ओम माथुरलगता है अपने देश के विपक्षी नेताओं को मन की बात का मतलब ही पता नहीं है। मन की बात का सीधा-सादा मतलब है,कि व्यक्ति के मन में उठने वाले विचार। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में रह-रहकर जो विचार उठते हैं,उन्हें वे महीने-दो महीने में आकाशवाणी के माध्यम से देश की जनता के सामने परोस देते हैं। अब अगर उनके मन में ये विचार आया ही नहीं कि उनकी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने भगोड़े ललित मोदी की कानून के खिलाफ जाकर मदद की है। मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी की डिग्री को लेकर विवाद है। उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी उन्हें नैतिकता की नसीहत दे रहे हैं। तो वे इस बारे में कैसे देश के सामने अपनी बात रख सकते हैं।
आपको नहीं लगता योग करते-करते प्रधानमंत्री इतने सकारात्मक हो गए हैं कि उनका नकारात्मकता की ओर ध्यान ही नहीं जाता। अगर विपक्षी नेता भी योग करने लग जाएं,तो कितना अच्छा होगा। सारी नकारात्मक बातों के लिए राजनीति में जगह ही नहीं रहेगी। शुरूआत पीएम ने अभी सारे विवादों को मन में नहीं लाकर की है,अब कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं को भी इस दिशा में सोचना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार ओम माथुर की फेसबुक वाल से साभार