यथार्थ से रूबरू

कीर्ति शर्मा पाठक
कीर्ति शर्मा पाठक

कल एक सच से रूबरू हुए ..
स्वीकारोक्ति – किसान की आत्महत्या एक समाचार होती थी…
परंतु कल के वाकये ने झकझोर कर रख दिया …
ऐसा क्या हो गया कि किसान को संगठित कर के ,उन्हें सम्बल दे कर ,उन की लड़ाई लड़ने की रैली में हमारा एक किसान भाई अपने आप को समाप्त कर ले ?
गजेन्द्र जी की मृत्यु कई सवालों को जन्म दे गयी है …
1. हमारे देश में अन्नदाता ही भूखा क्यों ?
2. क्यों आज तक ,देश को स्वतंत्र हुए 66 सालों से अधिक समय में हम, गाँवों में बसे इस देश को, एक स्वस्थ किसान नीति नहीं दे पाये ?
3. क्यों हमारा किसान अब तक प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर है ?
4. क्यों वह आज कर्ज़ों के बोझ तले डाब कर आत्महत्या को मजबूर है ?
सरकार आज किसानों समेत आम नागरिकों के वोट से चुनें जाने के बाद, किसानों और आम नागरिकों के टैक्स के पैसे से अय्याशी करती है और किसान पैसों के अभाव में दम तोड़ देता है …..
क्या अब समय नहीं आ गया है कि हमारे पैसों की जवाबदेही तय की जाए ?
क्या हमारे किसान भाइयों , जो कि हमारे मुँह में जीवनदायिनी निवाला पहुंचाता है, के प्रति हमारे और उन के द्वारा चुनें गए जनप्रतिनिधियों की कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती ?
कब तक हम मूक दर्शक बन कर इन सरकार के नुमाइंदों को अपना राजा बने देखते रहेंगे ?
क्यों हमारे किसान भाइयों के नुकसान का आकलन दूसरे हाथों में रहेगा ?
क्यों नहीं स्थानीय ग्राम सभा स्वयं प्राकृतिक नुक्सान का आकलन करे और मुआवज़ा निश्चित करे ?
और क्यों नहीं उस मुआवज़े में नष्ट हुई फसल के साथ साथ उस गरीब किसान के निवाले को भी जोड़ा जाए अर्थात क्यों नहीं उस मुआवज़े में किसान के वर्ष भर के खाद्यान का भी जुगाड़ हो ?
सरकार किसी की मौत पर मनमर्ज़ी का मुआवज़ा बाँट कर एहसान करने की जिस मुद्रा में आ जाती है , उसे उस का त्याग करना होगा …
हम सब को यह बात कूट कूट कर स्वयं और सरकारी कारिंदों के ज़हन में डाल देनी पड़ेगी कि ये देश और टैक्स का पैसा स्वयं जनता का है
और
कारिंदे सिर्फ कार्य सम्पादन के लिए हैं …
वे हमारे राजा और हमारे पोषक नहीं है
वरन
हम अपने टैक्स के पैसों से उन का पोषण करते हैं …
मन बहुत उद्वेलित है …
और सच मानिए इन सब परिस्थितियों के ज़िम्मेदार हम स्वयं हैं …
हमें अपने आप को सुधारना होगा और इस देश की बागडोर अपने हाथों में लेकर देश को चलाना होगा …
अब इन राजनेताओं पर भरोसा नहीं कर अपने आप पर भरोसा कर इन से अपने मन मुताबिक़ कार्य करवाना होगा …
जागिये और अपना और साथी देश वासियों का जीवन सुधारिये …
कुछ ऐसा करने का प्रयत्न कीजिये कि किसी और गजेन्द्र को हताशा में अपना बहुमूल्य जीवन ना गंवाना पड़े …
कोई और बच्चे यूँ अनाथ ना हों …
जागो हनुमान आप में वो शक्ति अन्तर्निहित है ,
बस,
उसे पहचानिये …
जय हिन्द !!!

कीर्ति पाठक
Voice Against Corruption http://kirti-pathak.blogspot.com/

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