बी एल गौड की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

gaudमूल: बी. एल. गौड
‘पारे जैसा मन’
किसी फूल पर ओस कणों सा है अपना जीवन
ना जाने कब आकर छूले कोई सूर्य किरण।
रहे भागते जीवन भर हम कस्तूरी मृग से
सपना एक सत्य हो जाये जीवन भर तरसे
सागर बीच किसी टापू पर अपना एक मकान
चारों ओर लहर है जल की फिर भी प्यास गहन।
हम को है दुख में ही जीना लिखा भाग अपने
सारी उमर बीत गयी देखते बड़े बड़े सपने
मरूथल में अक्सर होता है जल होने का भ्रम
ज्ञान डोर से कब बँध पाया पारे जैसा मन।
सोचा हम भी कबिरा जैसी रखें चदरिया साफ़
पर हम ठहरे आम आदमी कबिरा थे खुद आप
कहते दुर्बल को न सताना इससे बड़ा न पाप
पर दुर्बल से छीन-छीनकर करते हम अर्जन !
पता: बी-159, योजना विहार, दिल्ली-110092

Devi N 1सिन्धी अनुवाद : देवी नागरानी
‘पारे जहिडो मनु ’
कहिं गुल ते शबनम जे कणन ज्यां आहे पहिंजो जीवन
न जाणु कडहिं अची स्पर्श करे का सूर्य किरण।
रहियासीं डुकन्दा ता-उम्र असीं कस्तूरी मृग समान
सपनो हिकु सचु थी वञे जीवन भर सिकंदा रहियासीं
समुंढ सीर में कहिं जंजीरे ते पाहिंजों हिकु मकानु
चइनी पासे लहर आ जल जी पोइ बि अण विसामंदड़ प्यास ।
असां खे दुख में ई आ जियणों लिख्यो भाग में पाहिंजे
सजी हयाती गुज़री डिसंदे वडा वडा सपना
रेगिस्तान में घणों करे थींदों आ जल हुअण जो भ्रम
ज्ञान जी तंदु सां कडहिं बधिजी सघियो पारे जहिडो मनु।
सोच्यो असां बि कबीर जहिड़ी चादर साफ़ रखूँ
पर असीं रहयासीं आम माणहू कबीर त हुयो खुद पाण
चवन था निबल खे न सताइ उनखां वडो न पापु
पर ज़ईफ खां खसे-खसे करयूं असीं गुज़रान !

पता: ९-डी॰ कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५० फ़ोन: 9987938358

error: Content is protected !!