”न मस्जिद को जानते हैं, न शिवालय को।
जो भूखे हैं वो निवाले को जानते हैं

कुछ इसी भावना के साथ मुम्बई की 12 वर्षीय मुस्लिम लड़की मरियम सिद्दकी ने हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथ गीता पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यही वजह है कि आज मीडिया में मरियम छाई हुई है। गीता के ज्ञान पर इस्कॉन की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में मुम्बई के 46 हजार विद्यार्थियों ने भाग लिया। लिखित परीक्षा में मरियम को सर्वाधिक सौ में से सौ अंक प्राप्त हुए। प्रतियोगिता में अव्वल आने पर मरियम ने बताया कि उसने गीता का अच्छी तरह अध्ययन किया। उसने इससे पहले बाइबल और कुरान को भी पढ़ा है। उसका यह मानना है कि कोई भी धर्म गलत नहीं होता बल्कि धर्म को मानने वाले लोग गलत होते हैं। राजस्थान में सरकार ने सरकारी स्कूलों में योग सिखाने की घोषणा की है। योग की एक क्रिया सूर्य नमस्कार की भी है। लेकिन अनेक मुस्लिम संस्थाएं सूर्य नमस्कार का विरोध कर रही हैं। ऐसे मुसलमानों का कहना है कि उनके धर्म में सूर्य को नमस्कार करने की मनाही है। इसलिए सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले मुस्लिम विद्यार्थी धर्म के विरुद्ध सूर्य नमस्कार नहीं कर सकते। यहां पर सवाल उठता है कि जब मुम्बई की मुस्लिम लड़की मरियम सिद्दकी भगवान कृष्ण के ज्ञान पर आधारित गीता को पढ़ सकती है तो फिर योग की किसी क्रिया पर एतराज क्यों? गीता में लिखा है कि कर्म ही धर्म है जो जैसे करेगा उसे वैसा ही फल मिलेगा। मरियम सिद्दकी के माता-पिता भी शाबाशी के पात्र हैं जिन्होंने मरियम को कुरान के साथ-साथ गीता और बाइबल पढऩे की छूट दी है। घर-परिवार से जो हौंसला अफजाई हुई उसी की बदौलत मरियम ने गीता पर आधारित प्रतियोगिता को जीता। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने भी कई बार यह स्पष्ट किया है कि सूर्य नमस्कार को धर्म से न जोड़ा जाए। यह सिर्फ योग की एक क्रिया है। यदि बच्चे स्कूलों में योग करेंगे तो स्वस्थ भी रहेंगे। धर्म की मान्यताएं अपनी जगह हैं और योग की क्रियाएं अपनी जगह है। उम्मीद है कि मरियम सिद्दकी ने जो साम्प्रदायिक सद्भावना की मिसाल कायम की है उसके अनुरूप ही देश में सद्भावना का माहौल बने।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511