डॉ. सरिता मेहता की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

बदलते सपने
Sarita Mehta 1एक सपना था बड़ा होने का।
माँ की तरह तैयार होने का,
माँ बन, ममता लुटाने का॥
एक सपना था कुछ करने का,
जग में नाम-शौहरत कमाने का,
अखबारों की सुर्खियों में छा जाने का॥
अब सपना है बुद्ध सा बनने का,
मोह माया से पूर्णत: विरक्त होने का
सब कुछ छोड़ स्वंय में खो जाने का॥
देखा ! वक्त के साथ-साथ कैसे बदलते हैं सपने॥
पता: लेक्चरार हिन्दी, राइस यूनिवर्सिटी, ह्यूस्टन, टेक्सास, USA

सिन्धी अनुवाद : देवी नागरानी

    बदिलजंदड़ सपना
    Devi N 1हिकु सपनो हो वडे थियण जो
    माऊ वांगुर तियारु थियण जो,
    माऊ बणजी, ममता लुटाइण जो ॥
    हिकु सपनो हो कुछ करण जो
    जग में नालो-शोहरत पाइण जो,
    अखबारुन जी सुर्खियुन में छाइजी वजण जो॥
    हाणि सपनो आहे बुद्ध जाहिडो बणजण जो ,
    मोह माया मां पूरी तरह विरक्त थियण जो
    सब कुछ छडे पाण में गुम थी वञण जो
    डिसु! वक्त सां गड़ु-गड़ु कींअ था बदलजन सपना॥
    पता: 480 W, surf St. Elmhurst IL, 60216

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