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तन के साथी, मन के साथी
मिलकर बोझ उठायेंगे
मेहनत मज़दूरी कर दोनों
अपने ध्येय को पायेंगे।
पत्थर गारा जो भी होगा
हाथ से हाथ बटायेँगे
सुख में साथ दिया है जैसे
दुख में वैसे निभायेंगे
जीवन पथ पर पग-पग मिलकर
साथ में कदम बढायेंगे
ये धूप कड़ी दिन की ढलते
हर शाम सुहानी बनायेंगे .
ये छाँव है देवी छत घर की
हम बैठ वहीं सहलायेंगे !
देवी नागरानी