क्या मुस्लिम आबादी की वजह से पाकिस्तान में जा रहा है कश्मीर

हाफिज सईद का क्या पैगाम।
कश्मीर बनेगा पाकिस्तान।।

मेरी जान, मेरी जान।
पाकिस्तान-पाकिस्तान।।

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

भारत के लोगों को यह समझना चाहिए कि कश्मीर का आवाम क्या चाहता है। 15 अप्रैल की रैली में पाकिस्तान के जो झंडे लहरे उसमें कोई बुराई नहीं है। ऐसे झंडे पहले भी लहरते रहे हैं। कश्मीर के लोग चाहते हैं कि कश्मीर का विलय पाकिस्तान में हो जाए। कश्मीर में पाकिस्तान के झंडे हमेशा ही लहरते रहेंगे। मेरी नजर में यह सब जायज है, भारत ने कश्मीर पर जबरन कब्जा कर रहा है। कश्मीर में शांति का माहौल तभी बनेगा, जब कश्मीर पाकिस्तान में शामिल होगा। भारत में रहते हुए कश्मीर में शांति संभव नहीं है। कश्मीर के लोगों को हाफिज सईद का पूरा समर्थन है। हाफिज सईद के नेतृत्व में पाकिस्तान की आवाम का कश्मीरियों को पूरा समर्थन है।
उक्त हालात कोई पाकिस्तान की रैली के नहीं है, बल्कि 15 अप्रैल को कश्मीर में हुई रैली के है। यह रैली अलगाववादी नेता गिलानी के घर के बाहर हुई थी और इसमें हाल ही में जेल से छूटे अलगाववादी नेता मसरत आलम ने जोशीला भाषण दिया और भाषण के बीच-बीच में कश्मीर को पाकिस्तान में शामिल करने के नारे भी लगवाएं। रैली के बाद जब पत्रकारों ने मसरत आलम से पाकिस्तानी झंडों के बारे में पूछा तो उन्होंने उक्त बयान भी दिया। सवाल उठता है कि जब कश्मीर में इतने बुरे हालात है तो फिर क्या कश्मीर को पाकिस्तान में जाने से रोका जा सकता है, जो लोग मेरी जान मेरी जान, पाकिस्तान पाकिस्तान के नारे लगा रहे है, वे क्या पीएम नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया के नारे से प्रभावित होंगे। पीएम नरेन्द्र मोदी जर्मनी, फ्रांस आदि देशों में भले ही भारत का डंका बजा रहे हो, लेकिन इधर उनके ही देश के एक प्रांत में पाकिस्तान का झंडा लहर रहा है। लाचारी की बात तो यह है कि कश्मीर में भाजपा के समर्थन से चलने वाली पीडीपी की सरकार मसरत आलम के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।
15 अप्रैल की रैली के बाद 16 अप्रैल को केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर के सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद को निर्देश दिए कि भारत विरोधी रैली करने के लिए मसरत आलम को गिरफ्तार किया जाए, लेकिन कुछ ही देर में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राजनाथ सिंह के निर्देश ठुकरा दिए। यानि कश्मीर में पाकिस्तान के पक्ष और भारत के विपक्ष में जो माहौल बना है, उसका समर्थन मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भी कर दिया। मुफ्ती ने मसरत आलम से बढ़कर कहा कि यदि मसरत को गिरफ्तार किया जाता है तो कश्मीर के हालात बिगड़ जाएंगे। यहां यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या कश्मीर में मुस्लिम आबादी की वजह से ही भारत के विरुद्ध माहौल बना है? 15 अप्रैल को श्रीनगर में जो रैली हुई, उसका लाइव प्रसारण पाक अधिकृत कश्मीर और सम्पूर्ण पाकिस्तान में हुआ। मसरत आलम से इस रैली में जिस प्रकार मुम्बई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद की प्रशंसा की उससे मसरत आलम पाकिस्तान में हीरो बन गया है।
यदि केन्द्र सरकार के पास इतनी भी ताकत नहीं है कि वे मसरत आलम को गिरफ्तार करवा सके तो इससे कश्मीर के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। भारत सरकार हाफिज सईद के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग करती रही है, लेकिन अब तो हाफिज सईद का डुप्लीकेट मसरत आलम कश्मीर में ही सक्रिय हो गया है। यूं तो कश्मीर के कई नेता पाकिस्तान का समर्थन करते रहे हैं, लेकिन जेल से छूटने के बाद मसरत आलम ने कश्मीर में जो माहौल बनाया है, उससे हालात बद से बदत्तर होते जा रहे हैं। 15 अप्रैल को मसरत की रैली में जब पाकिस्तान के झंडे लहराए जा रहे थे, तब किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे दुश्मन देश के झंडे जप्त कर सके। पीएम नरेन्द्र मोदी माने या नहीं हमारे कश्मीर के हालात पाक अधिकृत कश्मीर जैसे हो गए हैं। मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार उन लोगों के साथ खड़ी है जो कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहते हैं। भाजपा के जो लोग पिछले कुछ दिनों से कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में वापस बसाने के प्रयास कर रहे थे, उन्हें 15 अप्रैल की मसरत की रैली से झटका लगा है। कश्मीरी पंडित तो दूर अब तो कश्मीर ही पाकिस्तान की ओर जाता नजर आ रहा है। जो लोग कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते हैं वे ये बताए कि कश्मीर में हाफिज सईद का क्या पैगाम कश्मीर बनेगा पाकिस्तान के नारे कैसे लग गए?
पहले धारा 370 का प्रावधान कर कश्मीर को भारत से अलग रखा और अब जब सारे हिन्दू भाग गए तो मुस्लिम आबादी वाले कश्मीर को पाकिस्तान की ओर ले जाया जा रहा है। यदि इस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार होती तो भाजपा के नेता चिल्ला-चिल्ला कर कहते कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति की वजह से ही कश्मीर पाकिस्तान की ओर जा रहा है, लेकिन अब तो केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की ही सरकार है। यदि अब भी कश्मीर में पाकिस्तान का समर्थन हो रहा है तो फिर कांग्रेस के राज का तो अंदाजा ही लगाया जा सकता है। भाजपा के नेता अब भी यही कहेंगे कि कश्मीर के वर्तमान हालात कांग्रेस की वजह से ही हुए हैं, लेकिन सवाल उठता है कि इस पर भाजपा के नेता कब तक अलाप करते रहेंगे। अब जब केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार है तो क्या भाजपा की कोई जिम्मेदारी नहीं है? पीएम नरेन्द्र मोदी भले ही दुनिया भर में घूम कर भारत का डंका बजवाए, लेकिन यदि कश्मीर के हालात नहीं सुधारे तो आगामी लोकसभा में चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा। देश की जनता ने जिस भावना से मोदी को वोट दिया, उस भावना पर मोदी को खरा उतरना होगा। कश्मीर के जो हालात है, उतने तो कांग्रेस के शासन में भीनहीं थे।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

error: Content is protected !!