मितव्ययता सीखें

बलराम हरलानी
बलराम हरलानी
बूंद बूंद से ही घडा भरता है – आज हम सभी इस कहावत के मायने भूल से गये है । मेरी सलाह है – फिसूलखर्चीं छोडे और मित्व्ययता सिखें । विलासता व भोग हमारे समाज में हावी हो रहा है । हर व्यक्ति अपने या अपनों के क्षणिक आनन्द के लिऐ अपनी सीमा से अधिक खर्च करने की प्रवृति अपना रहा है । आमदनी अठनी और खर्चा रूपया वाली स्थिति है । मित्व्ययता को यदि कोई घर में बुजुर्ग हो तो वह सीखाता है, युवावर्ग तो इसके मायने ही भूलसा गया है । आधुनिक विज्ञापन के युग में क्षणिक आनन्द को ही महत्व दिया जाता है ।

बुरा समय पूछ कर नहीं आता । यदि व्यक्ति इस समय के लिये सही बचत नहीं कर के रखता है तो वह बहुत परेषानी में फस जाता है । आज हम महगांई का रोना रोते है जोकि हमारे नियंत्रण में नहीं है पर जो महत्वकांषायें जिन पर हम नियंत्रण कर सकते हैं नहीं करते । परिणाम बडे ही भयानक होते है । कहते है चिंता चिता के समान होती है तो क्यों हम हमारी चिताओं को बढायें । क्यों ना हम मित्व्ययता को अपनायें । अपनी आवष्कतओं का निरधारण करने की योग्यता को बढायें । किसी भी चीज का पूरा उपयोग करें व्यर्थ ना गवायें । बचा हुआ धन व साधन आपके या आपके परिवार के ही काम आयेगा । एक बार आप बचत की आदत डाल कर तो देंखें आप को मजा आने लगेगा ।

कुछ लोग कहते है कि शौक की कोई कीमत नहीें होती पर मेरा यह मानना है कि शौक की कई बार बहुत भारी कीमत चुकानी पडती है व्यक्ति को स्वयं या उसके परिवार को । आपकी बचत जीवन भर एक सुरक्षा का भाव देगी और आपके बाद आपके परिवार को ।
आप अपनी जीवन की बेलेंस शाीट बना कर चलें क्या आपके दायित्व अधिक हैं या सम्पतियां आप को आकंलन करना होगा । जैसे कोई भी व्यापार बिना लेखा जोखा के नहीं चल सकता वैसे ही कोई भी व्यक्ति बिना आंकलन के सुकुन नहीं महसूस कर सकता । अभ्यास करंे, रोज लिखें, यदि किसी अनावश्यक चीज पर खर्च कर रहें है तो तुरन्त रोक दें । देश के संसाधन खराब करने के लिऐ नहीं है । जिस देश मेें भूख, गरीबी व बेरोजगारी से लोग त्रास्त हो वहां आप आंख मूंद कर खर्च नहीं कर सकते । आप अपनी आदतों को सुधारियें अवश्यक ही आपका, आपके परिवार का और देश व समाज का बहुत भला होगा ।
बलराम हरलानी
लेखक का परिचय – एक सफल व्यवसायी, कृषि उपज मंडी के डायरेक्टर, समाज सेवी, पूर्व छात्र सेंट ऐन्सलमस अजमेर

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