, पत्रकारों, साहित्यकारो, सोषल मीडिया एवं स्वतंत्र पत्रकारों के माध्यम से जन जाग्रति अभियान चला रहा हॅू । जिसमें षिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य, समरसता, एवं समाज निमार्ण को लिया है । नैतिक एवं व्यवहारिक षिक्षा साथ ही सामाजिक क्षेत्रों में या देष के लिए अच्छे कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करते हुए उन्हे मंच पर सम्मान कर समाज व देष की जुम्मेदारी देने का प्रयास जारी है । समाज में व्याप्त कुरूतियॉ, बुराई, गंदगी को हटाने के लिए संघर्ष जारी है । बर्तमान समय में युवाओं में नषा की प्रवृत्ति बढ़ी है, नषा के कारण घर-परिवार व समाज के लोग परेषान है । इस पर भी गहराई से चिंतन कर समाज को नया संदेष देने का प्रयास जारी है । मुझे 1 जुलाई 2014 को आजाद भवन दिल्ली में बुन्देलखण्ड विकाष मंच पर बुन्देलखण्ड गौरव पत्रकारिता से सम्मानित किया जा चुका है । स्थानीय निकाय या पत्रकार संगठनों व्दारा अनेकों वार सम्मान दिये जा चुके है । 5 अक्टूवर 2014 को ष्षहनाई गार्डन छतरपुर में एक विषाल आयोजन कर जिला के समाजसेवी, प्रषासनिक अधिकारियों, पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय योदान के लिए संगठन की ओर से सम्मानित कर समाज का नई दिषा देने का प्रयास किया है । संगठन के अध्यक्ष के नाते महाराजपुर विधान सभा क्षेत्र के स्कूलो में जन जाग्रति अभियान लगातार जारी रहता है । गॉधी भवन भोपाल में लोकतंत्र में मीडिया की भूमि पर एक गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें प्रदेष के लगभग एक सौ पत्रकारों ने भाग लिया । यह आयोजन बहुत ही सफल रहा है । हम प्रदेष के अंदर इस प्रकार के सम्मेलन व गोष्ठियों के माध्यम से पत्रकारिता को मिषन के साथ जनता के बीच लाना चाहते है । संतोष गंगेले ने अब प्रदेष में प्रेम की गंगा बहाने का कार्य ष्षुरू किया है जो हजारों लोगों के साथ सफल होगा ।

पत्रकार – क्या आप राजनीति में आना उचित समझते है ?
उत्तर- बर्तमान समय में समाजसेवा के लिए हमारा संगठन कार्य कर रहा है । लेकिन प्रजातंत्र का स्तंभ राजनीति भी है । बर्तमान में जनता के व्दारा निर्वाचित नेताओं को लोगों के कार्य कराने में सहुलियत होती है । यदि पंचायत चुनाव में मोका मिला तो निष्चित जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव लड़ सकता हॅू । एक बार चुनाव लड़ा था जिसमें अनेक कारण होने से चुनाव हार गया था , लेकिन इस बार ऐसा नही होगा । यदि चुनाव लड़ूगा तो जीत के लिए ही लड़ कसता है ।
पत्रकार’- युवाओं के लिए क्या संदेष है ?
उत्तर – बर्तमान युवा /युवतियों से अनुरोध करता हॅू कि वह अपनी नैतिक जुम्मेदारी के साथ भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों का इतिहास पढ़ें तथा उसको अपने जीवन में अपनाने का लगातार प्रयास करें । भारतीय महापुरूषों, की जीवनी को पढ़ें उनके उत्तम गुणों को ग्रहण करें । बर्तमान समय में देष में दो ऐसे महापुरूष है जिसमें बाबा रामदेव एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी है । जिन्होने भारतीय समाज एवं देष के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए कार्य करने का संकल्प लिया है । हम ऐसे महापुरूषों का हृदय से सम्मान करते है ।

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