चारभुजा व पीपल का हुआ अनूठा विवाह
-मूलचंद पेसवानी- शाहपुरा। निकटवर्ती सगतपुरिया ग्राम में स्थित बैकुंठधाम, मरडिया में गुरूवार को हनुमान मंदिर विग्रह स्थापना दिवस के मौके पर महाआरती का आयोजन हुआ। इससे पूर्व रात्रि में वहां पर भजन संध्या का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ। जिसमें आस पास के गावों से सैकडों लोगों ने भाग लिया। बैकुंठधाम, मरडिया में चार दिनी महोत्सव के प्रथम दो दिन पीपल संग चारभुजा का भी अनूठा विवाह आयोजित किया गया।
बुधवार को रात्रि में हुई भजन संध्या में गायक कलाकार बनवारी व राजू ने हनुमान के भजनों से सभी को भक्ति में सरोबार कर दिया। रात भर चली भजन संध्या में भजनों पर आकृषक नृत्यों की भी प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति देने वालों में बनवारी, राजू के अलावा कमल, शिवराज, रतन आदि थे। बैकुंठधाम, मरडिया के महेंद्र पारीक की अगुवाई में बुधवा रात को हनुमान के विग्रह के सम्मुख आरती वंदना व पूजन का कार्यक्रम हुआ आज महाआरती का विशाल आयोजन भी किया गया।
इससे पूर्व आखातीज के मौके पर भगवान चारभुजा व पीपल से विवाह करने का अनुठा आयोजन किया गया। आयोजन को लेकर पूरा गांव उत्साह से झूम उठा तथा विवाह की सभी परंपराओं का निर्वहन दुल्हा व दुल्हन पक्ष की ओर से किया गया। दुल्हन पीपल की ओर से बैकुंठधाम, मरडिया सगतपुरिया तथा दुल्हे भगवान चारभुजा की ओर से ग्रामीणों ने नवयुवक मंडल ने सभी परंपराओं का निर्वहन किया।
बाकायदा चारभुजानाथ मंदिर से सालिगराम की बारात निकली जो बैंडबाजों के साथ बैकुंठधाम पहुंची। इससे पूर्व वहां संपूर्ण ग्रामवासियों को विवाह का प्रीतिभोज कराया गया। बारात के बैंकुठधाम पहुंचने पर स्वागत सत्कार किया गया। मंगलवार को प्रातरू सालिगराम को चारभुजा के बेवाण में बारात के रूप में विवाह मंडप तक लाकर बाकायदा तोरण की रस्म की गई। पं. कल्याणमल दाधीच ने 13 जोड़ों के हवन वेदी में आहुतियां देने के बाद रस्मो रिवाज के साथ विवाह संपन्न कराया। वेदी पर मुख्य यजमान के रूप में महेंद्र पारीक बैठे। इस दौरान महिलाओं ने मंगलगान गाये। बाद में बारात को विदाई दी गई जिसमें ग्रामीण डीजे साउंड की धून पर नाचे।
बारात चारभुजानाथ मंदिर से प्रांरभ हुई जो डीजे साउंड के साथ मरडिया बैकुंठधाम पहुंची। चारभुजानाथ मंदिर से भगवान की बारात बैंडबाजों के साथ रवाना हुई जो सांय 6 बजे बैकुंठधाम पहुंची, जिसकी बाकायदा अगवानी की गई।नवयुवक मंडल सगतपुरिया के तत्वावधान में चारभुजानाथ मंदिर से ठाकुरजी को दूल्हा बनाकर विमान में विराजित करके बराती बनकर गाजे-बाजे से कार्यक्रम स्थल पर बाराती पहुंचें। देर सांय को बैकुंठधाम में महाप्रसादी का आयोजन भी किया गया।
उल्लेखनीय है कि सनातन संस्कृति की परंपरा के अनुसार हिंदू रीति-रिवाजों में सभी धार्मिक कार्य पीपल के पेड़ में किए जा सकते हैं। विवाह करने के बाद ही यह वृक्ष पवित्र माना जाता है। शादी के बाद पीपल का पेड़ जल चढ़ाने, मनोकामना के लिए बंधन बांधने, पूजा करने के लिए पवित्र माना जाता है।
पर्यावरण शुद्धिकरण होगा-बैकुंठधाम के नरेश पाठक ने बताया कि पर्यावरण की शुद्धि व धार्मिक आस्था को लेकर यह विवाहोत्सव कार्यक्रम किया गया। आज यहां पर हवन में विशिष्ट आहुतियां दिये जाने से न केवल क्षेत्र में धार्मिक आस्था का संचार हुआ वरन क्षेत्र में पर्यावरण भी शुद्ध हुआ।
हथलेवा में भी दिया सहयोग-बैकुंठधाम के महेंद्र पारीक के संयोजन में दोपहर में १२.१५ बजे पीपल व भगवान चारभुजा नाथ का विवाह संपन्न किया गया जिसके सैकड़ों लोग साक्षी रहे। बाकायदा इन लोगों ने पीपल विवाह पर हथलेवा में अपने सामर्थ के अनुसार आर्थिक सहयोग व गिफ्ट भी भेंट की। इस दौरान विवाह संस्कार में पीपल को दुल्हन की तरह वस्त्र पहना कर सजाया गया है। बाकायदा वहां बन्ना गीतों की धूम मची हुई है।