गिरगिट भी शरमा जाए

ओम माथुर
ओम माथुर
राजनीति में नेताओं के बयान बदलने में बेशर्मी को देखते हुए शायद गिरगिट को भी शर्म आ जाए। मंगलवार को गृृहमंत्री राजनाथ सिंह व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने व्यापमं की जांच सीबीआई को सौंपने की जरूरत से इंकार किया और कहा कि हाईकोर्ट की देखरेख में एसटीएफ की जांच पर्याप्त है। लेकिन एक दिन बाद ही बुधवार को शिवराज सिंह चौहान किसी संत की मुद्रा में राजनीतिक शुचिता का ढोंग करते हुए बयान दे रहे थे राजनीति में पब्लिक परसेप्शन की बहुत बड़ी भूमिका है। अगर लोग चाहते हैं कि घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जाए,तो वे इसके लिए अदालत से आग्रह करेंगे। और जब गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी,तो चौहान और भाजपा बेशर्मी से इसका श्रेय लेने से भी नहीं चूके। शिवराज बोले, मैं तो खुद चाहता था कि सीबीआई जांच हो।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा बोले,सुप्रीम कोर्ट से चौहान ने ही तो आग्रह किया था।
अब उनसे कोई ये पूछे की मौत के इस घोटाले की जांच की सीबीआई जांच की मांग विपक्षी दल और व्हिसल ब्लोअर तो दो साल से उठा रहे हैं। तब उन्हें आगे बढ़कर सीबीआई जांच की सिफारिश करने की क्यों नहीं सूझी? सभी भाजपा नेता इस मुद्दे को सीबीआई जांच के लायक भी नहीं समझते थे। वो तो तीन दिन में चार मौतें और उसमें भी एक चैनल के रिपोर्टर के शामिल होने से बढ़े दबाव के कारण शिवराज व भाजपा को झुकना पड़ा। आज जब शिवराज टीवी पर नजर आए,तो उनका उतरा हुआ चेहरा बता रहा है,कि उन्हें सीबीआई जांच से खुशी हुई है या परेशानी। खैर,चाल,चरित्र,चेहरे और राजनीतिक शुचिता की बातें करने वाली भाजपा में अब सुषमा स्वराज,स्मृति इरानी,वसुन्धरा राजे,पंकजा मुंडे,रमन सिंह और शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं पर प्रधानमंत्री से मन की बात सुनने के लिए पूरा देश उत्सुक है।
वरिष्ठ पत्रकार ओम माथुर की फेसबुक वाल से साभार

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