फिल्म पी.के. हिंदू अनुयायियों की भावना को ठेस पहुंचाने वाली है

गिरिराज अग्रवाल
गिरिराज अग्रवाल

मित्रो,
कल मैंने आमिर खान की नई फिल्म पी.के. देखी थी। इस्लाम को मानने वाले मित्र और उनका खुदा पाक मुझे माफ करे। लेकिन वास्तव यह फिल्म हिंदू अनुयायियों की भावना को ठेस पहुंचाने वाली है। मुझे विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और अन्य संगठनों का विरोध जायज लगता है। फिल्म में जिस तरह से केवल एक ही धर्म विशेष पर कमेंट किया गया है, वह ठीक नहीं है। आमिर खान में अगर हिम्मत थी तो वह इसी कहानी को उल्टा भी कर सकते थे। जैसे मक्का-मदीना जाकर जमजम का पानी लाने की क्या जरूरत है। अजमेर दरगाह शरीफ पर जाकर मत्था क्यों टेका जाए। मौलवी, फकीर, और धार्मिक तकरीर करने वाले और जमात में जाने वाले लोग भी पाखंडी हैं, उनके बारे में भी बताना चाहिए था। इसी तरह फिल्म में जिस तरह से एक पाकिस्तानी लड़के की वकालत की गई है कि वह धोखा नहीं दे सकता, इसी तरह मुस्लिम लड़की अगर हिंदू लड़के से शादी करती तो वह शायद जन्म-जन्म का साथ निभाता। मित्रो, वैसे भी भारत और संविधान में अपने धर्म का प्रचार करने पर किसी के लिए रोक नहीं है, लेकिन किसी दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना तो अपराध ही है।
इस पर आपकी टिप्पणी चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार गिरिराज अग्रवाल की फेसबुक वाल से साभार

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