महिला सशक्तिकरण के लिए अधिक प्रभावी कदम उठाने की जरूरत

केशव राम सिंघल
केशव राम सिंघल

आज अखबार में ख़बर पढ़ी कि राजस्थान में बाल लिंगानुपात घट रहा है. इसका अर्थ है कि सरकार की तमाम मुहिम बेअसर साबित हो रही हैं और लोग आज भी बेटियों की बजाय बेटे को तरजीह देते हैं. राजस्थान में जन्म लेने वाले हर 1000 बच्चों (male children) के मुकाबले बच्चियों (female children) का अनुपात 883 था जो अब गिरकर 874 हो गया है. बिगडता बाल लिंगानुपात भयावह चुनौती है. आज भी अभिभावक ल़डकियों को वित्तीय बोझ मानते हैं. वर्तमान आँकड़े सरकार के लिए सचेत हो जाने का संकेत है तथा इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. महिला एवं बाल कल्याण की नीतियों और उनके किर्यान्वयन का पुनरीक्षण किया जाने की जरूरत है. लड़कियों की स्कूली शिक्षा के साथ उनकी उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए फीस में छूट और अधिक छात्रवृत्तिया घोषित की जानी चाहिए. निजी क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लड़कियों से कम फीस लेने का कानून बनना चाहिए. महिला सशक्तिकरण के लिए अधिक प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है.

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