मूल सिन्धी : देवी नागरानी
सो अंदर आहे
दर बंद दिल जो पुखतगीअ सां
ठक ठक करे ही कडहिं
कडहिं थो करे हू
पर डंद भीड़े माठ में माँ
खामोश रहण चाहियाँ थी।
भुणक न कहिंखे हीअ पवे
त माँ अंदर रहंदी आहयां-
पर कडहिं
रोशनदान हिकड़ो खोले
साहु पटीन्दी आहयाँ
दुनिया जा सभ रंग डिसी
अखि माँ बूटीन्दी आहयाँ!
उम्र गुज़ारी ईंअ कंदे
पर हाण! हा हाण
इहा पक थी आहे
जो माँ बाहिर गोल्हयां थी
सो अंदर आहे
हा! सो अंदर आहे ।
हिन्दी अनुवाद: खीमन मूलाणी
सो अंदर है
दरवाजा बंद दिल की दृढ़ता से
खट खट करता है कभी यह
कभी वह करता है
परंतु दाँत भींचकर शांति से मैं
खामोश रहना चाहती हूँ।
किसी को भनक न लगे
कि मैं भीतर रहती हूँ
परंतु कभी एक रोशनदान खोल कर
सुस्ता लेती हूँ
दुनिया के सब रंग देखकर
फिर अपनी आँखें मूँद लेती हूँ!
उम्र बिताई ऐसा करते
परंतु अब, हाँ अब
यह विश्वास हो गया है कि
जो मैं बाहर ढूंढ रही थी
वो अंदर हैं
हाँ! वो अंदर है ।
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