तो समझ लीजिए चुनाव होने वाले हैं

ओम माथुर
ओम माथुर
जब देश का प्रधानमंत्री ये कहने की बजाए कि किसी भी हिदुस्तानी पर वार करने या गोली चलाने से पहले मुझ पर वार करें। केवल ये कहे कि गोली मेरे दलित भाइयों पर नहीं मुझ पर चलाइये। जब मँदिर और गाय के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टी को अचानक गोरक्षक गुँडे लगने लगे। जब बलात्कार के मामले मे कोई मुख्यमंत्री खुद आगे होकर सीबीआई जाँच कराने को तैयार हो जाए। जब हवा का रूख भाँप राजनीतिक दलों को छोडने पकड़ने का दौर तेज हो जाए। जब राजनीति मे आरोपों की भाषा मर्यादाएँ लाँघने लगे। जब हर पारटी के नेता राग दलित गाकर दलितों को गले लगाने के लिए तरसने लगेँ। उनके घर जाकर खाना खाने लगेँ। जब बूढे और बीमार नेता भी रोड शो पर निकल जाएँ। जब कोई मुख्यमँत्री अपनी,अपने विधायको की गलतियों का ठीकरा प्रधानमंत्री पर फोडने लगे। जब किसी नेता को शिवभक्त कावडिए बेरोजगारोँ की भीड़। लगने लगे। जब न्यूज चैनल के एँकर जोर जोर से चीखने लगे और उनकी जुबानी दादागिरी को भी नेता मुस्कराते हुए बरदाश्त करे। जब आम आदमी से जुडे मुद्दे पीछे छूटने लगे। तो समझ लीजिए देश मे कहीं ना कहीं चुनावों का होने वाले हैं।

error: Content is protected !!