लेट आए ‘लतीफ़’ आए – इसरार अहमद

Israr ahmed director of film lateefवक़्त के पाबंद इसरार अहमद पर लेट-लतीफ़ का आरोप लगना सही हो न हो,लेकिन इस बार वह लेट है और कुछ ज्यादा ही लेट हो गए है.पूरे छह वर्ष .इसरार अहमद ने एक फिल्म शुरू की थी-‘फैक्ट’.इस फिल्म में कई स्थापित कलाकार थे,पर उनसे इतर एक सुविधा नया चेहरा भी था,जो सबको प्रबावित कर रहा था.लेकिन वह चेहरा सिर्फ प्रभावित करता रहा,आकर्षित कर पाना उसके व्यक्तित्व में नहीं था.वह लड़का था-नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी ,जो आज का महंगा स्टार एक्टर बना हुआ है .लेकिन ये आज की बात है,तब की बात कुछ और थी.”फैक्ट’ का नाम ‘रियलिटी द फैक्ट”किया गया,फिर भी रियल में कुछ बदलाव नहीं आया.तब फिल्म के निर्माता राजेश शर्मा थे.फिल्म को कोई वितरक नहीं मिला .लेकिन इसरार अहमद ने फिल्म को खरीद लिया और नया नाम पड़ा-‘ऐन अनफोल्ड फैक्ट’-लतीफ़ .आज वह फिल्म नए तेवर के साथ प्रदर्शन को तैयार है.इसी २४ को फिल्म सर्वत्र रिलीज़ हो रही है .इसरार अहमद से लतीफ़ को लेकर एक व्रिस्तुत बातचीत हुई .प्रस्तुत है वार्तालाप के संचिप अंश;

१)पहले आप ‘लतीफ़’ के निर्देशक थे अभी पूरी फिल्म आपके हाथ है .इस बदलाव की पूरी कहानी बताये ?

निर्माता राजेश शर्मा ने मुझे ‘फैक्ट’ नाम की एक फिल्म निर्देशित करने के लिए अंबद्धित किया था.फिल्म गर्दुल्ले -नशेड़ियों को लेकर थी.इसमें मुरली शर्मा ,अखिलेश मिश्रा ,मुकेश तिवारी ,सुरेश बैरी,प्रतिमा काजमी ,अरुण बक्शी और कादर खान साहब थे.लेकिन लीड रोल एक नए लड़के को दिया गया था,जिसका नाम नवाज था-नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी .

२)फिर क्या हुआ?

हुआ ये की किसी को भी निर्माता का यह निर्णय समझ नहीं आ रहा था.मैंने भी कहा इसको लेने के बाद फिल्म की मार्केटिंग हो पायेगी ? शर्माजी ने आश्वस्त किया था की एन.एस.डी का ट्रेड है अच्छा एक्टर है.यहाँ तक बाते सही थी ,वह अच्छे एक्टर तो थे ही.उसका असर आज दिखाई पड़ रहा है.लेकिन ,वितरकों ने फिल्म को हाथ नहीं लगाया .

३)फिर आज नवाज का स्टार स्टेटस कैश करने का प्रोग्राम बना?

नहीं यह सही नहीं है.यह महज संयोग है की आज उनका (नवाज का ) मार्किट वैल्यू आकाश छू रहा है.पर यह निर्णय हमने पहले ही लिया हुआ था.मेरी पत्नी अमीना अहमद ने कहा ,यह फिल्म किसी तरह रिलीज़ होनी चाहिए और हमने ये फिल्म अपने बैनर स्क्रीनशॉट मीडिया एंड एंटरटेनमेंट के नाम कर ली.

४)फिर राजेश शर्मा का नाम आपने हटा दिया होगा?

नहीं,शिस्टाचार में,उनकी लगन को देखते हुए मैंने क्रिएटिव प्रोडूसर के रूप में उनका नाम दिया है,ये सपना छह वर्षो बाद ही सही साकार हो रहा है.पर उसे देखा तो था शर्माजी ने ही.

५)क्या है इस फिल्म में?

नवाज एक मेडिकल स्टूडेंट है .लेकिन परीक्षा के कुछ दिन पहले ही वह एक ऐसी गाडी में बैठे हुए पकड़े जाते है,जिसमे ड्रग भरा पड़ा रहता है.नवाज इस साड़ी बातो से अनजान होते है लेकिन जांच अधिकारी उनकी एक नहीं सुनते और उनको जेल हो जाती है.आगे नवाज पर इस घटना का क्या असर होता है,कैसे वह निरपराध होकर भी एक अपराधी का जीवन जीने को बाध्य हो जाते है.जेल से जीवन जीने के बाद क्या होता है ,यही इस फिल्म की खूबसूरती .

६)ऐसी फिल्मो में गाने नहीं होते है.आपने रखा है क्या?

हाँ रखा तो है,पर सिर्फ दो गीत है.एक पब में बजता है,दूसरा बैक ग्राउंड है.

७)गीत-संगीत किसका है?

शब्बीर अहमद के लिखे हुए गीत है .यासीन दरबार और गुणवंत सेन का संगीत है .भले दो ही गीत है,पर दोनों ही सुनने लायक है .

८)निर्माता के रूप में कितनी और निर्माता-निर्देशक के रूप में कितनी फिल्मे हुई ?

प्रोडूसर तो अमीना मेडम है (हँसते है) ये मेरा सौभाग्य है की मैं अपनी प्रोडूसर का शौहर हूँ.प्रोडूसर के रूप में हमारी पहली फिल्म थी ‘बाजार -लव,लस्ट एंड डिज़ायर” .इसमें कादर खान साहब ने अपने साहबजादे सिराज के साथ पहली बार काम किया था.दूसरी यही है ‘ऐन उनफोल्ड फैक्ट-लतीफ़’.” निर्देशक के रूप में मेरी फिल्म है-आग और तेजाब ,काली भवानी ,होटल और जय जय माँ शेरावाली .एक एक्सपेरिमेंट भोजपुरी में भी की थी .भोजपुरी में एक मल्टी स्टारर फिल्म बनायीं थे-अँधा कानून .

९) आगे की योजना ?

अगली (हिंदी) फिल्म का टाइटल है ‘कानपूर सेन्ट्रल ‘.

SANJAY BHUSHAN PATIYALA

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