मूल: अनीता कपूर
आँखों की सड़क
मेरी आँखों की सड़क पर
जब तुम चलकर आते थे
कोलतार मखमली गलीचा बन जाता था
मेरी आँखों की सड़क से जब
तुम्हें वापस जाते देखती थी
वही सड़क रेगिस्तान बन जाती थी
तुम फिर जब-जब वापस नहीं आते थे
रगिस्तान की रेत आँख की किरकिरी बन जाती थी
आँखों ने सपनों से रिश्ता तोड़ लिया था
फिर मुझे नींद नहीं आती थी
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सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
आँखों की सड़क
मुहिंजी अखियुन जी वाट ते
जडहिं तूँ हल्यो ईन्दो हुयें
डामर मखमली गालीचो थी पवंदों हुयो
मुहिंजी अखियुन जी वाट ते
जडहिं तोखे वापस वेंदो डिसंदी हुयस
उहाई वाट रेगिस्तान बणजी पवंदी हुई
तूँ वरी जडहिं -जडहिं वापस न मोटन्दो हुयें
रेगिस्तान जी वारी अखयुन में किरकिरी थी पवंदी हुई
अखियुन सपनन सां नातो टोड़े छडियो हो
पोइ मुखे निंड न ईन्दी हुई।
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