सीबीआई जांच से क्यों घबरा रहे हैं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी प्रस्तुत की है। इस अर्जी में पूर्व पीएम ने प्रार्थना की है कि दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने जो समन जारी किया है, उसे रद्द किया जावे। पूर्व पीएम की इस प्रार्थना पर सुप्रीम कोर्ट को अपना निर्णय देना है। असल में सीबीआई देश के बहुचर्चित कोयला घोटाले में मनमोहन सिंह से पूछताछ करना चाहती है। इस पूछताछ के लिए ही पटियाला कोर्ट ने मनमोहन सिंह को समन जारी कर आगामी 8 अप्रैल को सीबीआई के समक्ष पेश होने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट सिंह को कोई राहत देता है या नहीं, यह तो अगले कुछ दिनों में पता चलेगा, लेकिन सवाल यह उठता है कि पूर्व पीएम सीबीआई की जांच से घबरा क्यों रहे हैं? जिस समय कोयले के ब्लॉक आवंटित किए गए। उस समय पीएम मनमोहन सिंह के पास कोयला मंत्रालय का चार्ज भी था। ऐसे में सीबीआई यह जानना चाहती है कि 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए का जो कोयला घोटाला हुआ, उसमें मनमोहन सिंह की भूमिका क्या रही? आखिर किन परिस्थितियों में कोयला मंत्री ने कोल ब्लॉकों का बिना नीलामी के आवंटन कर दिया।
यह माना कि मनमोहन सिंह ने आवंटन से पहले उद्योगपतियों से कोई धन राशि नहीं ली होगी। देश के तमाम राजनेताओं में मनमोहन सिंह की छवि को साफ सुथरा माना जाता है। आरोप चाहे कितने भी लगे, लेकिन यह बात किसी के भी गले नहीं उतरेगी कि मनमोहन सिंह ने कोई धन राशि लेकर कोल ब्लॉक आवंटित कर दिए। यह आरोप तो शायद वर्तमान पीएम नरेन्द्र मोदी भी स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन पूरा देश जानता है कि मनमोहन सिंह ने किन-किन के दबावों में गठबंधन की सरकार को चलाया।
पीएम के पद पर रहते हुए सिंह ने कई बार स्वीकार किया था कि गठबंधन की सरकार चलाने में राजनीतिक समझौते करने पड़ते हैं। अच्छा हो कि सिंह बिना किसी घबराहट के सीबीआई के समक्ष उपस्थित हो और ईमानदारी के साथ यह बताए कि किन-किन के दबाव में कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया। यदि मनमोहन सिंह यह चाहते हैं कि उनकी छवि साफ-सुथरी बनी रहे तो उन्हें स्वयं जांच के लिए उपस्थित होना चाहिए। यदि सिंह जांच से बचने की कोशिश करेंगे तो फिर बेवजह उन पर अंगुली उठेगी। सिंह को कांग्रेस के नेताओं के चक्कर में भी नहीं पडऩा चाहिए, क्योंकि ऐसे नेताओं की वजह से ही पीएम के पद पर रहते हुए मनमोहन सिंह को कई मौकों पर नीचा देखना पड़ा था। ऐसे ही नेता अब चाहते हैं कि मनमोहन सिंह सीबीआई के सवालों का जवाब भी नहीं दे, क्योंकि यदि सिंह ने सवालों का जवाब दिया तो कांग्रेस के कई नेताओं के चेहरे पर से नकाब उतर जाएगा। साथ ही कांग्रेस की सरकार को चलाने वाले क्षेत्रीय दलों की लूट खसोट की पोल भी खुल जाएगी। सिंह को अब कांग्रेस की सुरक्षा करने की बजाए स्वयं की ईमानदारी की सुरक्षा करनी चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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