स्वाईन फ्लू से बढती माैंते और प्रशासन

रेणु शर्मा
रेणु शर्मा

राज्य में स्वाईन फ्लू से बढती मौतों को देखकर लगता हैं की राज्य सरकार द्वारा स्वाईन फ्लू की रोकथाम के लिये किये जा रहे प्रयास कारगार साबित नही हो रहे हैं तथा केन्द्र सरकार दिल्ली के विधानसभा चुनावों में और राज्य सरकार राज्य के पंचायतराज में चुनावों में इस प्रकार व्यस्त हैं कि उन्हे जनता के स्वास्थय से कोई सरोकार ही नहीं रहा उन्हे तो सिर्फ अपनी सरकार बनाने से वास्ता हैं। राज्य में स्वाईन फ्लू से लगातार बढती मौतों के लिये राजस्थान हाईकोर्ट ने भी सरकार से स्व प्रसंज्ञान लेते हुए पूछा ही लिया कि सरकार ने स्वाईन फ्लू को रोकने के लिये क्या इंतजाम किये हैं। स्वाईन फ्लू से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौत राजस्थान में वो भी राज्य की राजधानी जयपुर में हुई हैं जब राज्य की राजधानी के ऐसे हाल है तो अन्य जिलो में क्या हाल होगा। स्वाईन फ्लू से होने वाली मौतों में गुजरात राज्य दूसरे स्थान पर हैं।
अब तक के हालत ये है कि राज्य में स्वाईन फ्लू से सबसे ज्यादा मौत राजस्थान में हुई हैं जबकी स्वाईन फ्लू के सबसे ज्यादा मरीज तेलगांना में हैं राजस्थान में 160 स्वाईन फ्लू के मरीजों में से 37 की मौत हुई है वहीं तेलगांना में 509 स्वाईन फ्लू के मरीजों मे से 21 की मौत का होना यह सिद्व करता है कि हमारे राजस्थान सरकार द्वारा स्वाईन फ्लू की रोकथाम के लिये किये जा रहे प्रयास कितने सफल रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी माह में जयपुर में स्वाईन फ्लू के 51 केस आये जिनमें से 11 की मौत हो गयी। 5 फरवरी तक स्वाईन फ्लू से कुल 66 मौत हो चुकी हैं साथ ही स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण भी स्वाईन फ्लू के रोगी बढ रहे हैं क्योकि स्वास्थय विभाग को सूचना देने के बाद भी चिकित्सा विभाग की टीम पीडित परिवार के पास नहीं पहुंची। स्वाईन फ्लू के वायरस संक्रमित व्यक्तियों को ईलाज के लिये भटकना पड रहा हैं स्वास्थ्य विभाग की इन्ही लापरवाहियों के कारण ही स्वाईन फ्लू ने महामारी का रूप ले लिया।
स्वाईन फ्लू की जंाच के लिये सैंपल लेने की वाली एक स्टिक से एक व्यक्ति की ही जंाच की जाती हैं लेकिन एसएमएस अस्पताल में तो स्टिक को ही तोड कर दो स्टिक बना ली और एक स्टिक से एक मरीज की बजाय दो मरीजो की जंाच के लिये सैंपल लिये जा रहे हैं इसे अस्पताल की मजबूरी कहे या कंजूसी कहे।
जयपुर के एसएमएस अस्पताल की मजबूरी देखिये कि उन्होने चार स्वाईन फ्लू के मरीजों के बीच एक पैरालाइसिस के रोगी को रखा और चिकित्सा मंत्री राजंेन्द्र राठौर अस्पताल प्रशासन से कह रहे हैं कि स्वाईन फ्लू को लेकर कोई कोताही बर्दाश्त नहीं होगी अब कोई मंत्री महोदय से पूछे कि क्या स्वाईन फ्लू के मरीजों के मध्य पैरालाइसिस के रोगी को रखना सहीं हैं।
अकसर सुनने मे आया हैं कि “खुद के मरने पर ही स्वर्ग दिखता हैं” यह बात सही सिद्व हो रही हैं क्योकि हमारे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वंसुधरा सरकार के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया को स्वाईन फ्लू होने के बाद ही स्वाईन फ्लू बीमारी के ईलाज में तेजी आ गयी हैं। चिकित्सा विभाग के आला अधिकारियों ने दोनों वी.वी.आई.पी. गहलोत और कटारिया की चिकित्सा में किसी प्रकार की कमी नहीं आने दी। यह भी शुक्र है कि उक्त दोनों वी.वी.आई.पी. के स्वाईन फ्लू से ग्रसीत होने के कारण आमजन को मिलने वाली चिकित्सा सुविधा और अस्पताल की व्यवस्था में भी पहले की अपेक्षा सुधार हो गया है लेकिन यह ऊट के मंुह में जीरे के समान ही हैं। फिर भी ठिक है जिस प्रकार अब सरकार स्वाईन फ्लू को लेकर टॉस्क फोर्स बना रही हैं , स्वाईन फ्लू वार्ड, निशुल्क जंाच की व्यवस्था कर रही है यदी ये सब कुछ दिन पहले हो जाता तो आज स्वाईन फ्लू महामारी का रूप नही ंलेता।
सबसे नवीन और जानलेवा महामारी स्वाईन फ्लू श्वसन तन्त्र से जुडी एक बीमारी हैं जो ए टाईप के इनफ्लूएन्जा नामक वायरस से होती हैं यह वायरस एच1एन1 के नाम से जाना जाता है जो मौसमीं फ्लू में सह वायरस सक्रिस होता हैं। 2009 मेें भी स्वाईन फ्लू हुआ था लेकिन इस बार का स्वाईन फ्लू वायरस पहले वाले स्वाईन फ्लू वायरस से अधिक पावरफुल हैं।
सामान्यतया स्वाईन फ्लू के वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छीकने से फैलते हैं क्योकि स्वाईन फ्लू संक्रमित व्यक्ति का थूक या नाक का द्रव्य जिस स्थान पर गिरता हैं वह स्थान वायरस की चपेट मे आ जाता हैं और ये कण हवा के माध्यम से या किसी साधारण व्यक्ति के छूने से ये वायरस दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के रास्ते से प्रवेश कर जाता है। स्वाईन फ्लू रोगी के द्वारा छूआ गया मोबाईल फोन , किबोर्ड, दरवाजे के हैण्डल, रिमोट कंट्रोल, अखबार इत्यादी के माध्यम से भी स्वाईन फ्लू के वायरस स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकते है।
स्वाईन फ्लू बीमारी की शुरूआत साधारण जुखाम के माध्यम से होती हैं लेकिन नाक का लगातार बहना, छीक आना, नाक जाम होना, दस्त एंव उल्टी, मांसपेशिययों में दर्द या अकडन होना, सिर में भयानक दर्द होना कफ और कोल्ड, लगातार खंासी आना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना, बुखार होना , दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढते रहना , गले में खराश होना और लगातार बढते रहना इत्यादी स्वाईन फ्लू के साधारण लक्षण है ऐसे लक्षण दिखने पर तुंरत ही चिकित्यालय जाकर जंाच करवानी चाहिये और ईलाज करवाना चाहिये सामान्यतया स्वाईन फ्लू के मरीजों को 7-10 दिनों तक आराम करना चाहिये जिससे वह जल्दी सही हो सके साथ ही संक्रमण की हालत में अपने कार्यस्थल पर भी नहीं जाना जावे।
एलोपैथिक के अलावा होमयोपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वती में भी स्वाईन फ्लू का कारगार ईलाज संभव हैं। चिकित्सकों के अनुसार स्वाईन फ्लू से बचाव के कुछ सामान्य उपाय है जिन्हे कोई भी आजमा सकता हैं क्योकि ये व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने वाले हैं।
1. 4-5 तुलसी के पत्ते, 5ग्राम अदरख, चुटकी भर कालीमिर्च पाउडर और चुटकी भर हल्दी पाउडर को एक कप पानी में उबाल कर दिन में 2-3 बार पिये।
2. आधा चम्मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिये इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता बढती है।
3. ईलायची और कपूर को समान अनुपात में लेकर पीस ले और इस पाउडर को सूती कपडे में बाध कर हमेशा अपने पास रखे और प्रत्येक 2 घटे के बाद सूघ्ंाते रहें।
4. गिलोय की बेल की डण्डी को पानी में उबाल ले और इस पानी को छान कर पिये।
5. 5-6 तुलसी के पत्ते और काली मिर्च के 2-3 दाने पीसकर चाय में डालकर दिन में 2 से 3 बार पिये।
स्वाईन फ्लू को लेकर नेताओं और अधिकारियों द्वारा अपना अलग ही सियासी खेल खेला जा रहा हैं। कांग्रेस प्रदेशाअध्यक्ष सचिन पायलेट कह रहे हैं सरकार के पिछले एक साल से मुफ्त दवा-जॉच योजना को गंभीरता से नहीं लेने के कारण ही स्वाईन फ्लू की बीमारी बढ रही हैं। इसके साथ ही गंदगी के प्रति लोगों में जागरूकता लाने की आवश्यकता हैं क्योकि सार्वजनिक स्थानों की पर्याप्त सफाई नहीं होने के कारण जगह-जगह गंदगी कचरे के ढेर लगा हुआ हैं जिससे भी स्वाईन फ्लू की बीमारी बढ रही है जब राज्य की राजधानी जयपुर में ही जगह-जगह गंदगी का ढेर लगा हैं तो अन्य जिलों की हालत का अंदाजा आप स्वंय लगा सकते है, ऐसे में मोदी के सफाई अभियान के दौरान झाडू हाथ में लेकर फोटो खिचवाने वाले नेताओं की झंाडू कहा गयी जब राज्य में चारों और गंदगी का ढेर लगा हो। स्वाईन फ्लू को देखते हुए कलेक्टर ने नगरनिगम को सफाई व्यवस्था सुधारने के लिये तो कह दिया लेकिन नगरनिगम के पास संक्रमण को रोकने के लिये छिडकने वाली दवाईया टैमीफास और प्रोपोक्सर और आवश्यक संसाधन ही नही है तो संक्रमण कैसे रूकेगा।
स्वाईन फ्लू के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिये सरकार को विज्ञापनों, नुक्कड नाटकों, पम्पलेट्स के माध्यम से लोगों को स्वाईन फ्लू संबधी जानकारियां और सूचनाए पहुचानी चाहिये जिससे जनता में स्वाईन फ्लू के प्रति जागरूकता लायी जाये और जनता आने वाले खतरे और बीमारी के प्रति सचेत हो जावे। सरकार द्वारा स्वाईन फ्लू को लेकर चलायी जा रही योजनाएं, स्वाईन फ्लू की निशुल्क जंाच, स्वाईन फ्लू के वैक्सिन इत्यादी स्वाईन फ्लू के मरीजों को देखते हुए बहुत ही कम है। स्वाईन फ्लू की जंाच सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर निशुल्क होंने के साथ-साथ स्वाईन फ्लू के वैक्सिन भी सभी को निशुल्क उपलब्ध करवाये जाये तभी स्वाईन फ्लू महामारी को रोका जा सकता हैं।
लेखिका – रेणु शर्मा (पत्रकार)

1 thought on “स्वाईन फ्लू से बढती माैंते और प्रशासन”

  1. Dear Renu Ji

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