देवी नागरानी की सिंधी रचना का खीमन मूलाणी द्वारा हिंदी अनुवाद

मूल सिन्धी : देवी नागरानी
Devi N 1सो अंदर आहे
दर बंद दिल जो पुखतगीअ सां
ठक ठक करे ही कडहिं
कडहिं थो करे हू
पर डंद भीड़े माठ में माँ
खामोश रहण चाहियाँ थी।
भुणक न कहिंखे हीअ पवे
त माँ अंदर रहंदी आहयां-
पर कडहिं
रोशनदान हिकड़ो खोले
साहु पटीन्दी आहयाँ
दुनिया जा सभ रंग डिसी
अखि माँ बूटीन्दी आहयाँ!
उम्र गुज़ारी ईंअ कंदे
पर हाण! हा हाण
इहा पक थी आहे
जो माँ बाहिर गोल्हयां थी
सो अंदर आहे
हा! सो अंदर आहे ।

हिन्दी अनुवाद: खीमन मूलाणी
Khiman Mulaniसो अंदर है
दरवाजा बंद दिल की दृढ़ता से
खट खट करता है कभी यह
कभी वह करता है
परंतु दाँत भींचकर शांति से मैं
खामोश रहना चाहती हूँ।
किसी को भनक न लगे
कि मैं भीतर रहती हूँ
परंतु कभी एक रोशनदान खोल कर
सुस्ता लेती हूँ
दुनिया के सब रंग देखकर
फिर अपनी आँखें मूँद लेती हूँ!
उम्र बिताई ऐसा करते
परंतु अब, हाँ अब
यह विश्वास हो गया है कि
जो मैं बाहर ढूंढ रही थी
वो अंदर हैं
हाँ! वो अंदर है ।
संपर्क-A-न्यू 14/134, बैरागढ़, भोपाल-462030

error: Content is protected !!